Difference Between Ramayana and Ramcharitmanas: क्या आप जानते हैं रामायण और श्रीरामचरितमानस के इन चौंकाने वाले फर्कों को?
Ramayana and Ramcharitmanas (img: flickr and Wikimedia Commons)

अकसर सवाल उठते हैं कि रामायण और रामचरितमानस दोनों में ही भगवान श्रीराम के जीवन की कथा का वर्णन किया गया है. सतही तौर पर रामायण और रामचरितमानस के बीच उनके लिखे जाने के समय के फर्क को सभी जानते हैं, दोनों ग्रंथों के लेखक और भाषा भी अलग हैं, रामायण महर्षि वाल्मीकि लिखित महाकाव्य है, जबकि रामचरितमानस महाकाव्य तुलसीदास जी ने लिखा है.हालांकि दोनों के मुख्य नायक भगवान श्रीराम हैं. प्रभु श्रीराम के जीवन की कहानी दुनिया को समान मैसेज देते हैं. एक त्रेता युग का समय था, दूसरा कलियुग का. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार वाल्मीकि ने 500 ईसा पूर्व से 100 ईसा पूर्व के बीच रामायण लिखी थी, वहीं रामचरितमानस साल 1633 में लिखा गया था. आइये जानते हैं इन ग्रंथों में मूल अंतर क्या है

रामायण और रामचरितमानस में अंतर

* रामचरितमानस में एक स्थान पर लक्ष्मण रेखा का उल्लेख है, लेकिन वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख कहीं नहीं है.

* यद्यपि रामचरितमानस मूल रामायण से दोहराई गई राम की कहानी है. तुलसीदास जी ने कलियुग के अनुसार श्रीराम को दिव्य अवतार पुरुष बताया है.

* रामायण की मूल रचना संस्कृत में की गई थी, जबकि रामचरितमानस की रचना अवधी में की गई थी. दोनों में भगवान राम की लोक कथाएं हैं,

* वाल्मीकि रामायण में जो युद्ध का वर्णन है, उसे ‘युद्ध कांड’ नाम दिया गया है, जबकि रामचरितमानस में उस प्रसंग को ‘लंकाकांड’ का नाम दिया गया है.

* वाल्मीकि रामायण महाकाव्य में 2400 संस्कृत में लिखे श्लोक हैं जो 7 खंडों में विभाजित हैं. इसकी रचना 500 से 100 ईसा पूर्व हुई थी. रामचरितमानस प्रभु श्री राम की स्तुति में लिखे श्लोकों का एक संग्रह है. इसके लिखे श्लोकों को भगवान शिव द्वारा देवी पार्वती को सुनाए गए कथन के रूप में दर्शाया गया है. गोस्वामी तुलसीदास ने इसे स्थानीय लोगों को समझने योग्य और सुलभ बनाने के लिए इसे स्थानीय बोली (अवधी बोली) में लिखा गया था. रामायण की तरह रामचरितमानस भी सात खंडों में विभाजित है

* रामायण संस्कृत में लिखे होने के कारण इसकी पठनीयता कम है, जबकि रामचरितमानस पठनीय भाषा में होने के कारण यह आधुनिक दुनिया को राम-कहानी को कैसे जोड़ती है, इस पर रामचरितमानस का अधिक प्रभाव पड़ा.

* रामायण और रामचरितमानस में एक अंतर यह है कि रामायण की रचना ऋषि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में की थी, जबकि रामचरितमानस की रचना तुलसीदास ने अवधी भाषा में की थी.

* रामायण राम के जीवन को दर्शाने वाली एक मौलिक कृति है. तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस रामायण की सबसे लोकप्रिय प्रति कृतियों में से एक है.

* रामायण 24,000 श्लोकों का एक संग्रह है. तुलसीदास ने रामचरितमानस को कविताओं के एक समूह के रूप में लिखा. उन्होंने इसे स्थानीय भाषा अवधी में लिखा था.

* नायक का चित्रण करते हुए, वाल्मीकि ने राम को एक सामान्य इंसान के रूप में दर्शाया. तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में प्रभु श्रीराम को भगवान विष्णु का अवतार बताया.

* वाल्मीकि रामायण राम के जीवन समाप्त तक की कृति है, वहीं रामचरितमानस श्रीराम के जुड़वा बच्चों लव और कुश के जन्म के साथ समाप्त होता है.

* वाल्मीकि रामायण में हनुमान वानर जनजाति के मानव हैं. रामचरितमानस में तुलसीदास ने हनुमान को दैवीय शक्तियों वाले वानर के रूप में चित्रित किया है.

* रामायण से पता चलता है कि राजा दशरथ की 350 पत्नियां थीं, हालांकि कहानी केवल कुंती, कैकेयी और सुमित्रा पर केंद्रित है. वहीं रामचरितमानस में राजा दशरथ की केवल तीन पत्नियाँ का जिक्र है.

* रामचरितमानस में सीता स्वयंवर की कई सुंदर झलकियां हैं. मगर मूल वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख नहीं है.

* रामायण के अनुसार राजा जनक ने अपने अतिथियों को जादुई धनुष दिखाया था. महर्षि विश्वामित्र उनसे मिलने गए, तो उन्होंने राम को इसे उठाने का प्रयास करने का सुझाव दिया. इसके बाद राम-सीता का विवाह हुआ. तुलसीदास ने रामचरितमानस में सीता स्वयंवर का विस्तृत वर्णन किया है.