
अपनी जेल व्यवस्था के ‘आदर्श मॉडल’ के लिए जाने जाने वाले स्वीडन में कैदियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि उसे दूसरे देशों में किराए पर जेलें लेनी पड़ सकती हैं.स्वीडन अपने अपराधियों को सजा काटने के लिए विदेश भेजने पर विचार कर रहा है. सरकार द्वारा नियुक्त एक आयोग ने इसी हफ्ते जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जेलों में बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं.
स्वीडन के न्याय मंत्री गुन्नार स्ट्रोमर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमें जेल और प्रोबेशन सेवा में नए समाधान तलाशने की जरूरत है." उन्होंने यह भी बताया कि स्वीडन पहले से ही अन्य देशों के साथ उनकी जेलों में कैदियों के लिए जगह किराए पर लेने को लेकर बातचीत कर रहा है.
आयोग के प्रमुख, मटियास वाल्श्टेट ने कहा कि स्वीडन के लिए विदेशों में जेल किराए पर लेने में कोई कानूनी बाधा नहीं है, लेकिन इस प्रस्ताव को संसद से मंजूरी लेनी होगी.
अपराधों पर काबू पाने की कोशिश
स्वीडन में पिछले दो दशकों में गिरोहों से जुड़े अपराध तेजी से बढ़े हैं, जिससे यह नॉर्डिक देश यूरोप में प्रति व्यक्ति सबसे ज्यादा घातक गोलीबारी की घटनाओं के मामले में सबसे ऊपर आ गया है.
हालांकि नए कानूनी प्रावधानों, अधिक पुलिस कर्मियों और बढ़े हुए बजट के कारण स्वीडिश पुलिस ने गिरोहों से जुड़े अपराधों पर काबू पाने में कुछ हद तक सफलता हासिल की है. पिछले दो वर्षों में घातक गोलीबारी की घटनाएं कम हुई हैं और अधिक अपराधियों को दोषी ठहराया गया है.
लेकिन इस सफलता के चलते जेल प्रणाली पर दबाव बढ़ गया है. 2023 में, स्वीडन की अदालतों ने कुल 2,00,000 महीने की जेल सजा सुनाई, जो पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी ज्यादा और 2014 की तुलना में दोगुनी थी. 2024 के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं.
स्वीडन की जेलें पहले से ही पूरी तरह भरी हुई हैं. जेल और प्रोबेशन सेवा के अनुसार, देश को 2033 तक जेलों में लगभग 27,000 बिस्तरों की जरूरत होगी, जबकि फिलहाल केवल 11,000 बिस्तर उपलब्ध हैं.
इसके अलावा, स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में बम विस्फोटों की घटनाओं में भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है. अकेले जनवरी 2024 में 30 बम धमाके हुए थे. पुलिस के अनुसार, इनमें से ज्यादातर घटनाएं गिरोहों द्वारा कंपनियों और नागरिकों से उगाही के लिए की गईं.
आदर्श मानी गईं स्वीडन की जेलें
स्वीडन के लिए यह बहुत मुश्किल स्थिति है क्योंकि वहां की जेल व्यवस्था को दुनिया भर में उसके प्रगतिशील और मानवीय दृष्टिकोण के लिए सराहा जाता है. कई देशों ने स्वीडन की जेलों का अध्ययन किया और अपने यहां वैसी ही व्यवस्थाएं लागू करने की कोशिश की हैं. स्वीडन में जेलों का मुख्य मकसद अपराधियों को सिर्फ सजा देना नहीं बल्कि उनका पुनर्वास करना और उन्हें समाज में फिर से शामिल होने के लिए तैयार करना है. दस साल पहले ऐसी खबरें आई थीं कि स्वीडन में जेलें बंद हो रही हैं.
स्वीडन ने 1965 की आपराधिक संहिता के तहत कई सुधार लागू किए हैं, जिससे जेलों को अधिक मानवीय बनाया गया है. स्वीडन की जेल और प्रोबेशन सेवा के पूर्व महानिदेशक निल्स ओबर्ग ने एक इंटरव्यू में कहा था, "सजा यह है कि अपराधी को उसकी स्वतंत्रता से वंचित किया गया है. उसके साथ हमारा व्यवहार सजा नहीं है."
नई चुनौती है बढ़ते अपराध
इसका मतलब है कि स्वीडन अपराधियों को सिर्फ दंड देने के बजाय उन्हें सुधारने पर जोर देता है. यही वजह है कि स्वीडन की जेलों में कैदियों के हालात बहुत अच्छे होते हैं. अमेरिकी न्याय विभाग ने स्वीडन की जेलों के बारे में अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि वहां की जेलों को "खुली जेल" कहा जाता है, जहां कैदियों को सामान्य जीवन जीने जैसी सुविधाएं दी जाती हैं. वहां आरामदायक कमरे दिए जाते हैं, जिनमें पारंपरिक लोहे की सलाखें नहीं होतीं. कैदी टेलीविजन देख सकते हैं और परिवार से मुलाकात भी कर सकते हैं. जेल प्रशासन भी कैदियों की गरिमा बनाए रखने पर ध्यान देता है. उन्हें पढ़ने या काम करने का मौका मिलता है और वे वेतन भी पाते हैं.
इसका असर भी देखने को मिला है. एक अध्ययन के मुताबिक स्वीडन की जेल प्रणाली अपराधियों को सुधारने में इतनी सफल रही है कि वहां केवल 16 फीसदी अपराधी ही जेल से छूटने के बाद फिर से अपराध करते हैं. यह यूरोप में सबसे कम पुनरावृत्ति दरों में से एक है. इसका मतलब है कि जेल से छूटने के बाद ज्यादातर अपराधी एक सामान्य जीवन जीने लगते हैं और फिर से अपराध नहीं करते.
स्वीडन की जेल प्रणाली को दुनिया भर में एक आदर्श मॉडल माना जाता है क्योंकि यह कैदियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करती है और उन्हें समाज में वापस लाने का प्रयास करती है. इसलिए देश की जेलें भर जाना और कैदियों की संख्या बढ़ते जाना इस आदर्श मॉडल के लिए चुनौती बन गया है.