![क्या रूह अफ़ज़ा बनाने वाली कपनी हमदर्द बस मुसलमान और तबलीगी जमात वालो को ही देती है नौकरी? जानें क्या है वायरल खबर की सच्चाई क्या रूह अफ़ज़ा बनाने वाली कपनी हमदर्द बस मुसलमान और तबलीगी जमात वालो को ही देती है नौकरी? जानें क्या है वायरल खबर की सच्चाई](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2020/04/Post-spreading-fake-news-about-Rooh-Afza-1-380x214.jpg)
नई दिल्ली: देश में इन दिनों सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस (Coronavirus) से संबंधित कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. इसी कड़ी में इन दिनों पेय पदार्थ रूह अफ़ज़ा (Rooh Afza) को लेकर सोशल मीडिया पर ऐसा दावा किया जा रहा है कि ये तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) का प्रोडक्ट है और इसे बनाने वाली कंपनी में सिर्फ मुसलमानों को ही नौकरी पर रखी जाती है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक ऐसे ही ट्वीट में एक इंटरनेट यूजर्स ने लिखा, 'उसके डिस्ट्रीब्यूटर या C&F बनने के लिए पहली शर्त है की आवेदक सिर्फ मुस्लिम होना चाहिए ... इस कंपनी में सेल्समैन से लेकर एमडी तक प्रत्येक काम करने वाला मुस्लिम है. इसी कंपनी की ब्रांच पाकिस्तान में भी है. जहां हिंदुओं को सेकुलरवाद की घुट्टी पिलाकर नींद में सुला दिया गया है.'
वहीं इसी इंटरनेट यूजर्स ने दूसरे ट्वीट में लिखा, 'मिडिया यह बात आपको कभी नहीं बताएगी. अहमदाबाद की एक कंपनी ने एक मुसलमान को रोजागार देने से मना किया तो सारी मीडिया शोर मचाने लगी. किन्तु हमदर्द एक ऐसी कंपनी है, जिसके सारे कर्मचारी मुसलमान है. रूह अफ़ज़ा, सिंकारा तथा साफी जैसे अनेक उत्पाद हैं जिसके मुख्य उपभोक्ता हिन्दू हैं.
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वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि रूह अफ़ज़ा पेय पदार्थ में तबलीगी जमात के लोगों ने थूका भी है. बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ये सब न्यूज पूरी तरह से फेक हैं.
उसके डिस्ट्रीब्यूटर या C&F बनने के लिए पहली
शर्त है की
आवेदक सिर्फ मुस्लिम होना चाहिए ...
इस कंपनी में सेल्समैन से लेकर एमडी तक प्रत्येक काम करने वाला मुस्लिम है।
इसी कंपनी की ब्रांच पाकिस्तान में भी है।
जहाँ हिन्दूओको सेकुलरवाद की घुट्टी पिलाकर नींद मेंसुला दिया गया है.
मीडिया
— सुधांशु शेखर त्रिपाठी (@shekhar441972) April 23, 2020
गौरतलब हो कि रूह अफ़ज़ा बनाने वाली कंपनी का नाम 'हमदर्द' है. इस कंपनी की शुरुआत साल 1906 में हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने किया था. यूनानी पद्धति से इलाज करने वाला ये छोटा-सा क्लिनिक कुछ ही समय में पॉपुलर हो गया. विभाजन के बाद, हमदर्द की एक ब्रांच पाकिस्तान में और 1971 में दूसरी ब्रांच बांग्लादेश में शुरू हुई. कंपनी की वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के अनुसार, हमदर्द के प्रोडक्ट प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बनते हैं.
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इसके अलावा तबलीगी जमात की स्थापना साल 1926 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने की थी. इस जमात का मुख्य उद्देश्य ऐसे मुसलमानों का संगठन तैयार करना था, जो उनकी नजर में असली इस्लामिक कानूनों का पालन करें. ऐसे में हमदर्द इंडिया के मालिकों का तबलीगी जमात से कोई लेना-देना नहीं है. सोशल मीडिया पर पर फैलाई जा रहीं अफवाहें पूरी तरह से गलत हैं. इसपर ध्यान ने दें.