World Alzheimer's Day 2019: आज पूरे विश्वभर में वर्ल्ड अल्जाइमर डे मनाया जा रहा है. अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए पूरी दुनिया में 21 सितंबर को 'विश्व अल्जाइमर दिवस' (World Alzheimer's Day) मनाया जाता है. ये एक तरह की बीमारी है, जिसे डिमेंशिया (Dementia) का एक रूप भी कहा जाता है जो, ये धीरे-धीरे उम्र के साथ बढ़ती है. ये बीमारी ज्यादातर 60 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों में होती है. कई बार यह बीमारी 30 और 60 के शुरूआती उम्र में भी दिखाई दे सकती है. आंकड़ों के अनुसार विश्व स्तर पर 44 मिलियन से 50 मिलियन लोगों को अलग-अलग प्रकार के डिमेंशिया है और करीब 4 मिलियन लोगों को भारत में अल्जाइमर है. इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता होने के बाद भी विश्व स्तर पर अभी भी यह समझने की कमी है कि यह बीमारी कैसे बढ़ती है? विश्व अल्जाइमर दिवस, 21 सितंबर को हर साल मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाई जा सके. इस साल इस बीमारी की थीम चलेंजिंग स्टिग्मा रखा गया है.
अल्जाइमर क्या है?
अल्जाइमर मस्तिष्क की एक अपक्षयी बीमारी (Degenerative Disease) है. ये धीरे-धीरे मस्तिष्क के ब्रेन सेल्स (न्यूरॉन्स) को कम करता जाता है. लोगों का तब तक इस बीमारी पर ध्यान नहीं जाता जब तक कोई बड़ा नुक्सान नहीं होता. अल्जाइमर रोग इंटरनेशनल के अनुसार दुनिया में 80 से अधिक अल्जाइमर संगठन का एक समूह है. अल्जाइमर के मरीज को इसके लक्षण दिखाई देने में 20 साल लगते हैं, ज्यादातर लोग इस बीमारी से अनजान रहते हैं.
अल्जाइमर बीमारी होने के सटीक कारण क्या हैं इसका पता नहीं चल पाया है, ये बीमारी विकसित होने की वजह से कुछ फैक्टर्स एक व्यक्ति को अधिक जोखिम में डाल सकते हैं. अल्जाइमर सोसाइटी, यू.के. (Alzheimer’s Society, U.K.) ने इनमें से कुछ फैक्टर्स की लिस्ट दी है.
अल्जाइमर फैक्टर्स लिस्ट:
- उम्र: ये बीमारी बुजुर्ग लोगों को ज्यादा होती है, 65 वर्ष की आयु के बाद हर पांच साल में अल्जाइमर का जोखिम दोगुना हो जाता है.
- जेंडर: पुरुषों के मुकाबले ये बीमारी महिलाओं को होने के दो गुना ज्यादा संभावनाएं होती हैं.
- फैमली हिस्ट्री: आम धारणा के विपरीत, अल्जाइमर के अधिकांश मामले जेनेटिक नहीं होते, कुछ दुर्लभ मामलों में आनुवंशिकता पैटर्न देखा जाता है, इस बीमारी की शुरूआत 65 वर्ष की आयु से पहले होती है.
- लाइफस्टाइल और हेल्थ: जो लोग हेल्थी लाइफस्टाइल नहीं जीते हैं, उनमें अल्जाइमर विकसित होने का खतरा अधिक होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपके परिवार में किसी को अल्जाइमर है, तो भी आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर अपने जोखिम को कम कर सकते हैं.
- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर , मोटापा और डिप्रेशन जैसी कुछ बीमारियां अल्जाइमर की बढ़ती संभावना से जुड़ी हैं.
शुरूआती संकेत:
आमतौर पर अल्जाइमर का शुरूआती संकेत मेमोरी लॉस है. व्यक्ति उन चीजों को भूलने लगता है जो उन्हें हाल ही में बताई गई हैं, इनमें महत्वपूर्ण तारीखें और साथ ही रोजमर्रा की चीजें शामिल होती हैं. इसके साथ ही, प्रारंभिक अवस्था में सीखने की क्षमता और तर्क और निर्णय में धीरे-धीरे गिरावट देखी जाती है. आखिरकार ये लक्षण कन्फ्यूजन बन जाते हैं, जिसकी वजह से रोजमर्रा के काम करने में कठिनाई होती है. व्यक्ति चीजों को रखकर भूलने लगता हैं और उसके सोचने समझने की क्षमता, टाइम और जगह का सेंस खोने लगता है. सोशल एक्टिविटी से पीछे हटना, डिप्रेशन, टेंशन आदि अल्जाइमर के कुछ अन्य लक्षण हैं.
हर प्रकार का डिमेंशिया अल्जाइमर नहीं होता है
जैसे-जैसे लोग बूढ़े होते जाते हैं, वे चीजों को भूलने लगते हैं. लेकिन वो इस सच से अनजान होते हैं कि वे कुछ भूल गए हैं, लेकिन आखिर में उन्हें वो भूली हुई बात याद आ जाती है. हालांकि, अल्जाइमर के रोगियों को आमतौर पर उनके डिमेंशिया के बारे में पता नहीं होता है.
पैथोफिज़ियोलॉजी: मस्तिष्क में क्या होता है?
मानव मस्तिष्क कोशिकाओं का एक जटिल नेटवर्क है, जो शरीर के सभी फंक्शन को कंट्रोल करता है. मस्तिष्क के एक छोटे से हिस्से में एक छोटा सा बदलाव भी इस पूरी प्रक्रिया को बाधित कर सकता है. अल्जाइमर के मरीज़ों के मस्तिष्क में ऐसी दो समस्याएं पाई गई हैं - बीटा-एमिलॉयड प्रोटीन और टॉ फाइबर (beta-amyloid protein and tau fibres) जबकि बीटा-एमिलॉइड नर्व सेल्स के बीच जमा होकर प्लाक बनाते हैं और टॉ फाइबर ब्रेन सेल्स के अंदर इकट्ठा होते हैं. दोनों मिलकर ब्रेन सेल्स के बीच संचार को बाधित करते हैं, जिससे मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि स्वस्थ लोगों में भीं दोनों कंपाउंड की मात्रा विकसित हो सकती है. लेकिन अल्जाइमर से पीड़ित लोग उन्हें बहुत अधिक मात्रा में विकसित करते हैं, मेमोरी सेक्शन से शुरू होने वाले ये कंपाउंड फिर मस्तिष्क के दूसरे भागों में फैल जाते हैं.
बचाव और इलाज:
अल्जाइमर ज्यादातर पेशंट और फैमली हिस्ट्री, लक्षणों के बारे में बात कर पहचाना जाता है. इसके अलावा ब्रेन इमैजनिंग बीटा-अमाइलॉइड प्रोटीन डिपोजिट जांच के जरिए भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है. अब तक अल्जाइमर के लिए कोई उपचारात्मक इलाज नहीं है. दवाइयां आमतौर पर अल्जाइमर के लक्षणों और हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए दी जाती है. इसके बावजूद अल्जाइमर का इलाज सबसे महंगा है. वर्तमान में डिमेंशिया के इलाज का ग्लोबल कॉस्ट लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर आंकी गई है.