COVID-19 Vaccine Updates: भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोवैक्सीन (COVAXIN) का अलग-अलग शहरों में ट्रायल शुरू किया जा रही है. कोरोनावायरस वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) के चरण -3 के परीक्षण आज बेंगलुरु अस्पताल (Bengaluru Hospital) में शुरू होगा. यह बेंगलुरु के क्लिंटैक इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और व्यादेई अस्पताल ने वैदेही इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर में भारत बोटेक वैक्सीन परीक्षण के तीसरे चरण की शुरुआत की.
एक तरफ जहां वैक्सीन के तीसरे ट्रायल के बीच लोगों में भी हलचल तेज हो गई है, हर गली, नुक्कड़ और चौराहे पर सिर्फ वैक्सीन आने के लोग दिन गिन रहे हैं. ऐसे में लोग खुद को वायरस से सुरक्षित रखने के बजाय वैक्सीन से जुड़ी कई अफवाहें और चर्चाएं कर रहे हैं. ऐसी ही अफवाहों पर विराम लगाने और वैक्सीन से जुड़ी तमाम अहम जानकारी के लिए गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. ले.जनरल वेद चतुर्वेदी से खास बातचीत की, जहां उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए और वैक्सीन को बनाने में प्रयोग किए गए मटेरियल के बारे में भी बताया. यह भी पढ़ें: Covid-19 Vaccine Updates: अहमदाबाद में जायडस बायोटेक के प्लांट पहुंचे PM मोदी, कोरोना वैक्सीन की ली जानकारी
वैक्सीन पर पीएम और वैज्ञानिकों के बीच हुई चर्चा को कैसे देखते हैं?
वैक्सीन बनाने के लिए तमाम संस्थाएं काम कर रही हैं. देश के प्रधानमंत्री होने की जिम्मेदारी निभाते हुए पीएम मोदी हर चीज पर नज़र बनाए हुए हैं. वो केवल वैक्सीन के शोध नहीं बल्कि इससे कहीं आगे सोचते हैं. हमारे वैज्ञानिक व उनकी टीमें दिन रात लग कर हमारी सुरक्षा के लिए वैक्सीन तैयार कर रहे हैं. प्रधानमंत्री उनका हौसला बढ़ाने के लिए उनसे संवाद कर रहे हैं. कोई कितना भी बड़ा योद्धा हो अगर उसे जनता का सहयोग और सराहना मिलती है तो उत्साह और बढ़ जाता है. पीएम मोदी देशवासियों की तरफ से वैज्ञानिकों को यही बताना चाहते हैं कि हम सब उनके साथ खड़े हैं.
भारत में किस तरह की वैक्सीन आने की उम्मीद है?
फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन बनाने में जेनेटिक मटीरियल का प्रयोग कर रही हैं, जो कि वायरस का काम करता है. अगर शरीर में पहले ही उस तरह का वायरस मौजूद रहेगा तो बाहर से अंदर जाना वाला वायरस नकारात्मक प्रभाव नहीं करेगा. यह 95 प्रतिशत तक प्रभावी बताई जाती है. ऑक्सफोर्ड और स्पूतनिक वैक्सीन बनाने में वायरल वैक्टर को प्रयोग कर रही हैं. ये 80-85 प्रतिशत तक प्रभावी होती है. इस वैक्सीन को डीप फ्रीज़ करने की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन जेनेटिक मटीरियल वाली वैक्सीन को डीप फ्रीज़ करने की जरूरत होती है. हम दोनों तरह की वैक्सीन का प्रयोग कर सकते हैं.
वैक्सीन आने पर उसकी कितनी खुराक दी जाएगी?
अभी वैक्सीन की दो खुराक दी जाएंगी. अब कितने अंतराल पर दी जाएंगी, यह अभी यह तय नहीं किया गया है. चूंकि अभी शोध जारी है इसलिए खुराक बदल भी सकती है. यह भी पढ़ें: COVID-19 Vaccine Update: स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा- 2021 की शुरुआत में भारत में उपलब्ध होगी कोरोना वैक्सीन
वैक्सीन को लेकर कई तरह की भ्रामक खबरें भी चल रही हैं, उन पर क्या कहेंगे?
समाज में अलग-अलग तरह के लोग रहते हैं जो बेवजह भ्रामक खबरें फैलाते हैं. जैसे हाल ही में किसी ने एक वैक्सीन के बारे में कहा कि इससे उसकी सोचने समझने की छमता कम हो गई है और कंपनी के खिलाफ केस कर दिया, जबकि किसी भी वैक्सीन को बनाने और ह्यूमन ट्रायल से पहले वैज्ञानिक काफी परीक्षण करते हैं. सभी से अपील है कि आप भ्रामक खबरों में न फंसे.
सामान्यत: वैक्सीन बनाने में कितना समय लगता है?
इन्फ्लूएंजा वैक्सीन, पोलियो, टिटनेस वैक्सीन हो इन सब को बनाने में करीब 15 साल लग गए. दरअसल वैक्सीन के परीक्षण में काफी समय लग जाता है. कोरोना काल में जो भी परीक्षण हो रहे हैं लोग उन पर यह चर्चा कर रहे हैं कि ये प्रभावी होंगी कि नहीं. ऐसा मत सोचें, क्योंकि शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी 6 महीने रहेंगे या एक साल तक, यह अभी कह नहीं सकते. इस समय वैक्सीन को इमरजेंसी में मान्यता दी जा रही है. इसे लेकर परेशान नहीं होना है, जो भी वैक्सीन आएगी वो सुरक्षित होगी.