
Holi 2025 Wishes in Bhojpuri: हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन (Holika Dahan) का पर्व मनाए जाने के बाद अगले दिन यानी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन रंगों वाली होली (Holi) खेली जाती है, जिसे धुलिवंदन, धुलेटी और धुलेंडी जैसे नामों से जाना जाता है. होलिका दहन यानी छोटी होली (Chhoti Holi) के साथ ही फिजाओं में अबीर-गुलाल उड़ना शुरु हो जाता है. होलिका दहन को जहां बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है तो वहीं रंगोंवाली होली कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक है. इस साल देशभर में रंगों वाली होली 14 मार्च 2025 को खेली जा रही है. रंगोंवाली होली का त्योहार श्रीकृष्ण को अत्यधिक प्रिय है, इसलिए ब्रज में होली की धूम देखते ही बनती है. ब्रज में होली का त्योहार 40 दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें रंगों के अलावा फूलों वाली होली, लड्डू होली और लठ्ठमार होली शामिल है. होली का त्योहार मन की कटुता को मिटाकर प्रेम भर देता है. होली के विभिन्न रंग नीरस जीवन में रंग भरते हैं और जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है.
प्राचीन काल में होली धूल से खेली जाती थी और श्रीहरि ने त्रेतायुग के प्रारंभ में धुलिवंदन किया था यानी लोग धूल लगाकर होली खेलते थे. होली के दिन सभी लोग आपसी मतभेदों को भुलाकर रंगों के इस त्योहार को एकसाथ मनाते हैं और एक-दूसरे को रंग लगाकर बधाई देते हैं. इस अवसर पर आप भोजपुरी के इन शानदार विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, एसएमएस के जरिए अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
गुजिया के मिठास बा, एक बात खास बा,
सबके दिल में प्यार बा,
होली की हार्दिक बधाई

खूब मस्ती का अंबार बा,
भाभी संग खेलिया खूब मस्ती में,
भांग का खुमार बा,
होली आ जोगी सारारारारारा...
होली की हार्दिक बधाई

भौजाई के सांगे ललकार होई,
असो के होली होली न,
शरूआन के सांगे ललकार होई,
चाहे तोहके रंग केहू लगाई,
लेकिन हमर कलर सबसे चटकार होई.
होली की हार्दिक बधाई

तहु के हमर याद आबेला की न,
तू ता अपना सइंया सांगे खूब होली खेलत होखबू,
सच सच बतइहा हमरे साथ खेलल होली
तोहके याद आबत की न.
होली की हार्दिक बधाई


हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा को साल की अंतिम पूर्णिमा माना जाता है और होली से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत हो जाती है. शास्त्रों के अनुसार अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक किसी भी शुभ कार्य या नए कार्य को करना वर्जित माना गया है. ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के आठ दिनों में नवग्रह उग्र रूप में होते हैं, इसलिए इस दौरान किए जाने वाले शुभ कार्यों में अमंगल होने की संभावना बनी रहती है. होलाष्टक खत्म होते ही होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है और फिर अगले दिन पूरे देश में पूरे जोश और उत्साह के साथ रंगों वाली होली खेली जाती है.