Friday Laxmi Poojan:  इस शुक्रवार को माता लक्ष्मी का शास्त्रोक्त विधि से करें पूजन! मिलता लक्ष्मीजी का अक्षय आशीर्वाद! दूर होती है दरिद्रता!
देवी लक्ष्मी (Photo Credits: File Images)

शुक्रवार लक्ष्मी-पूजन : वैसे तो हर शुक्रवार (Friday) का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. लेकिन इस वर्ष (2021) फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की सप्तमी को चंद्रमा वृश्चिक राशि और सूर्य कुंभ राशि में गोचर हो रहा है. इस दिन अनुराधा नक्षत्र रहेगा, जो लक्ष्मी-पूजन के लिए विशेष फलदायी वाला दिन माना जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन लक्ष्मीजी की षोडसोपचार विधि से पूजा-अर्चना करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है, लक्ष्मीजी की विशेष कृपा होने से धनागम के रास्ते खुल जाते हैं. कहने का आशय यह कि धन संबंधी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं. पुराणों में भी माता लक्ष्मी को धन और सम्रद्धि की देवी बताया गया है. पद्म पुराण में के अनुसार माता लक्ष्मी भृगु और ख्वाती की पुत्री हैं. मान्यता है कि लक्ष्मीजी द्वारा विष्णुजी को पति के रूप में वरण करने के बाद लक्ष्मी जी की शक्तियां बढ़ गई थीं.

लक्ष्मीजी के चार हस्त इन बातों का प्रतीक हैं

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित है कि लक्ष्मी जी को कमल का फूल बहुत प्रिय है. इसलिए कहते हैं कि कमल के फूलों के बिना उनकी पूजा पूरी नहीं होती है. लक्ष्मी जी के चार हाथों की अलग-अलग प्रकृतियां बताई जाती हैं. ये चार प्रकृतियां हैं दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था. कहते हैं कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन में इन चार बातों को अंगीकार कर ले, उसे कभी भी आर्थिक संकटों का सामना नहीं करना पड़ता. यद्यपि नियमबद्ध पूजा करने से भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपनेभक्तों पर अपनी कृपाओं की वर्षा करती हैं. इस बात का सदा ध्यान रखें कि घर में लक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना करने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पातीं.

मुख्य द्वार पर प्रज्जवलित करें घी का दीप!

इस शुक्रवार यानी आज के दिन लक्ष्मीजी की दो बार सुबह एवं शाम को पूजा करनी चाहिए. शाम को पूजा के बाद आरती अवश्य उतारें. शाम की पूजा और आरती का विशेष महत्व बताया गया है. शाम की पूजा के पश्चात लक्ष्मी के नाम से दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के बाहर रख देनी चाहिए. मान्यता है कि शुक्रवार के इस विशेष दिन माता लक्ष्मीजी भ्रमण के लिए पृथ्वी पर अवतरित होती हैं. जिस घर के मुख्यद्वार पर दीप प्रज्जवलित होता है, उसी घर में प्रवेश करती हैं. यह भी पढ़ें : March 5, 2021 Horoscope: जानें कैसा रहेगा आज का दिन, किस राशि की चमकेगी किस्मत

पूजा की शास्त्रोक्त विधिः

सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान के पश्चात तांबे के कलश में पानी के साथ थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर लक्ष्मीजी की प्रतिमा पर छिड़कें. इसके पश्चात खुद के बैठनेवाले आसन को भी गंगाजल से पवित्र करें. ऐसा करते हुए निम्न मंत्रों का जाप भी करें.

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

दायें हाथ में अक्षत, पुष्प और जल के साथ कुछ पैसे लेकर संकल्प मंत्र पढ़ते हुए संकल्प लें कि मैं (नाम लें) अमुक स्थान (आपके घर का पता) एवं समय माता लक्ष्मी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो. इसके पश्चात श्री गणेश व माता गौरी एवं तत्पश्चात कलश की पूजा करें. फिर नवग्रहों की पूजा करें, दाएं हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर नवग्रह स्तोत्र बोलें. तत्पश्चात भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें. अब महालक्ष्मी की पूजा करें. माँ लक्ष्मी जी की पूजा के लिए वेदों में कई महत्वपूर्ण मन्त्र दिये उल्लेखित हैं, जिसे आप सहजता से पढ़ लें उन्हीं मंत्रों का चयन करें. यह भी पढ़ें : Shabari Jayanti 2021: भगवान राम की परम भक्त थीं माता शबरी, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक कथा

धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः।

धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते।।

इसके बाद माता लक्ष्मी की आरती उतारें, और भगवान को भोग लगाकर प्रसाद लोगों को वितरित कर दें. ऐसा करने के बाद आप पायेंगे कि अर्थ संकट एवं नकारात्मक शक्तियां दूर होंगी और घर में सुख एवं समृद्धि का वास होगा.