Good Friday 2019: प्रभु यीशु का बलिदान दिवस है गुड फ्राइडे, जानिए कैसे मनाया जाता है त्याग और जनहित का यह पर्व
गुड फ्राइडे 2019 (Photo Credits: Pixabay)

Good Friday 2019: भारत विभिन्नताओं के समूह का ऐसा देश है, जो कहीं और नहीं मिलेगा. यहां जो भी पर्व मनाए जाते हैं, उनमें अनेकता में एकता (Unity In Diversity) नजर आती है. यहां कुछ पर्व ऋतु और मौसम के अनुरूप सेलीब्रेट किए जाते हैं तो कुछ सांस्कृतिक अथवा घटना विशेष से संबंधित होते हैं. ऐसा ही एक पर्व है गुड फ्राइडे (Good Friday). विशेष रूप से क्रिश्चियन समाज (Christian Community) द्वारा मनाया जाने वाला यह पर्व त्याग और जनहित का पर्याय माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन यीशू मसीह (Yeshu Masih) को सलीब पर चढ़ाया गया था... आखिर क्या है कहानी यीशू की और क्यों उन्हें लटकाया गया सलीब पर...

गुड फ्राइडे एक ऐसा विशेष दिन है जब यीशू मसीह ने अपने भक्तों के हित के लिए अपना बलिदान देकर अपने भक्तों के प्रति निःस्वार्थ प्रेम को दर्शाया था. उन्होंने तमाम विरोध और यातनाएं सहते हुए अपने प्राण त्यागे थे. यह पर्व यही संदेश देता है कि मानवता से बड़ा कुछ भी नहीं है, अगर मानवता के लिए जान न्योछावर करना पड़े तो सहर्ष कर देना चाहिए. जैसा कि प्रभु यीशू ने किया था

क्या है गुड फ्राइडे? 

ईसा मसीह को जिस दिन सलीब (सूली) पर चढ़ाया गया और उन्होंने प्राण त्यागे थे, बाइबल के अनुसार, उस दिन शुक्रवार यानी फ्राइडे था. इसलिए इस दिन को ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाया जाता है. यह अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से प्रायः अप्रैल माह में पड़ता है. इस दिन यीशू मसीह ने अमानवीय यातनाएं सहते हुए मानवता के लिए प्राण त्याग दिए थे. उन्होंने धरती पर बढ़ रहे अत्याचार और पाप के लिए बलिदान देकर निःस्वार्थ प्रेम की पराकाष्ठा का उदाहरण प्रस्तुत किया. इसलिए ‘गुड फ्राइडे’ को ‘होली फ्राइडे’ और ‘ग्रेट फ्राइडे’ भी कहा जाता है.

कैसे करते हैं सेलीब्रेट?

ईसाई समाज के लोग यीशू के बलिदान के दिन उपवास रखते हैं. इस दिन दोपहर के समय ईसाई समाज काले रंग के कपड़े पहनकर चर्च जाते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि क्रूस पर लटकाए जाने के तीन बजे के आसपास यीशू के प्राण निकले थे. चर्च में तीन घंटे तक शोक मनाया जाता है. इस दिन चर्च में मोमबत्तियां नहीं जलाई जाती. हर व्यक्ति प्रभु यीशू को अपने-अपने तरीके से याद करता है. कोई बीजारोपण करता है, कोई प्रभु यीशू से रिलेटेड पुस्तक पढ़ता है. कोई यीशू की प्रार्थना करता है. कहने का आशय यह दिन खुशियां सेलीब्रेट करने का नहीं, बल्कि प्रभु यीशू को खोने के बाद दुःख मनाने का होता है. यह भी पढ़ें: Weekly Calendar 15 To 21 April 2019: अप्रैल महीने के तीसरे सप्ताह में पड़ रहे हैं कई बड़े व्रत व त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट

क्या था घटनाक्रम?

कहा जाता है कि लगभग 2000 वर्ष पूर्व यरुशलम के गैलिली प्रांत के निवासी ईसा लोगों को मानवता, एकता और शांति का उपदेश देते हुए ईश्वर के प्रति आस्था जागृत कर रहे थे. वे खुद को ‘ईश्वर पुत्र’ कहते थे. वे धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरुओं को मानव जाति का शत्रु बता रहे थे. ईसा की निरंतर बढ़ती लोकप्रियता से चिंतित धर्मगुरुओं ने रोम के शासक पिलातुस के कान भरने शुरू किए कि स्वयं को ईश्वर-पुत्र बताना पाप है. अंततः ईसा पर धर्म और देश की अवमानना का आरोप लगाकर उन्हें सलीब (क्रूस) पर लटका कर मृत्यु-दंड का आदेश पास करवा लिया.

ईसा को शारीरिक यातनाएं दी गयीं

क्रूस पर लटकाने से पूर्व ईसा को तरह-तरह से शारीरिक यातनाएं दी गईं. उन्हें भारी क्रूस को कंधे पर ले जाने के लिए विवश किया गया, उन पर कोड़े और चाबुक बरसाये गये, उन पर थूका गया, गंदी शराब पीने को दिया गया और अंत में सलीब यानी क्रुस पर उनके हाथ-पैरों में कील ठोककर लटका दिया गया.