लिवर फेलियर के इलाज के लिए सूअर के लिवर के ट्रायल को मिली मंजूरी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पशुओं के अंगों को इंसानी शरीर में लगाने के प्रयोगों के बीच अब इस सवाल पर अध्ययन शुरू किया जाएगा कि एक जीन-एडिटेड सूअर के कलेजे का इस्तेमाल उन लोगों के इलाज के लिए किया जा सकता है या नहीं जिनका कलेजा अचानक फेल हो गया.अमेरिकी नियामक संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने अमेरिका में इस तरह के पहले क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है. जीन एडिटेड सूअर बनाने वाली कंपनी ईजेनेसिस ने अपने पार्टनर ऑर्गनऑक्स के साथ इस ट्रायल की घोषणा मंगलवार 15 अप्रैल को की.

कंपनी इस ट्रायल में एक जीन एडिटेड सूअर के कलेजे का ही इस्तेमाल करेगी. ट्रायल के दौरान जिन लोगों के कलेजे ने अचानक काम करना बंद किया था, ऐसे मरीजों के खून को इस सूअर के कलेजे के जरिए अस्थायी रूप से फिल्टर किया जाएगा, ताकि उनका अपना कलेजा आराम कर सके और शायद ठीक हो सके.

हर साल हजारों मरीजों को जरूरत

इस ट्रायल में शोधकर्ता सूअर के कलेजे को ट्रांसप्लांट नहीं करेंगे बल्कि बाहर से अटैच करेंगे और मरीजों का अध्ययन करेंगे. यह नया अध्ययन कुछ ही हफ्तों में शुरू हो सकता है.

अनुमान है कि अमेरिका में हर साल 35,000 लोगों का कलेजा अचानक काम करना बंद कर देता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. इलाज के विकल्प कम हैं और ऐसे मामलों में मृत्यु दर 50 प्रतिशत तक है.

कई लोग तो ट्रांसप्लांट के योग्य ही नहीं पाए जाते या उन्हें समय रहते कोई मैचिंग कलेजा नहीं मिल पाता. नया अध्ययन पशुओं के अंगों को इंसानी शरीर में ट्रांसप्लांट करने की कोशिशों का एक नया आयाम है.

कलेजा एकलौता ऐसा अंग है जो अपने आप को दोबारा जिंदा कर सकता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या एक सूअर के कलेजे द्वारा मरीज के खून को कई दिनों तक फिल्टर करने से मरीज के कलेजे को खुद को दोबारा जिंदा करने का मौका मिला पाएगा.

मैसाचुसेट्स की कंपनी ईजेनेसिस के सीईओ माइक कर्टिस ने बताया कि चार मृत लोगों के शरीरों के साथ किए गए प्रयोगों में देखा गया कि सूअर के कलेजे की बदौलत इंसानी कलेजा कुछ तरह के काम दो से तीन दिनों तक कर पाया.

ईजेनेसिस सूअरों को जेनेटिक विज्ञान का इस्तेमाल कर जेनेटिकली मॉडिफाई करती है ताकि उनके अंगों को और ज्यादा इंसानी अंगों की तरह बनाया जा सके.

कैसे किया जाएगा ट्रायल

कर्टिस ने आगे बताया कि ट्रायल के लिए इंटेंसिव केयर में भर्ती 20 ऐसे मरीजों को शामिल किया जाएगा जिन्हें ट्रांसप्लांट के योग्य नहीं पाया गया.

ब्रिटेन की कंपनी ऑर्गनऑक्स द्वारा बनाए गए एक उपकरण के इस्तेमाल से इन मरीजों के खून को सूअर के कलेजे के रस्ते पंप किया जाएगा. इस उपकरण का इस्तेमाल इस समय डोनेट किए गए इंसानी कालेजों को संभाल कर रखने के लिए किया जा रहा है.

यह जीन एडिटेड सूअरों के अंगों के इस्तेमाल से इंसानी जिंदगियां बचाने की कोशिशों में नया कदम है. हाल ही में चीन में एक सूअर का लीवर एक इंसान में लगाया गया है, जो की दुनिया में इस तरह का पहला कारनामा था.

उत्तर पश्चिमी चीन के शियान की फोर्थ मिलिट्री मेडिकल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने एक छोटे सूअर से निकाले गए कलेजे का इस्तेमाल किया. इस सूअर के जीन में बदलाव किया गया था ताकि इंसानी शरीर के उस लीवर को अस्वीकार करने का जोखिम घटाया जा सके.

ट्रांसप्लांट के बाद लीवर पित्त बनाने में सफल हुआ और इसने एक ब्रेन डेड मगर जीवित इंसान में रक्त संचार को स्थिर बनाए रखा. इससे पहले इंसानों में सूअर का गुर्दा और दिल लगाया जा चुका है. (एपी)

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