Akshaya Tritiya 2019: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर भगवान विष्णु ने धरती पर लिए थे ये 3 अवतार, जानें उनकी महिमा
भगवान विष्णु (Photo Credits: Facebook)

Akshaya Tritiya 2019: हिंदू धर्म में वैशाख महीने (Vaishakh Month) का धार्मिक महत्व बताया गया है और इस महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को बेहद शुभ व मंगलमय माना जाता है, जिसे अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) कहते हैं. कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन स्नान, दान, जप और तप करने से कभी न समाप्त होने वाले अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. इस तिथि को सिर्फ खरीदारी के लिए ही नहीं, बल्कि पौराणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल अक्षय तृतीया की यह शुभ तिथि 7 मई 2019 को पड़ रही है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी पावन तिथि पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के धरती पर तीन अवतार (Incarnation) हुए थे, इसलिए अक्षय तृतीया को बेहद शुभ माना जाता है. इसके साथ ही कहा जाता है कि इसी तिथि पर मातंगी देवी का भी प्राकट्य हुआ था. चलिए अक्षय तृतीया के इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु के तीन अवतारों के बारे में विस्तार से जानते हैं. यह भी पढ़ें: Akshaya Tritiya 2019: हिंदू धर्म में बताया गया है अक्षय तृतीया का खास महत्व, जानिए पूजा करने और सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त

1- नर-नारायण अवतार

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में नर-नारायण अवतार को चौथा अवतार माना जाता है. प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धर्म की पत्नी मूर्ति के गर्भ से भगवान विष्णु के नर-नारायण अवतार की उत्पत्ति हुई थी. उन्होंने यह अवतार धर्म की स्थापना के लिए लिया था. कहा जाता है कि द्वापर युग में नारायण ने श्रीकृष्ण और नर ने अर्जुन के रूप में अवतार लिया था.

2- हयग्रीव अवतार

जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि के 24 अवतारों में हयग्रीव अवतार को 16वां अवतार माना जाता है. उन्होंने धर्म और वेदों की रक्षा के लिए यह अवतार लिया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मधु और कैटभ नाम के दैत्य भगवान ब्रह्मा से उनके वेदों को चुराकर रसातल पहुंच गए. वेदों को सकुशल उन दैत्यों से वापस पाने के लिए ब्रह्माजी भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे. तब अक्षय तृतीया की पावन तिथि पर भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार लिया और दैत्यों से वेद वापस लेकर ब्रह्माजी को लौटाया.

3- परशुराम अवतार

अक्षय तृतीया की पावन तिथि पर भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में छठा अवतार लिया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीनकाल में महिष्मती नगरी में सहस्त्रबाहु नाम का एक क्षत्रीय राजा राज करता था और उसे अपनी शक्तियों पर बहुत अभिमान था. कहा जाता है कि एक बार अग्निदेव ने सहस्रबाहु से भोजन कराने के लिए कहा तो उसने कहा कि आप कहीं से भी भोजन प्राप्त कर सकते हैं, हर तरफ मेरा ही राज है. उसकी यह बात सुनकर अग्निदेव ने जंगलों को जलाना शुरू कर दिया और उन्होंने ऋषि आपव की कुटिया को भी जला डाला जहां वे तपस्या कर रहे थे. इससे क्रोधित होकर ऋषि ने सहस्त्रबाहु का श्राप दिया कि उसका सर्वनाश हो जाएगा. तब उसके सर्वनाश के लिए भगवान विष्णु ने महर्षि जमदग्नि के पांचवे पुत्र परशुराम के रूप में जन्म लिया.  यह भी पढ़ें: Akshaya Tritiya 2019 Wishes and Messages: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर WhatsApp Stickers, SMS, Facebook Greeting के जरिए भेजें ये मैसेजेस और दें सभी को शुभकामनाएं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के इन तीन अवतारों के अलावा अक्षय तृतीया को मातंगी देवी के प्राकट्य का दिन भी माना जाता है. कहा जाता है कि श्याम वर्ण वाली मातंगी देवी की आराधना सबसे पहले भगवान विष्णु ने ही की थी, इसलिए उन्हें श्रीहरि की आद्यशक्ति भी कहा जाता है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.