
वैज्ञानक इसे अब तक का सबसे विचित्र डायनासोर बता रहे हैं. इस डायानासोर की सारी खूबियां इसे एक मांसाहारी डायानासोर बनाती हैं लेकिन यह वास्तव में शाकाहारी था.मंगोलिया के गोबी रेगिस्तान में पानी की पाइपलाइन बनाने के दौरान डायनासोर के एक अनोखे और बेहद पुराने समूह का पता चला है. इस जीव के हाथ में दो उंगलियों वाला विशाल नाखूनों वाला घुमावदार पंजा था. डुओनिकस सोग्तबातारी नाम के ये डायनासोर 3 मीटर लंबे और 260 किलोग्राम तक वजनी थे. रिसर्चरों के मुताबिक ये क्रेटेसियस युग में करीब 9 से 9.5 करोड़ साल पहले धरती पर मौजूद थे. इनके नाखूनों की लंबाई करीब एक फीट तक थी.
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डुओनिकस एक मध्यम आकार के अजीब तरह के दिखने वाले डायनासोर का सदस्य था जिन्हें थेरिजिनोसॉर कहा जाता है. ये अपने गोलाकार धड़, लंबी गर्दन, छोटा सिर, दोपाये वाली मुद्रा, शरीर पर पंख और हाथों में विशाल नाखूनों के लिए जाने जाते थे. भले ही मांस खाने वाले टिरैनोसॉरस और स्पिनोसॉरस खानदान से ताल्लुक रखते थे लेकिन थेरिजिनोसॉर शाकाहारी भोजन पसंद करते थे.
विशाल नाखूनों वाले पंजे
थेरिजिनोसॉर शिया और उत्तरी अमेरिका में रहते थे. इनके विशाल नाखूनों वाले पंजे से इन्हें अलग किया जाता है. थेरिजिनोसॉरस के बारे में अब तक यह जानकारी थी कि उनके हाथों में तीन उंगलियां होती हैं लेकिन पहली बार दो उंगलियों वाले थेरिजिनोसॉरस के अवशेष मिले हैं. डुओनिकस में एक उंगली कम है और इस तरह से इस पर "टू क्लॉ" का नाम भी फिर फिट हो जाता है.
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जापान के होक्काइदो यूनिवर्सिटी म्यूजियम के जीवाश्म विज्ञानी योशित्सुगु कोबायाशी इस बारे में इसी हफ्ते जर्नल आईसाइंस में छपी रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक हैं. कोबायाशी कहते हैं, "थेरिजिनोसॉर अब तक से सबसे अजीब डायनासोरों में हैं. वे मांसाहारियों की तरह अगला पैर उठा कर चलते थे लेकिन पंखों वाले विशालकाय स्लॉथ जैसे नजर आते थे."
कोबायाशी ने यह भी कहा, "डुओनिकस की विचित्रता इससे और आगे भी जाती है. उनके छोटे दो उंगलियां वाले हाथों में नाखून किसी शिकारी पक्षियों जैसे हैं, लेकिन वे शाकाहारी होते थे. यह किसी खोज की तरह है कि कुछ बिल्कुल नया करते हैं, और यह काम कर गया."
रिसर्चरों का कहना है कि जिस डुओनिकस के जीवाश्म उन्हें मिले हैं वह पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था. वह दूसरे थेरिजिनोसॉर के साथ ही पानी की धाराओं और अर्धशुष्क वातावरण में घूमता रहा, उसके आसपास कवचधारी डायनासोर, सींग वाले डायनासोर और बत्तख जैसे दिखने वाले डायनासोर के साथ ही छोटे अगले पैर वाले टिरैनोसॉरस भी मौजूद थे जिन्हें एलेक्ट्रोसॉरस कहा जाता है.
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अतुलनीय रूप से दुर्लभ डायनासोर
वैज्ञानिकों को मिला कंकाल अधूरा है. मसलन इसकी खोपड़ी और पैर गायब हैं जबकि हाथ और बांहें पूरी तरह संरक्षित हैं. एक नाखून का बाहरी आवरण भी मौजूद है यह उसी पदार्थ यानी केराटिन से बना है जिससे कि हमारे नाखून. केराटिन की परत ने नाखूनों की लंबाई करीब 40 फीसदी तक बढ़ा दी है.
कनाडा के कैलगरी यूनिवर्सिटी की डाला जेलेनित्स्की का कहना है, "इसके नाखून बड़े, तीखे और कठोर हैं."
कोबायाशी के केराटीन के जीवाश्म बनने के बारे में कहा, "यह अतुलनीय रूप से दुर्लभ है और हमें यह देखने का एक असाधारण मौका है कि डायनासोर अपने हाथों का कैसे इस्तेमाल करते थे. इसका हाथ बहुत बढ़िया से संरक्षित है और इस पर बहुत सारे ब्यौरे देखे जा सकते हैं जैसे कि कलाई की हड्डियां, कठोर जोड़ और दो विशाल नाखून. हालांकि यह प्राथमिक रूप से पत्तियों को खाने के लिए इस्तेमाल होता था. "
एनआर/आरआर (रॉयटर्स)