Guru Nanak Jayanti 2020: सिख समुदाय के पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब में बताए गए ये 5 उपदेश बदल सकते हैं आपका जीवन
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी (Photo Credits: Wikimedia)

551st Parkash Purab and Gurupurab: गुरु नानक जयंती यानी गुरपुरब (Gurpurab) इस साल 30 नवंबर 2020 यानी आज दुनियाभर में मनाया जा रहा है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन इस दिवस को सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती (Guru Nanak Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) का जन्म संवत् 1526 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी में हुआ था जो अब पाकिस्तान में स्थित है. उनके जन्म स्थान को ननकाना साहिब (Nankana Sahib) के नाम से भी जाना जाता है. गुरु नानक देव जी ने छह सिख गुरुओं के साथ पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब में सिख धर्म के सिद्धांतों को लिखा था. सिख धर्म के इस पवित्र ग्रंथ को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के नाम से भी जाना जाता है और इसे शास्वत जीवित गुरु माना जाता है.

श्री गुरु ग्रंथ साहिब (Sri Guru Granth Sahib) का सार एक ऐसे समाज को देखना है जो दैवीय न्याय की नींव पर आधारित है, जहां किसी भी तरह का उत्पीड़न नहीं है. सिखों के इस पवित्र पुस्तक की रचना गुरु नानक देव, गुरु अंगद देव, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जन देव, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह जैसे सात महान सिख गुरुओं ने की है. यह ग्रंथ 1,430 पन्नों और 6,000 पंक्ति की रचनाओं से बना है. सिख समुदाय के लोगों द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं का सख्ती से पालन किया जाता है. चलिए गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के अवसर पर गुरु ग्रंथ साहिब से ऐसे पांच उपदेशों के बारे में जानते हैं, जो किसी भी व्यक्ति का जीवन बदल सकते हैं.

1- इन 5 बुराइयों से दूर रहें

गुरु ग्रंथ साहिब की महत्वपूर्ण शिक्षाओं में व्यक्ति को पांच प्रकार की बुराइयों से दूर रहने के लिए कहा गया है. इस ग्रंथ में अहंकार, क्रोध, लालच, लगाव और वासना जैसी पांच बुराइयों से दूर रहने का उल्लेख किया गया है. ये चीजें व्यक्ति को भ्रम के रास्ते पर ले जाती हैं और मोक्ष प्राप्त करने में बाधक बनती हैं. यह भी पढ़ें: Guru Nanak Jayanti 2019: गुरु नानक देव जी ने शुरू की थी लंगर की परंपरा, गुरुद्वारे में कोई भी त्योहार इसके बिना नहीं होता है संपन्न, जानें महत्व

2- एक ईश्वर

गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी ने कहा है कि केवल एक ईश्वर है. उन्होंने कहा है कि मैं न तो हिंदू हूं, न ही मुस्लिम, बल्कि ईश्वर का अनुयायी हूं. सिख धर्म में ईश्वर को सर्वव्यापी बताया गया है, जो निरंकार (निराकार), अकार (अनंत) और अलख (अदृश्य) हैं.

3- वंद चको, कीरत करो, नाम जपना

गुरु ग्रंथ साहिब के अनुसार, सिख धर्म में वंद चको, कीरत करो और नाम जपना का पालन अनुयायिकों को करना होता है. कीरत करो का अर्थ है- उन लोगों की मदद करना जो जरूरतमंद और असहाय हैं. कीरत करो यानी ईमानदारी से बिना किसी धोखाधड़ी के जीवन जीना चाहिए. नाम जपना का मतलब है भगवान के नाम का जप करना और हर समय उनको स्मरण करना.

4- वाहेगुरु- ईश्वर की इच्छा के अधीन

गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं के अनुसार, अनुयायियों को ईश्वर की इच्छा के अनुरुप चलना चाहिए. इसका मतलब है कि सब कुछ ईश्वर की इच्छा के अनुरुप है और जो कुछ भी होता है वो ईश्वर की इच्छा के कारण ही होता है. गुरु ग्रंथ साहिब की यह शिक्षा जीवन की सभी बाधाओं और अंधेरों को खत्म करने में मदद करती है. यह भी पढ़ें: Guru Nanak Jayanti 2019: गुरु नानक जयंती कब है? जानिए 550वें प्रकाश पर्व की शुभ तिथि और इसका महत्व

5- महिलाओं के लिए समानता

गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं के अनुसार, लिंग के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. इस पवित्र ग्रंथ में उपदेश दिया गया है कि महिलाएं भी पुरुषों के बराबर हैं और उनके अधिकारों के मामले में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए. महिलाओं को उतनी ही अनुमति है, जितनी पुरुषों को सार्वजनिक सभाओं, धार्मिक समारोहों और भगवान के नाम का जप करने में होती है.

गौरतलब है कि सिख धर्म के लोग गुरु ग्रंथ साहिब में बताई गई शिक्षाओं का पालन करते हैं. कहा जाता है कि जो लोग इसका पालन करते हैं उन्हें दिव्य और शाश्वत ज्ञान की प्राप्ति होती है. गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुमुखी लिपि, लाहंडा, संस्कृत, खड़ी बोली, ब्रजभाषा, फारसी और सिंधी जैसी कई भाषाओं में लिखा गया है.