'पत्नी का पोर्न देखना, हस्तमैथुन करना पति के प्रति क्रूरता नहीं है'- मद्रास हाईकोट

मद्रास है कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कोई पति केवल इस आधार पर तलाक नहीं मांग सकता कि उसकी पत्नी पोर्न देखती है या हस्तमैथुन करती है. न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन और आर पूर्णिमा की खंडपीठ ने कहा कि निजी तौर पर पोर्न देखना कोई अपराध नहीं है, हालांकि इसके दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकते हैं...

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मद्रास है कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कोई पति केवल इस आधार पर तलाक नहीं मांग सकता कि उसकी पत्नी पोर्न देखती है या हस्तमैथुन करती है. न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन और आर पूर्णिमा की खंडपीठ ने कहा कि निजी तौर पर पोर्न देखना कोई अपराध नहीं है, हालांकि इसके दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकते हैं. हालांकि, जब तक पति या पत्नी अपने साथी को इसमें शामिल होने के लिए मजबूर नहीं करते हैं या लत के कारण वैवाहिक दायित्वों की उपेक्षा नहीं करते हैं, तब तक यह क्रूरता नहीं मानी जाती है. कोर्ट ने महिला हस्तमैथुन से जुड़े कलंक को भी खारिज कर दिया, इस बात पर जोर देते हुए कि एक महिला शादी के बाद भी अपनी वैयक्तिकता और यौन स्वायत्तता बरकरार रखती है. इसने आगे फैसला सुनाया कि यौन संचारित रोग के अपुष्ट दावों के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता है. आरोपों का समर्थन मेडिकल प्रमाण से होना चाहिए और पति-पत्नी को यह साबित करने का अवसर मिलना चाहिए कि कोई भी स्थिति नैतिक विचलन के कारण नहीं थी. यह भी पढ़ें: पत्नी और बेटियों को भरण-पोषण देने से इनकार करने पर डॉक्टर को 6 महीने की सिविल जेल, बॉम्बे हाई कोर्ट का सख्त फैसला

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'पत्नी का पोर्न देखना, हस्तमैथुन करना पति के प्रति क्रूरता नहीं है'- मद्रास हाईकोट

मद्रास है कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कोई पति केवल इस आधार पर तलाक नहीं मांग सकता कि उसकी पत्नी पोर्न देखती है या हस्तमैथुन करती है. न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन और आर पूर्णिमा की खंडपीठ ने कहा कि निजी तौर पर पोर्न देखना कोई अपराध नहीं है, हालांकि इसके दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकते हैं...

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मद्रास है कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कोई पति केवल इस आधार पर तलाक नहीं मांग सकता कि उसकी पत्नी पोर्न देखती है या हस्तमैथुन करती है. न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन और आर पूर्णिमा की खंडपीठ ने कहा कि निजी तौर पर पोर्न देखना कोई अपराध नहीं है, हालांकि इसके दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव हो सकते हैं. हालांकि, जब तक पति या पत्नी अपने साथी को इसमें शामिल होने के लिए मजबूर नहीं करते हैं या लत के कारण वैवाहिक दायित्वों की उपेक्षा नहीं करते हैं, तब तक यह क्रूरता नहीं मानी जाती है. कोर्ट ने महिला हस्तमैथुन से जुड़े कलंक को भी खारिज कर दिया, इस बात पर जोर देते हुए कि एक महिला शादी के बाद भी अपनी वैयक्तिकता और यौन स्वायत्तता बरकरार रखती है. इसने आगे फैसला सुनाया कि यौन संचारित रोग के अपुष्ट दावों के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता है. आरोपों का समर्थन मेडिकल प्रमाण से होना चाहिए और पति-पत्नी को यह साबित करने का अवसर मिलना चाहिए कि कोई भी स्थिति नैतिक विचलन के कारण नहीं थी. यह भी पढ़ें: पत्नी और बेटियों को भरण-पोषण देने से इनकार करने पर डॉक्टर को 6 महीने की सिविल जेल, बॉम्बे हाई कोर्ट का सख्त फैसला

पत्नी का पोर्न देखना, हस्तमैथुन करना पति के प्रति क्रूरता नहीं है

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