बॉम्बे हाई कोर्ट ने अनुच्छेद 370 पर व्हाट्सएप स्टेटस डालने के लिए एक प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि संवेदनशील मामलों में कोई भी आलोचनात्मक या असहमतिपूर्ण विचार, जो लोगों के विभिन्न समूहों की भावनाओं को उत्तेजित करता है, स्थिति के उचित विश्लेषण और तर्क के समर्थन के बाद ही व्यक्त किया जाना चाहिए.

जस्टिस एस बी शुक्रे और न्यायमूर्ति एम एम सथाये की खंडपीठ ने 10 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि प्रोफेसर ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के बारे में स्टेट्स मैसेज बहुत ही लापरवाह तरीके से पोस्ट किया है.

मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के बारामूला के रहने वाले जावेद कोल्हापुर के एक कॉलेज में प्रोफेसर थे. उनके खिलाफ आरोप है कि 13 से 15 अगस्त, 2022 के बीच उन्होंने अपने व्हाट्सएप पर '5 अगस्त, काला दिवस, जम्मू और कश्मीर' वाला एक स्टेटस डाला था, जिसमें नीचे एक मैसेज में लिखा था कि 'अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया.

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