कहते हैं कि देवो के देव महादेव (Mahadev) भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से प्रसन्न होकर उनके मन की सारी मुरादे पूरी करते हैं. जो भी पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव (Lord Shiva)को स्मरण करता है, वो उसे बड़ी ही आसानी से अपना लेते हैं. भगवान शिव अपने भक्तों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करते हैं. चाहे असुर हो, देवता हो या फिर मनुष्य हो, भगवान शिव हर किसी पर कृपा करते हैं. यही वजह है कि भक्त उन्हें भोलेनाथ (Bholenath) भी कहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अपने भक्तों को जीवनदान देने वाले और उनकी समस्त कामनाओं को पूरी करने वाले भगवान शिव को भी अपने प्राण बचाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा था.
आखिर भगवान शिव को किसके डर से अपने प्राणों को बचाने के लिए गुफा में छुपना पड़ा, चलिए जानते हैं इससे जुड़ी एक दिलचस्प पौराणिक कथा (Mythological Story). यह भी पढ़ें: Maha Shivratri 2019: जब भगवान शिव ने मगरमच्छ बनकर ली थी मां पार्वती की परीक्षा, जानिए इससे जुड़ी यह दिलचस्प पौराणिक कथा
भस्मासुर ने की भगवान शिव की कठोर तपस्या
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भस्मासुर ने दुनिया का सबसे ताकतवर असुर बनने की चाह में भगवान शिव की कठोर तपस्या की. उसकी कठोर तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उसे दर्शन देकर वरदान मांगने के लिए कहा. भगवान शिव के सामने नतमस्तक होते हुए भस्मासुर ने उनसे अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन अमर होने का वरदान सृष्टि के नियमों के खिलाफ था, लिहाजा शिवजी ने यह वरदान देने से इंकार कर दिया. भगवान शिव ने कहा कि जो इस संसार में आया है उसे एक न एक दिन जाना ही होगा. भगवान शिव के इस वचन को सुनकर भस्मासुर ने दूसरा वरदान मांगा कि वो जिसके भी सिर पर हाथ रखे वो जलकर भस्म हो जाए.
भस्मासुर ने शिव जी को बनाया अपना शिकार
इस पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव से वरदान मिलते ही भस्मासुर ने सबसे पहले शिव जी को ही अपना शिकार बनाया. भगवान शिव अपने दिए हुए वरदान को वापस नहीं ले सकते थे, इसलिए अपने प्राण बचाने के लिए उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ा. भगवान शिव भस्मासुर से अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए एक गुफा में जाकर छुप गए. फिर जैसे-तैसे अपने प्राण बचाकर वो भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें पूरी बात बताई. कहा जाता है कि भगवान शिव जिस गुफा में छुपे थे उसे गुप्त धाम के नाम से जाना जाता है.
भगवान विष्णु ने धारण किया मोहिनी का रूप
भगवान शिव की बात सुनकर असुर भस्मासुर का अंत करने के मकसद से भगवान विष्णु ने अत्यंत सुंदर स्त्री मोहिनी का रूप धारण किया. जब भस्मासुर की नजर मोहिनी पर पड़ी तो वो अपने होश खो बैठा. मोहिनी की सुंदरता के जाल में भस्मासुर इस कदर फंस गया कि उसे यह याद ही नहीं रहा कि वो शिव जी की तलाश क्यों कर रहा था. मोहिनी के मनमोहक रूप को देखकर भस्मासुर ने उससे पूछा कि क्या वो उससे विवाह करेगी? जवाब में मोहिनी ने कहा कि वो एक नर्तकी है और उसी युवक से विवाह करेगी जो उसकी तरह नृत्य करना जानता हो. यह भी पढ़ें: Maha Shivratri 2019: भगवान शिव संहारक ही नहीं पारिवारिक भी हैं, जानिए कैसे?
अपने ही वरदान से भस्म हो गया भस्मासुर
भस्मासुर को नृत्य करना नहीं आता था, लेकिन वो मोहिनी से विवाह करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो गया. उसने मोहिनी से नृत्य सीखने में मदद मांगी. मोहिनी भस्मासुर को नृत्य सीखाने के लिए तैयार हो गई. मोहिनी ने भस्मासुर से कहा कि वो जैसे-जैसे नृत्य करेगी, वैसे-वैसे भस्मासुर को उसमें कदम मिलाना होगा. इसके बाद नृत्य करते-करते मोहिनी ने अपना हाथ अपने सिर पर रखा और उसे देखकर भस्मासुर ने भी भगवान शिव के दिए हुए वरदान को भूलकर अपने हाथ को सिर पर रख लिया. जिसके कारण वो भगवान शिव द्वारा दिए गए वरदान से स्वयं ही जलकर भस्म हो गया.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.