सनातन धर्म में मोहिनी एकादशी व्रत बहुत पावन और पुण्यदायी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति पूरी निष्ठा एवं विधि-विधान के साथ व्रत एवं पूजा करता है, उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है. उसके जीवन में कभी कोई अभाव अथवा समस्याएं नहीं आतीं, और आती हैं तो वह उससे निपटने में सामर्थ्यवान हो जाता है, तथा जीवन के अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है. आइये जानें मोहिनी एकादशी के व्रत का महात्म्य, शुभ मुहूर्त, व्रत एवं पूजा विधान तथा पूजा के अंत में सुनने वाला अत्यंत फलदायक पौराणिक व्रत कथा आदि के बारे में विस्तार से.. यह भी पढ़ें: Ramanujacharya Jayanti 2023: रामानुजाचार्य को क्यों माना जाता है लक्ष्मण का अवतार? जानें इनके बारे में कुछ रोचक जानकारियां!
मोहिनी एकादशी व्रत का महात्म्य!
हिंदू धर्म शास्त्रों एवं पुराणों में मोहिनी एकादशी व्रत का काफी महात्म्य बताया गया है. इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों का वध करने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था, इसलिए इस एकादशी के दिन व्रत एवं भगवान विष्णु तथा माँ लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से जातक के सारे कष्ट एवं पाप मिट जाते हैं, तथा जीवन के सारे सुख भोगकर उसे विष्णुधाम में स्थान प्राप्त होता है. ऐसी भी मान्यता है कि जिस घर में मोहिनी एकादशी का व्रत एवं पूजन किया जाता है, वहां घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. जातक को धन, बुद्धि एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है.
व्रत एवं पूजा की विधि!
मोहिनी एकादशी को दिन केवल फलाहार लेना चाहिए. इस दिन चावल का सेवन प्रतिबंधित है. चूंकि यह व्रत दशमी की सायंकाल से शुरू हो जाता है, इसलिए दशमी पर सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करें. एकादशी को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. इस दिन कलश की स्थापना अवश्य करनी चाहिए. घर के मंदिर के सामने एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें. प्रतिमा के सामने जल भरे कलश में सिक्के, चावल, रोली, एवं पुष्प डालें. इसके बाद आम अथवा अशोक के पांच, सात अथवा नौ पत्ते रखें. इस पर लाल कपड़े में लपेटकर एक जटावाला नारियल रखें. विष्णुजी का ध्यान कर धूप-दीप प्रज्वलित करें. निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें.
'ॐ वासुदेवाय नमः'
श्रीहरि को पीला पुष्प, पीला चंदन, तुलसीदल, रोली, सिंदूर, सुगंध अर्पित करें, भोग के लिए फल एवं दूध निर्मित मिष्ठान चढ़ाएं. श्रीहरि की स्तुति गान करें. लक्ष्मीजी को लाल पुष्प एवं सिंदूर अर्पित करें. इस व्रत में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ बहुत लाभकारी साबित होता है. मोहिनी एकादशी की व्रत कथा सुनें. अंत में भगवान की आरती उतारकर सभी को प्रसाद वितरित करें. अगले दिन पारण करें.
मोहिनी एकादशी तिथि एवं मुहूर्त!
एकादशी प्रारंभः 08.28 PM (30 अप्रैल 2023, रविवार)
एकादशी समाप्तः 10.09 PM (1 मई 2023, सोमवार)
पारण का समयः 05.40 AM से 08.19 AM तक (2 मई 2023, मंगलवार)
इस वर्ष मोहिनी एकादशी पर भद्रा का साया एवं रवि योग होगा
भद्राकालः 09.22 AM से रात्रि 10.09 PM तक रहेगा.
रवि योगः 05.41 AM से 05.51 PM तक रहेगा
मोहिनी एकादशी व्रत कथा!
प्राचीनकाल में सुंदरनगर में धनपाल नामक धनी एवं बहुत व्यक्ति था. उसके 5 पुत्र थे. सबसे छोटा बेटा धृष्टबुद्धि अपने नाम के अनुरूप सदा बुरे कर्मों में लिप्त रहता था. पिता का धन लुटाता था. एक दिन धनपाल ने धृष्टबुद्धि से तंग आकर घर से निकाल दिया. धृष्टबुद्धि शोकग्रस्त होकर इधर-उधर भटकने लगा. एक दिन वह महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पहुंचा. उसने कौण्डिल्य ऋषि के समक्ष हाथ जोड़कर कहा, -हे ऋषिवर! मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिसे करके मैं अपने कष्टों से मुक्ति पा सकूं. कौण्डिल्य बोले, -वत्स तुम वैशाख मास की मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करो, एवं भगवान विष्णु की पूजा करो. इससे तुम्हारे जन्म-जन्मांतर के सारे पाप नष्ट हो जायेंगे. धृष्टबुद्घि ने ऋषि के सुझाव के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत एवं पूजा किया. इसके बाद वह सारे निष्पापों से मुक्त हो गया और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम को प्रस्थान किया.