![Hanuman Jayanti 2024: साल में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती? जानें क्या है इसका रहस्य? Hanuman Jayanti 2024: साल में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती? जानें क्या है इसका रहस्य?](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2024/04/Hanuman-Jayanti-380x214.jpg)
हिंदू धर्म शास्त्रों में हनुमान जयंती का विशेष महत्व बताया गया है, लेकिन यह बात सभी को दिग्भ्रमित करती है कि पवन पुत्र हनुमान जी की जयंती साल में एक बार नहीं बल्कि दो बार मनाई जाती है, ऐसे में हनुमान भक्त यह तय नहीं कर पाते कि किस दिन उन्हें हनुमान जयंती मनाना चाहिए? क्योंकि कोई एक व्यक्ति दो बार जन्म नहीं लेता है. जहां तक हनुमान जयंती दो बार मनाने की बात है तो एक हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा यानी इस वर्ष 23 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी, जबकि दूसरी हनुमान जयंती कार्तिक मास की चतुर्दशी को मनाई जाती है. यहां हमारे ज्योतिषाचार्य पंडित संजय शुक्ल हनुमान जी की दोनों जयंतियों के रहस्य से पर्दा उठा रहे हैं.
चैत्र मास पूर्णिमा की हनुमान जयंती!
पंडित शुक्ला के अनुसार पौराणिक ग्रंथों में हनुमानजी के संदर्भ में कई किवदंतियां प्रचलित हैं. कहते हैं कि भगवान शिव के रुद्रावतार हनुमान जी के पास बचपन से दिव्य शक्तियां थीं. एक बार पवन-पुत्र हनुमान जी को भूख लगी, उन्होंने सूर्य को फल समझकर खाने की चेष्टा की, तब देवराज इंद्र ने उन पर वज्र से प्रहार कर मूर्छित कर दिया. इस पर पवन देव क्रोधित हो उठे. उन्होंने वायु प्रवाह को रोक दिया. वायु प्रवाह थमने से पूरे ब्रह्माण्ड में त्राहिमाम् त्राहिमाम् मच गई. इसके बाद सभी देवी-देवताओं द्वारा संयुक्त प्रार्थना करने के बाद पवन देव ने वायु प्रवाह को शुरू कर दिया. इसके बाद ब्रह्मा जी ने मूर्छित हनुमान जी को पुनर्जीवित कर दिया. देवताओं ने भी हनुमानजी को अपनी-अपनी दिव्य शक्तियां प्रदान की. यह चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि थी. चूंकि यह हनुमानजी को यह दूसरा जीवन मिला था, इसलिए इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है. यह भी पढ़ें : Hanuman Jayanti 2024: भगवान शिव के रुद्रावतार हनुमान जी की जयंती पर क्या करें, और क्या करने से बचें!
कार्तिक मास काली चौदस को हनुमान जयंती
वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन स्वाति नक्षत्र में माँ अंजनी के गर्भ से हुआ था. कहते हैं कि भगवान हनुमान भगवान श्रीराम की सहायता के लिए आदिदेव शिव के अंश के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. उस समय निशीथ काल व्यापिनी के साथ और भी कई दुर्लभ एवं शुभ ग्रहों का संयोग बन रहा था. ज्योतिषियों के अनुसार शिवजी का रुद्र अवतार होने से हनुमान जी के पास बालपन से दिव्य शक्तियां मौजूद थीं. यह तिथि दीवाली से एक दिन पूर्व यानी नरक चतुर्दशी को पड़ती है. इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की भी पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है.