Trump Website Hacked: ईरान सरकार ने हैक की डोनाल्ड ट्रंप की वेबसाइट! हैकर्स ने चुराए संवेदनशील दस्तावेज
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Iran Hacked Trump's Website: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक सनसनीखेज दावा किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी अभियान की एक वेबसाइट को ईरान सरकार ने हैक कर लिया है. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इस हैकिंग की घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि यह कृत्य पूरी तरह से अस्वीकार्य है, भले ही इसमें केवल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी ही प्रभावित हुई हो.

ट्रंप का अमेरिका की मौजूदा सरकार पर हमला

ट्रंप ने इस घटना का हवाला देते हुए मौजूदा अमेरिकी प्रशासन की आलोचना की और कहा कि वे विदेशी खतरों से निपटने में विफल रहे हैं. उन्होंने इस तरह की घटनाओं को रोकने और दुनिया को एक सुरक्षित जगह बनाने का वादा किया.

कैसे हुआ हैक?

शनिवार को ट्रंप के अभियान ने खुलासा किया कि उनकी वेबसाइट हैक हो गई थी. उन्होंने इशारा किया कि इस हैकिंग के पीछे ईरानी हैकर्स का हाथ हो सकता है, जिन्होंने संवेदनशील आंतरिक दस्तावेजों को चुराया और उन्हें वितरित किया. ट्रंप के अभियान ने एक उदाहरण दिया कि जून में एक ईरानी सैन्य खुफिया इकाई ने एक spear-phishing ईमेल भेजा था, जो कि एक वरिष्ठ सलाहकार के समझौता किए गए ईमेल अकाउंट से एक उच्च-स्तरीय अभियान अधिकारी को भेजा गया था.

हालांकि, ट्रंप के अभियान ने इस हैकिंग को सीधे तौर पर ईरान से जोड़ने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं दिया है. फिर भी, यह दावा बताता है कि ट्रंप अपने अभियान और उसके डेटा की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त कर रहे हैं.

 

माइक्रोसॉफ्ट की रिपोर्ट में विदेशी हस्तक्षेप की चेतावनी

शुक्रवार को जारी माइक्रोसॉफ्ट की एक रिपोर्ट में अमेरिकी चुनाव में विदेशी हस्तक्षेप की बढ़ती घटनाओं का खुलासा हुआ. प्रारंभ में यह रूसी ऑपरेशनों से जुड़ा हुआ था, लेकिन हाल ही में इसमें ईरानी गतिविधियाँ भी शामिल हो गई हैं. रिपोर्ट में एक घटना का जिक्र किया गया, जिसमें जून 2024 में ईरानी सैन्य खुफिया इकाई मिंट सैंडस्टॉर्म ने एक अमेरिकी राष्ट्रपति अभियान को फिशिंग ईमेल के जरिये निशाना बनाया. यह ईमेल एक पूर्व वरिष्ठ सलाहकार के समझौता किए गए अकाउंट से भेजा गया था.

ट्रंप अभियान की प्रतिक्रिया और ईरान का खंडन

ट्रंप अभियान के प्रवक्ता स्टीवन चेउंग ने इस हैक को "संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए शत्रुतापूर्ण विदेशी स्रोतों" से जोड़ा और चोरी किए गए दस्तावेजों की रिपोर्टिंग के लिए मीडिया आउटलेट्स की आलोचना की. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कहा कि वह विदेशी हस्तक्षेप की रिपोर्टों को गंभीरता से लेती है, लेकिन आगे की जांच के लिए न्याय विभाग को जिम्मेदार ठहराया.

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने इस मामले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है और कहा कि उनका अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा या उद्देश्य नहीं है. यह खंडन उस समय आया है जब ईरान की हैकिंग गतिविधियों और ट्रंप के खिलाफ बदले की धमकियों के बारे में लगातार संदेह जताया जा रहा है, विशेषकर 2020 में जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के लिए.

संबंधित घटनाक्रम

हाल के घटनाक्रमों में एक पाकिस्तानी नागरिक के खिलाफ आपराधिक आरोप शामिल हैं, जिसके कथित रूप से ईरान से संबंध हैं. उस पर अमेरिकी राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ हत्या की साजिश रचने का आरोप है. कोर्ट दस्तावेजों से पता चलता है कि ईरान अपने शासन के दुश्मनों को निशाना बनाने और सुलेमानी की मौत का बदला लेने में रुचि रखता है.

पोलिटिको की रिपोर्ट में, जिसने इस हैक का खुलासा किया, यह उल्लेख किया गया कि ट्रंप अभियान को एक गुमनाम खाते से ईमेल प्राप्त हुए थे, जिसमें रिपब्लिकन उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जे.डी. वेंस पर एक डोजियर था. यह ईमेल 23 फरवरी का था, जबकि वेंस को औपचारिक रूप से चुने जाने से पांच महीने पहले यह भेजा गया था.

ट्रंप अभियान ने इस हैकिंग मामले में माइक्रोसॉफ्ट के साथ अपनी बातचीत पर कोई टिप्पणी नहीं की है. माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी रिपोर्ट से परे कोई टिप्पणी नहीं की, जिसमें चुनाव के मौसम के दौरान विदेशी साइबर हमलों और हस्तक्षेप के प्रयासों में वृद्धि का विवरण दिया गया है.

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के अभियान ने इस हैकिंग घटना या उसकी साइबर सुरक्षा उपायों के बारे में पूछताछ का अभी तक जवाब नहीं दिया है.