
धरती पर लाए गए एक क्षुद्रग्रह के सैंपलों में जीवन के लिए जरूरी तत्व मिले हैं. इस खोज ने धरती पर जीवन की शुरुआत के सवाल पर नई रोशनी डालने के काम किया है.ये सैंपल बेन्नू नाम के क्षुद्रग्रह से 2020 में तब लिए गए थे जब वह धरती से करीब 30 करोड़ किलोमीटर दूर था. इन सैंपलों में वो तत्व मिले हैं, जिन्हें जीवन के 'बिल्डिंग ब्लॉक' कहा जाता है.
बुधवार 29 जनवरी को छपी दो रिपोर्टों में इस खोज के बारे में बताया गया है. ये सैंपल बस 120 ग्राम के हैं यानी लगभग एक केले के वजन के बराबर. इन्हें नासा का ओसायरिस-आरईएक्स अंतरिक्ष यान लाया था.
क्या मतलब है इस खोज का
शुरुआती छान-बीन में इन सैंपलों में पानी और काफी ज्यादा मात्रा में कार्बन को होने के सबूत मिले थे. लेकिन इन रिपोर्टों में से एक के सह-लेखक टिम मैकॉय ने बताया कि नई रिसर्च में पता चला है कि बेन्नू के पैरेंट क्षुद्रग्रह पर पानी के वाष्प बन कर उड़ जाने के बाद "जीवन की कच्ची सामग्री" रह गई.
मैकॉय स्मिथसोनियंस म्यूजियम ऑफ नैचुरल हिस्ट्री में उल्कापिंडों के क्यूरेटर हैं. म्यूजियम द्वारा जारी की गई एक प्रेस रिलीज में उन्होंने कहा, "हमने जीवन की उत्पत्ति तक ले जाने वाले रास्ते पर अगले कदम की खोज कर ली है."
वैज्ञानिकों को लग रहा है कि बेन्नू करीब 6.5 करोड़ साल पहले एक ऐसे क्षुद्रग्रह के मलबे से बना होगा जो खुद करीब 4.5 अरब साल पुराना था. नई खोज यह संकेत दे रही है कि इस पुराने क्षुद्रग्रह पर कभी तरल पानी के क्षेत्र थे.
जब यह पानी वाष्प बन कर उड़ा तो उसने अपने पीछे नमक और खनिज पदार्थों का एक 'नमकीन घोल' छोड़ दिया. म्यूजियम का कहना है कि इनमें से कुछ खनिज पदार्थों में ऐसे कंपाउंड मिले हैं जो अंतरिक्ष से लाए गए सैंपलों में पहले कभी देखे नहीं गए.
क्या जीवन की शुरुआत अंतरिक्ष में हुई थी?
एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सैंपलों की छान-बीन से इस बात का मजबूत संकेत मिला है कि यह "धरती से बाहर" बने थे. इससे इस सिद्धांत को समर्थन मिल सकता है कि धरती पर जीवन की शुरुआत का बीज अंतरिक्ष में डला था.
टोक्यो के इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में प्रोफेसर यासुहितो सेकिने के मुताबिक ये सैंपल "उन प्रक्रियाओं के बारे में अभूतपूर्व जानकारी दे रहे हैं जिनकी वजह से सौरमंडल बना."
उन्होंने आगे कहा, "यह खोज ऐसे सैंपलों की छानबीन से ही संभव थी जिन्हें क्षुद्रग्रह से सीधे लिया गया था और संभाल कर धरती पर ले आया गया था. नहीं तो इसमें जो नमक है, उन्होंने धरती के नम वायुमंडल से तेजी से नमी सोख ली होती."
रिसर्चरों का मानना है कि इसी तरह के नमकीन घोल बौने ग्रह सेरेस और शनि के चंद्रमा एन्सेलाडस और दूसरे क्षुद्रग्रहों जैसे अन्य स्थानों पर भी हो सकते हैं. उनकी योजना है कि वो धरती पर पहले से मौजूद उन सैंपलों की फिर से छानबीन करेंगे जो शायद इससे पहले की रिसर्च में छूट गए हों.
सीके/वीके (एएफपी)