सनातन धर्म (Sanatan Dharma) मानने वालों के घरों में लगभग सभी लोग श्रीकृष्ण जन्मोत्सव (Shri Krishna Janmashtami) एकदम अपने बच्चे के जन्मोत्सव की तरह मनाते हैं. आइये जानें आज रात 12 बजे जब श्रीकृष्ण लला (Shri Krishna Lalla) जन्म लेंगे तो कैसे उनका स्नान-श्रृंगार एवं पूजन करें. Janmashtami 2021: जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर दिल्ली के बिरला मंदिर में लोगों ने की पूजा, देखें तस्वीरें
भागवद पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद (भादों) के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन मध्यरात्रि (रात 12 बजे) मथुरा में हुआ था. रात के बारह बजते ही नार वाले खीरे को काटकर उसमें से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म करवाएं. मान्यता है कि नार वाला खीरा माँ देवकी के गर्भ का प्रतीक होता है. इसीलिए इस दिन खीरा नहीं खाया जाता. अब एक बड़े थाल में कृष्ण लला की प्रतिमा रखकर दक्षिणावर्ती शंख में पंचामृत (दूध, दही, शुद्ध घी, शहद एवं शक्कर का मिश्रण) भरकर कृष्ण लला को अच्छी तरह से स्नान करायें. तत्पश्चात उन्हें गंगाजल से स्नान करायें. थाली में जो पंचामृत इकट्ठा हुआ है, उसे एक गहरे पात्र में रखकर उसमें तुलसी का पत्ता डाल दें. कृष्ण लला को स्वच्छ एवं मुलायम कपड़े से अच्छी तरह पोछें, और
झूले में बिठाकर पीतांबर (पीले रंग का अलंकृत वस्त्र) पहनाएं. सिर पर मुकुट, गले में वैजयंती माला पहनाएं. मुकुट में मोर का पंख लगायें. अब अन्य आभूषणों से अलंकृत करें. मस्तक पर तिलक लगायें. बगल में उनकी प्रिय राधा की मूर्ति एवं बांसुरी रखें. अब झूला झुलाते हुए कृष्ण लला की जय-जयकार करें. “ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय”. मंत्र का 108 बार उच्चारण करें. इसके पश्चात भगवान कृष्ण लला को माखन, मिश्री, खीर, पंजीरी एवं खोये के मिष्ठान का भोग लगायें. इस बात का ध्यान रहे कि उनके प्रत्येक भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें. इसके बिना उनका भोग अधूरा माना जाता है.
भोग लगाने के पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की आरती उतारते हुए गायन करें
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,, 2
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला .
श्रवण में कुण्डल झलकाला,सनंद के आनंद नंदलाला .
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली .
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंजबिहारी की…
कनकमय मोर, मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं .
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की…
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
आरती कुंजबिहारी की..
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू .
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू, हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की..
आरती कुंजबिहारी की…2
आरती पूरी होने के पश्चात प्रसाद एवं पंचामृत को लोगों में बांट कर स्वयं भी ग्रहण करें. मान्यता है कि श्रीकृष्ण लला का व्रत एवं जन्मोत्सव मनाने वाले की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से निसंतान को संतान, निर्धन को धन, कुंवारी कन्याओं को उनकी पसंद का वर एवं रोगियों को निरोगी काया प्राप्त होती है.