Happy Krishna Janmashtami 2019: वेद-पुराणों में श्रीकृष्ण (Shri Krishna) को श्याम वर्ण यानी सांवले रंग (Blue Color) में वर्णित किया गया है. इस संदर्भ में ढेर सारी किंवदंतियां हैं. इन्हीं किंवदंतियों एवं मिथकों से आपको परिचय करवा रहे हैं. तो आइये जानें श्रीकृष्ण के सांवले होने का रहस्य क्या है.
सनातन धर्म के अनुसार जब-जब पृथ्वी पर असुरों एवं अधर्मियों का आतंक बढ़ा है, भगवान विष्णु ने उनका संहार करने के लिए भिन्न-भिन्न स्वरूपों में अवतार लिया. मान्यता है कि भगवान विष्णु ने कुल 23 अवतार लिए थे. श्रीकृष्ण उनके आठवें अवतार थे. उनके सांवले रंग के संदर्भ में कहा जाता है कि भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित होने से पूर्व देवकी के गर्भ में दो बच्चों का संयोग पैदा किया था. इसमें एक बच्चे का रंग सांवला और दूसरा गौर वर्ण का था. जब दोनों बच्चे पैदा हुए तो गौर वर्ण वाले बलराम एवं सांवले वर्ण वाले श्रीकृष्ण कहलाए.
विष्णु का वास भी नीलवर्ण क्षीर सागर में था
जैसा कि पूर्व में ही बताया गया कि श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे. विष्णु जी के बारे में हर पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित है कि वे हमेशा क्षीर सागर में शेषनाग की शैया पर आराम करते थे. चूंकि क्षीर सागर का रंग और ऊपर का आकाश नीलें रंग का होता है, इस वजह से श्रीकृष्ण को सांवला वर्ण मिला. हमारे धर्म शास्त्रों में उल्लेखित है कि प्रकृति द्वारा निर्मित अधिकांश दिव्य वस्तुओं समुद्र, आकाश का रंग नीला है, और इन सभी में साहस, धैर्य, शीतलता, त्याग, समर्पण जैसे भाव होते हैं. इसके साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि जिन लोगों के पास बुराइयों से लड़ने और उन पर विजय प्राप्त करने तथा जो लोग चरित्रवान होते हैं, उनके चरित्र नीले रंग के होते हैं. भगवान श्रीकृष्ण भी इन्हीं गुणों से सम्पन्न शांत एवं सहज स्वभाव के थे. ब्रह्म संहिता में भी श्रीकृष्ण को नीले बादलों के साथ छमछमाते हुए बताया गया है.
पूतना के विषैले स्तनपान का प्रभाव
श्रीकृष्ण के सांवले रंग के संदर्भ में एक मान्यता यह भी कि मामा कंस ने श्रीकृष्ण की हत्या के लिए कई तरह षड़यंत्र रचे थे. इसी क्रम में कंस ने शिशु कृष्ण को मारने के लिए राक्षसी पूतना को भेजा था. पूतना नंद गांव में एक ग्वालन का वेश धरकर प्रवेश करती है. रोते हुए शिशु कृष्ण को चुप कराने के बहाने पूतना कृष्ण को स्तनपान कराती है. उसे लगा कि विषैला दूध पीने से शिशु कृष्ण की मृत्यु हो जायेगी. लेकिन स्तनपान करते हुए श्रीकृष्ण पूतना का वध कर देते हैं. लेकिन विषैला दूध पीने के कारण बालकृष्ण का रंग नीला हो गया था. यह भी पढ़ें: Krishna Janmashtami Special 2019: भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए जपें, श्रीकृष्ण के 108 नाम
यमुना में कालिया नाग से युद्ध
एक दिन श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम और सखाओं के साथ यमुना के किनारे गेंद खेल रहे थे. खेलते-खेलते गेंद यमुना नदी में जा गिरी. गेंद निकालने के लिए बाल कृष्ण ने यमुना में छलांग लगाई, जहां पर कालिया नाग रहता था. कालिया के विष के प्रभाव से पूरे यमुना नदी का जल विषैला हो गया था. बाल लेने के लिए श्रीकृष्ण ने ज्यों ही यमुना में छलांग लगाई, कालिया नाग ने उन पर हमला कर दिया. इस युद्ध में श्रीकृष्ण ने कालिया को परास्त ही नहीं किया बल्कि उसे तुरंत यमुना छोड़ने का भी आदेश दिया. लेकिन विषैली यमुना नदी में कालिया नाग के साथ हुए युद्ध के कारण श्रीकृष्ण का रंग नीला पड़ गया, जो अंतिम समय तक नीला ही रहा.