Suddh Sawan Purnima 2023: कब है श्रावणी पूर्णिमा? कौन-कौन से पर्व पड़ेंगे इस दिन और क्या है इनका पूजा-विधि एवं महत्व?
Suddh Sawan Purnima 2023

इस वर्ष अधिक मास होने से श्रावण माह 59 दिनों का था, जिसके कारण अन्य मुख्य तिथियों की तरह श्रावण पूर्णिमा भी दो बार पड़ा है. अधिक मास श्रावण पूर्णिमा 1 अगस्त 2023 को मनाया गया, जबकि शुद्ध श्रावण पूर्णिमा 30 एवं 31 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा. इसे श्रावणी पूर्णिमा एवं कजरी पूर्णिमा आदि के नाम से भी मनाया जाता है. इस दिन स्नान-दान एवं जप-तप आदि करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. इसी दिन देश भर में रक्षाबंधन का पर्व भी मनाया जाता है. अत्यधिक शुभ तिथि होने के कारण बहुत सारे लोग इस यज्ञोपवीत पूजन एवं उपनयन संस्कार भी कराते हैं. आइये जानते हैं इस श्रावणी पूर्णिमा के महात्म्य, पूजा-विधि, मूल तिथि एवं शुभ मुहूर्त इत्यादि के बारे में विस्तार से. यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2023 Shubh Muhurat: रक्षा बंधन में बाधक बन रहा है भद्राकाल, जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

श्रावण पूर्णिमा का महत्व

हिंदू पंचांग में श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. श्रावण पूर्णिमा का यह पर्व संपूर्ण भारत में विभिन्न नामों, धार्मिक मान्यताओं एवं रीति-रिवाजों के अनुरूप मनाई जाती है. उत्तर एवं मध्य भारत में इस दिन जहां भाई-बहन के स्नेहमयी रिश्तों से बंधा रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत में नारियली पूर्णिमा जिसे नारली पूर्णिमा भी कहते हैं, एवं अवनी अवित्तम मनाई जाती है. मध्य भारत में इसे कजरी पूनम और गुजरात में पवित्रोपना के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इसी दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाकर शिवभक्त कांवड़िये अपनी यात्रा सम्पन्न करते हैं.

शुद्ध श्रावण पूर्णिमा प्रारंभः 11.00 AM (30 अगस्त 2023, बुधवार)

शुद्ध श्रावण पूर्णिमा समाप्तः 07.07 AM (31 अगस्त 2023, बुधवार)

उदया तिथि के अनुसार श्रावण पूर्णिमा व्रत 30 अगस्त 2023 तथा स्नान-दान 31 अगस्त 2023 को किया जाएगा. ध्यान रहे 30 तारीख को पूर्णिमा शुरू होने के साथ ही भद्राकाल भी लग रहा है, जो उसी रात्रि 09.01 बजे समाप्त होगा.

श्रावण पूर्णिमा व्रत और अनुष्ठान

श्रावण पूर्णिमा का पर्व भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न रीति-रिवाजों एवं परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है. अतः इस दिन लोग अपने-अपने तरीके से धार्मिक पूजा-पाठ करते हैं, तथा कुछ लोग व्रत भी रखते हैं.

* श्रावण पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है, इसलिए ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ पूजा करने से जिनकी कुंडली में चंद्र दोष होता है, उसे राहत मिलती है.

* श्रावण पूर्णिमा पर रक्षा बंधन के अवसर पर देवी-देवताओं का पूजन कर रक्षासूत्र बांधने चाहिए.

* इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा एवं व्रत का भी विधान है. दोनों की संयुक्त पूजा से घर में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है.

चूंकि यह श्रावण का अंतिम दिन होता है, इसलिए इस दिन भगवान शिव की उपासना जरूर करनी चाहिए. बहुत से लोग श्रावण की विदाई के इस अवसर पर रुद्राभिषेक भी करवाते हैं.

कजरी पूर्णिमा

श्रावण पूर्णिमा पर मध्य और उत्तर भारत के बहुत सारे हिस्सों में कजरी पूनम का पर्व भी विधि-विधान के साथ मनाया जाता है. इसके तहत श्रावण नवमी के दिन जो महिलाएं पत्तों से बने पात्र में मिट्टी डालकर जौ बोती हैं, उसे कजरी पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम के साथ नदी में विसर्जित करने जाती हैं. इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं स्वस्थ जीवन की कामनाओं के साथ व्रत रखती हैं, और पूजा करती हैं.