नई दिल्ली: हवाई यात्रा करने वालों के लिए यह खबर बेहद खुश करने वाली है. उड़ान के दौरान अब यात्री मोबाइल का प्रयोग कर सकेंगे. इन फ्लाइट कनेक्टिविटी पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव आर एन चौबे ने कहा कि ट्राई ने अपनी सिफारिश सौंप दी है. और रोडमैप तैयार कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट सेक्रेटरी के साथ जल्द ही इस मुद्दे पर बैठक होगी. अक्टूबर तक डॉट द्वारा इन फ्लाइट कनेक्टिविटी के प्रोसेस पूरा कर लिया जायेगा.
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम अक्टूबर में 'इन फ्लाइट कनेक्टिविटी' (IFC) नाम हवाई की सर्विस शुरू करने वाली है. एविएशन एक्सपर्ट के मुताबिक, IFC फीचर से विमान को लेस करवाने के लिए एयरलाइंस को प्रति विमान पर 7 करोड़ 21 लाख रुपये खर्च करने होंगे. यह खर्च प्लेन के प्रकार, साइज आदि पर भी निर्भर करेगा. यह भी पढ़िए- मोदी के मंत्री बोले- ऑटो से भी सस्ता हो गया है विमान का किराया, भारत में है सबसे सस्ती हवाई सेवा
सूत्रों की मानें तो एयरलाइंस के इस खर्च करने का असर यात्रियों की जेब पर पड़ सकता है. शुरुवात में ये सुविधा और महंगी हो सकती है. माना जा रहा है कि नेट कनेक्शन के लिए एयरलाइंस 500 से 1000 रुपये (30 मिनट या 1 घंटा) ले सकती हैं. हालांकि, यह सुविधा लेना है या नहीं ये इसका ऑप्शन दिया जाएगा, जिसे यात्री अपने मर्ज़ी के मुताबिक चुन सकते हैं.
बता दें कि इस साल जनवरी में ही ट्राई ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि देश में हवाई यात्रा के दौरान इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी को मंजूरी दी जानी चाहिए. ट्राई ने कहा था कि मोबाइल कम्यूनिकेशन ऑन एयरस्पेस सेवाओं की अनुमति भारतीय हवाई क्षेत्र में 3000 फीट तक की ऊंचाई तक दी जानी चाहिए.
अभी तक हमारे पास मोबाइल फोन में एयरप्लेन मोड का ऑप्शन होता है. विमान के उड़ान भरने से पहले यात्रियों को अपने फोन इस मोड पर रखने का निर्देश विमान के क्रू द्वारा दिया जाता है जिसके बाद एयरप्लेन मोड में कॉलिंग और इंटरनेट की सुविधा बंद हो जाती है.