ईयू ने लगाया अमेरिका पर जवाबी टैरिफ; व्यापार युद्ध तेज होगा?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

ट्रंप के अमेरिकी प्रशासन ने दुनिया के हर देश से आने वाले स्टील और एल्युमीनियम पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. इसके जवाब ने यूरोपीय संघ ने भी अमेरिकी सामान पर शुल्क बढ़ा दिया है. अन्य देशों ने भी जवाबी कार्रवाई की है.यूरोपीय संघ (ईयू) ने 12 मार्च को अमेरिका के औद्योगिक और कृषि उत्पादों पर नए शुल्क (टैरिफ) लगाकर जवाबी कार्रवाई की है. इससे कुछ ही घंटे पहले अमेरिका के डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने दुनिया के सभी देशों के स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ाया है.

दुनिया का सबसे बड़ा वाणिज्यिक गुट ईयू, अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने की उम्मीद कर रहा था. इसके लिए ईयू ने तैयारी कर ली थी. लेकिन यह जवाबी कार्रवाई पहले से ही तनावपूर्ण अटलांटिक-पार के संबंधों पर और दबाव डालेगी. पिछले महीने ही वॉशिंगटन ने यूरोप को चेताया था कि उसे भविष्य में अपनी सुरक्षा का ध्यान खुद रखना होगा.

ईयू के ताजा कदम से अमेरिका से लगभग 26 अरब यूरो (28 अरब डॉलर) मूल्य के सामान पर आयात शुल्क बढ़ जाएगा. इसमें न सिर्फ स्टील और एल्युमीनियम उत्पाद होंगे, बल्कि कपड़े, घरेलू उपकरण और कृषि वस्तुओं, मोटरसाइकिल, बर्बन शराब, जींस और पीनट बटर जैसे उत्पादों पर असर दिखेगा. लगभग ऐसा ही राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान हुआ था.

"इस कदम पर गहरा खेद": ईयू

ईयू अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि आयात शुल्क रिपब्लिकन पार्टी की सरकारों वाले राज्यों में बने उत्पादों को निशाना बनाकर लगाए गए हैं. जैसे कैंसस और नेब्रास्का से बीफ और पोल्ट्री और अलबामा और जॉर्जिया से लकड़ी के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा है. शराब उत्पादक, जो 2018 में पहली बार टैरिफ लगाए जाने से पहले अमेरिका और यूरोप दोनों में बिना आयात शुल्क दिए काम करते थे, वे स्टील और एल्युमीनियम पर छिड़े विवाद में अप्रत्याशित नुकसान उठा रहे हैं. अब उन्हें भी ज्यादा टैरिफ चुकाना होगा.

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लायन ने कहा कि ईयू ने अपनी रक्षा के लिए कदम उठाए हैं. एक बयान में उन्होंने कहा कि ब्लॉक "हमेशा वार्ता के लिए खुला रहेगा." उन्होंने कहा,"जैसे अमेरिका 28 अरब डॉलर के शुल्क लगा रहा है, हम 26 अरब यूरो के जवाबी कदम उठा रहे हैं". आयोग, 27 सदस्यीय ईयू देशों की ओर से व्यापार और वाणिज्यिक विवादों कों संभालता है.

ट्रंप ने कहा कि उनके टैरिफ अमेरिकी कारखानों में नौकरियां पैदा करने में मदद करेंगे. लेकिन फॉन डेय लायन ने कहा कि "नौकरियां दांव पर हैं. कीमतें बढ़ेंगी. यूरोप में भी और अमेरिका में भी. हम इस कदम के लिए गहरा खेद व्यक्त करते हैं. टैरिफ, शुल्क हैं. ये व्यापार के लिए बुरे हैं, और उपभोक्ताओं के लिए और भी बदतर. ये टैरिफ, सप्लाई चेन को बाधित कर रहे हैं. वे अर्थव्यवस्था के लिए अनिश्चितता लाते हैं."

यूरोपीय संघ में अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कहा कि अमेरिकी शुल्क और ईयू के जवाबी उपाय "केवल अटलांटिक के दोनों छोर पर नौकरियों, समृद्धि और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाएंगे." उन्होंने कहा,"दोनों पक्षों को तनाव कम करना चाहिए और बातचीत करके तत्काल नतीजे पर आना चाहिए."

अन्य देशों की अमेरिका पर कार्रवाई

4 मार्च को अमेरिका ने कनाडा से आने वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया. वहीं कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइंड पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा उत्पादों पर 10 फीसदी टैरिफ लगाया गया. ट्रंप प्रशासन ने इसके लिए ड्रग तस्करी और फेंटानिल ड्रग के कनाडा से अमेरिका आने को आधार बनाया.

जबाव में कनाडा ने 20.7 अरब डॉलर (30 अरब कैनेडियन डॉलर) मूल्य के अमेरिकी उत्पादों पर 5 मार्च से प्रभावी 25 प्रतिशत शुल्क लगाया, जिसमें मांस, डेयरी और शराब भी शामिल हैं. इसके अलावा मार्च के आखिर तक, 125 अरब कैनेडियन डॉलर के अमेरिकी आयात पर शुल्क लगाने की योजना है. इस चरण में मशीनरी, कपड़े और रोजमर्रा का सामान शामिल होगा. कनाडा ने कहा है कि अमेरिका की ओर से टैरिफ ना हटाए जाने पर वह यह कदम उठा सकता है. इसके अलावा जिन कनाडाई राज्यों की सीमाएं अमेरिका से लगती हैं, वहां से बिजली आपूर्ति और सीमा-पार सहयोग पर रोक लगाने के फैसले भी हो सकते हैं.

