मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्य को दो महिलाओं को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था, जिन्हें अनधिकृत रूप से चार महीने से अधिक समय तक अवैध हिरासत में रखा गया था.
न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन और न्यायमूर्ति एडी जगदीश चंडीरा की खंडपीठ ने कहा ""मामले में घटनाओं का क्रम किसी भी संदेह से परे प्रकट करता है कि यह नौकरशाही सुस्ती और नींद का एक उत्कृष्ट मामला है."
नागापट्टिनम जिले के जिला मजिस्ट्रेट के एक आदेश के आधार पर महिलाओं को बूटलेगर घोषित किए जाने के बाद एहतियातन हिरासत में ले लिया गया था. भले ही 16 मार्च को सलाहकार बोर्ड ने राय दी थी कि उनकी नजरबंदी के लिए पर्याप्त कारण नहीं था, अदालत के हस्तक्षेप के बाद 22 जुलाई को ही निरसन आदेश पारित किया गया था.
1964 के तमिलनाडु अधिनियम संख्या 14 के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए, अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को निरोध आदेश को रद्द करने और सलाहकार बोर्ड की राय के बाद व्यक्ति को तुरंत रिहा करने की आवश्यकता थी.
Two Women Kept In Illegal Detention For 128 Days, Madras High Court Awards Rs 5L Compensation @UpasanaSajeev https://t.co/wHd4lVx1al
— Live Law (@LiveLawIndia) September 25, 2022
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