ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रावण अमावस्या का यह पर्व पितृ-पूजा के लिए बेहद खास माना गया है. इस दिन घर का बड़ा सदस्य पितृ-तर्पण कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है. इसके साथ-साथ इस दिन देवों का आवास माने जाने वाले वृक्षों मसलन पीपल, बरगद, केला, तुलसी एवं नींबू के रोपण का भी खास महत्व होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष श्रावण अमावस्या 7 अगस्त 2021 दिन शनिवार को पड़ रहा है. Sawan Pradosh 2021 HD Images: हैप्पी सावन प्रदोष! शेयर करें भगवान शिव के ये मनमोहक WhatsApp Wishes, Facebook Greetings, GIFs, Photos और वॉलपेपर्स.
श्रावणी अमावस्या का महत्व
हिन्दू धर्म में श्रावण अमावस्या का सर्वाधिक महत्व बताया गया है. क्योंकि यह भगवान शिव के प्रिय मास श्रावण में पड़ता है. इसके अलावा यह धार्मिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से भी बहुत खास माना जाता है. धार्मिक तथ्यों के अनुसार इस दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए हिंदू समाज जहां पिंडदान के साथ गरीबों एवं ब्राह्मणों को दान-धर्म करता है, वहीं इस दिन वृक्षों एवं पेड़-पौधों के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट की जाती है. शास्त्रानुसार इस दिन पीपल, बरगद, केला, तुलसी एवं नींबू के पौधे रोपना मंगलकारी होता है. इसी बहाने हम प्रकृति से प्राप्त सुविधाएं उसे वापस करते हैं, ताकि इनका लाभ हमारी अगली पीढ़ी भी अर्जित कर सके.
ऐसे करें पूजा-अनुष्ठान
श्रावणीय अमावस्या को पितृ-पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन घर का ज्येष्ठ पुत्र पितृ तर्पण कर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करता है. पितरों के पसंद का खाना बनाकर उसे ब्राह्मणों को खिलाया जाता है. मान्यता है कि श्रावण अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा-अनुष्ठान करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. बहुत से लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. व्रत रखने वाले प्रातः उठकर पवित्र नदियों में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं.
कोरोना काल में अगर नदी-स्नान संभव नहीं है तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है. इसके बाद सूर्य को जल अर्पित करने के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं. सायंकाल सूर्यास्त के बाद उपवास तोड़ा जाता है. श्रावण अमावस्या के अवसर पर देश के तमाम हिस्सों में मेलों का आयोजन भी होता है.
श्रावण अमावस्या पर ये कार्य अवश्य करें
श्रावण मास में बारिश के आगमन से पृथ्वी का कोना-कोना हरियाली एवं रंग-बिरंगे फूलों से खिल उठता है. श्रावण मास की अमावस्या पर पेड़-पौधों को नया जीवन मिलता है, इसे इंसान भी खुद को सुरक्षित समझता है. इस नजरिये से श्रावण मास की अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है. मान्यता है कि इस दिन निम्नलिखित धार्मिक कार्य अवश्य किये जाने चाहिए.
- इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना भी बहुत शुभ माना जाता है. क्योंकि मान्यता है कि इन वृक्षों एवं पौधों पर देव निवास करते हैं.
- मान्यता है कि इस दिन दैनिक पूजा-अर्चना के पश्चात मछली को चारा एवं चीटियों को आटा खिलाने से अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है.
- इस दिन किसी पवित्र नदी, जलाशय अथवा कुंड आदि में स्नान करने के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देें. इसके पश्चात पितरों के निमित्त पिण्डदान एवं तर्पण करें
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं पिण्डदान के साथ-साथ उपवास भी करना चाहिए, एवं उपवास तोडने से पहले किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा अवश्य देना चाहिए.
- श्रावणी अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान कर पीपल के वृक्ष की पूजा एवं इसके फेरों का आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है.
- श्रावण मास की इस अमावस्या को हनुमान चालीस का पाठ करना एवं उन्हें सिंदूर चढ़ाना बेहद शुभ एवं मंगलकारी माना जाता है.