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कनाडा की तरह ही ट्रंप ने मेक्सिको से आने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया है. हालांकि अमेरिका ने दोनों देशों के ऑटोमोबाइल उद्योगों को एक महीने के लिए रियायत दी गई है. मेक्सिको प्रशासन ने कहा है कि वे अमेरिका के साथ ड्रग तस्करी और अवैध आप्रवासन के मुद्दों पर काम कर रहे हैं. मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शाइनबाउम ने ट्रंप से फोन पर बात की थी, जिसके बाद ट्रंप ने मेक्सिको के लिए कुछ और रियायतें दी हैं. फिलहाल मेक्सिको की ओर से अमेरिका पर टैरिफ लगाने की घोषणा नहीं हुई है.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने 12 मार्च को ट्रंप प्रशासन के स्टील और एल्युमीनियम आयात पर शुल्क लगाने के फैसले पर निराशा व्यक्त की है. संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में अपने साप्ताहिक प्रश्नकाल के दौरान, स्टार्मर ने कहा कि उनकी सरकार एक "व्यावहारिक दृष्टिकोण" अपना रही है लेकिन "हम सभी विकल्प खुले रखेंगे."

चीन के हर सामान पर 20% टैरिफ

राष्ट्रपति ट्रंप चीन को अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी निशाना बनाते आए हैं. 4 मार्च को अमेरिका ने चीनी आयात पर मौजूदा शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया. बढ़ा हुआ टैरिफ चीन से आने वाले हर एक उत्पाद पर लागू होगा. जवाबी कार्रवाई में चीन ने अमेरिका से आने वाले चिकन, गेहूं, मक्का और कपास जैसे उत्पादों पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. वहीं सोयाबीन और डेयरी उत्पादों पर 10 प्रतिशत शुल्क लगया गया है. इसके अलावा चीन ने 25 अमेरिकी कंपनियों को "गैर-भरोसेमंद इकाइयां" घोषित किया है, जिसके चलते चीनी उत्पादों और रेयर अर्थ मैटेरियल तक उनकी पहुंच मुश्किल हो जाएगी. चीन ने विश्व व्यापार संगठन में अमेरिकी टैरिफों को चुनौती देते हुए दो मामले उठाए हैं.

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भारत और जापान ने अमेरिका पर अब तक जवाबी टैरिफ नहीं लगाए हैं. लेकिन स्टील और एल्युमीनियम टैरिफ समेत अप्रैल में संभावित बराबर जवाबी टैरिफ लागू होते हैं तो इन देशों की तरफ से भी कुछ हलचल नजर आ सकती है.

यूरोपीय कंपनियां नुकसान के लिए तैयार

यूरोपीय स्टील संघ- यूरोफर के अनुसार, ईयू 3.7 मिलियन टन सालान तक का स्टील निर्यात खो सकता है. अमेरिका, ईयू स्टील उत्पादकों के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है. ईयू का अनुमान है कि दोनों पक्षों के बीच लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार है, जो वैश्विक व्यापार का लगभग 30 प्रतिशत है. ईयू ब्लॉक को वस्तुओं के निर्यात में बढ़त हासिल है. लेकिन ईयू के मुताबिक, यह बढ़त आंशिक रूप से सेवाएं में खप जाती है जहां अमेरिका को बढ़त हासिल है.

जर्मन कार निर्माता- पोर्शे ने कहा है कि वह टैरिफ की लागत उपभोक्ताओं पर डालने के लिए विचार कर रही है. टैरिफ के कारण उनकी कारें महंगी होंगी और बिक्री में गिरावट आने की संभावना है. इसकी भरपाई के लिए कीमतों में और बढ़ोतरी की जा सकती है.

निवेशकों की चिंताएं

इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी फ्रैंकलिन टेम्पलटन का कहना है कि टैरिफ में उतार-चढ़ाव बाजार के लिए चुनौती बन रहे हैं. फ्रैंकलिन टेम्पलटन के मुख्य बाजार रणनीतिकार स्टीफन डोवर ने कहा, "अर्थव्यवस्था में लगभग हर कोई वाशिंगटन की नीतियों में होने वाले भारी उतार-चढ़ाव और रोजमर्रा के निर्णयों पर उनके प्रभाव को समझने के जूझ रहा है." उन्होंने कहा कि टैरिफ को लेकर लगातार होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण स्वास्थ्य सेवा और खुदरा व्यापार से लेकर कृषि, खनन, ऊर्जा तक के उद्योग 'लकवाग्रस्त' हो गए हैं.

जेपी मॉर्गन के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रूस कासमैन ने कहा कि उन्हें इस साल अमेरिका में मंदी की 40 प्रतिशत संभावना दिखती है. अगर ट्रंप अप्रैल से दूसरों पर बराबर जवाबी टैरिफ लगाते हैं तो यह आशंका बढ़कर 50 प्रतिशत हो सकती है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर (ट्रंप) प्रशासन की वजह से लोगों का शासन में विश्वास घटता है तो संयुक्त राज्य अमेरिका को निवेश के लिए आकर्षक जगह बने रहने के लिहाज से स्थायी नुकसान हो सकता है.

रजत शर्मा (रॉयटर्स, एपी)