रविवार को सूर्य-पूजा कर अर्घ्य दें, दरिद्रता दूर होगी! भूलकर भी न करें ये गलतियां!
सूर्य पूजा ( photo credit : Wikimedia Commons)

सूर्य-पूजा : हिंदू धर्म के अनुसार रविवार (Sunday) भगवान भास्कर यानी  सूर्यदेव (sooryadev) को समर्पित दिन होता है. इस दिवस विशेष पर सूर्य देव की विशेष पूजा- अर्चना करते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो लोग रविवार को सूर्य की विशेष पूजा करते एवं विधिवत सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं, उन्हें घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है, और दरिद्रता दूर होती है.

ज्योतिष विज्ञान में सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है. उन्हें अर्घ्य देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ऐसा करने से मन ही नहीं तन को भी शांति मिलती है, कहने का तात्पर्य यह है कि शरीर रोग मुक्त और जिंदगी खुशहाली बनती है. शास्त्रानुसार सुबह सूर्य की पहली लालिमा पर दिया गया अर्घ्य सर्वोत्तम माना जाता है, लेकिन सूर्य को अर्घ्य देते समय कुछ विशिष्ट बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. क्योंकि छोटी-सी गलती भी उलटा परिणाम दे सकती है,  आइये जानें किन गलतियों से आपको बचना है.

* स्नान-ध्यान के बाद ही सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए.

दिन में 8 बजे के बाद जल चढ़ाने से कोई लाभ नहीं मिलता है. वैसे इसके लिए सर्वोत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त ही माना जाता है.

अर्घ्य देते समय स्टील, लोहा, चांदी, शीशा, मिट्टी और प्लास्टिक इत्यादि के बर्तनों का प्रयोग वर्जित माना जाता है. सूर्यदेव को तांबे के पात्र से ही जल अर्पण करना श्रेयस्कर होता है.

सूर्य-पूजा से नवग्रह भी मजबूत होते हैं. तांबे के लोटे में जल में गुड़, लाल पुष्प और चावल मिला कर ही अर्घ्य देना लाभकारी होता है. अपने मन से कुछ भी करने से बचें. यह भी पढ़ें : Ratha Saptami 2021: सूर्य की उपासना का पर्व है रथ सप्तमी, जानें अचला सप्तमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

* सूर्य देव को जल पूर्व दिशा की ओर ही मुख करके ही अर्पित करना चाहिए.

किसी दिन अगर सूर्य देव नजर ना आयें, तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल दें.

* सूर्य को जल अर्पित करते हुए उसमें पुष्प या अक्षत (चावल) जरूर रखें. कई लोगों का मानना है कि जल अर्पित करते समय पैर में जल की छीटें पड़ने से फल नहीं मिलता, लेकिन यह सच नहीं है.

* सूर्य को जल अर्पित करते समय सूर्य-मंत्र का जाप अवश्य करें, तभी पुण्य प्राप्त होता है.

* लाल रंग के वस्‍त्र पहन कर धूप, दीप से सूर्यदेव का पूजन करने के बाद ही अर्घ्य देना चाहिए.