Ram Navami 2021: कब है रामनवमी? जानें क्यों और कैसे हुआ श्रीराम का जन्म? क्यों की जाती है इस दिन सूर्य-पूजा?
भगवान राम (Photo Credits; Wikimedia Commons)

रामनवमी 2021: विष्णु पुराण (Vishnu Purana) के अनुसार त्रेता युग में जब पृथ्वी पर चारों ओर अधर्म और अत्याचार का बोलबाला था, राक्षस ऋषि-मुनियों के यज्ञ को विध्वंश करने लगे थे, तब भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना के लिए श्रीराम के रूप में पृथ्वी पर सातवां अवतार लिया था. कहते हैं कि जिस दिन भगवान विष्णु ने राम के रूप में महारानी कौशल्या (Kaushalya) की गर्भ से जन्म लिया था, वह दिन चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी का दिन था. इसीलिए हिंदू धर्म के लोग इस दिन को रामनवमी के नाम से मनाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष रामनवमी का पर्व 21 मार्च 2021 को मनाया जायेगा.

कैसे मनाते हैं रामनवमी?

भगवान श्रीराम को मर्यादा का प्रतीक मानते हुए उन्हें पुरुषोत्तम कहा जाता है, अर्थात पुरुषों में सर्वोत्तम. चैत्र मास की शुक्लपक्ष की पूर्णिमा की नवमी तिथि पर सारा देश रामनवमी (Ram Navami) मनाता है. इस दिन प्रातःकाल जगह-जगह प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं, इसमें प्रभु श्रीराम के गुणगान में कीर्तन भजन इत्यादि गाये जाते हैं. बहुत सी जगह पर अष्टमी के दिन रामचरित मानस का अखण्ड पाठ शुरु होता है और नवमी यानी श्रीराम के जन्म के समय उसका समापन किया जाता है. इसके पश्चात हवन होता है. इस दिन राम मंदिरों में श्रीराम स्त्रोत का पाठ होता है. दिन के बारह बजते ही श्रीराम का जन्मोत्सव बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दरम्यान श्रीराम लला की बालपन की प्रतिमा को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराकर नये-नये वस्त्र एवं आभूषण पहनाकर झूले पर बिठाया जाता है. बारह बजते ही झूला झुलाकर उनका जन्मोत्सव मनाते हुए 'जय श्रीराम' का उद्घोष किया जाता है. राम भक्त उपवास रखते हैं. मान्यता है कि श्रीराम जन्म के अवसर पर उपवास रखकर श्रीराम की पूजा-अर्चना करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, एवं और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्योपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है.

क्यों होती है इस दिन सूर्य-पूजा?

राम नवमी के दिन सूर्य पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि श्रीराम रघुकुल वंश के थे. राजा रघु बहुत वीर, प्रतापी और दानवीर थे, जिन्होंने एक युद्ध में इंद्र को भी परास्त कर दिया था. श्रीराम राजा रघु के प्रपौत्र थे. रघु का आशय सूर्य होता है. इसी वजह से श्रीराम को सूर्यवंशी भी कहा जाता है. इसीलिए रामनवमी के दिन सूर्य-पूजा पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ की जाती है. यह भी पढ़ें : Chaiti Chhath Puja 2021: बिहार में नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व चैती छठ प्रारंभ

कैसे हुआ श्रीराम का जन्म?

रघुवंशी सम्राट राजा दशरथ (Raja Dasharatha) जिनका प्रताप दशों दिशाओं में व्याप्त था, लोग उनकी वीरता और शौर्य की मिसालें देते थे. संतान प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने तीन विवाह किये थे, इसके बावजूद उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हुई. उन्होंने विद्वान ऋषि-मुनियों से इस विषय में राय-मशविरा किया तो ऋषियों ने उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी. यज्ञ के पश्चात ऋषियों ने प्रसाद के रूप में राजा दशरथ को खीर देते हुए कहा कि वह इसे अपनी पत्नियों में बांट दें राजा दशरथ ने वह खीर अपनी सबसे प्रिय पत्नी कौशल्या को दे दिया. कौशल्या ने खीर का आधा हिस्सा कैकेयी को दिया. इसके बाद कौशल्या और कैकेयी ने अपने खीर का आधा-आधा हिस्सा सुमित्रा को दे दिया. खीर खाने के पश्चात चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी के दिन कौशल्या ने श्रीराम को, कैकेयी ने भरत और सुमित्रा द्वारा दो हिस्सा खाने से दो पुत्रों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया.

राम नवमी पूजा मुहूर्तः

दिन 11.02 से 13.37 बजे तक (21 अप्रैल 2021)

नवमी आरंभः 00.42 बजे से (21अप्रैल 2021)

नवमी समाप्तः 00.34 बजे तक (22 अप्रैल 2021)