Bhai Dooj 2018: प्रयागराज स्थित यमुना नदी में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, इस दिन स्नान करने से मिलती है 'यम यातना' से मुक्ति
भाई दूज पर यमुना नदी में आस्था की डुबकी (Photo Credits: ANI)

Bhai Dooj 2018:  हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. आज यानी 9 नवंबर को देशभर में भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाई दूज मनाया जा रहा है. मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए उनके घर गए थे और यमुना ने उनका तिलक करके उन्हें भोजन कराया था. इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उन्हें भोजन कराती हैं. खासकर इस पावन पर्व पर यमुना में स्नान व पूजा-अर्चना का अपना एक विशेष महत्व होता है.

मान्यता है कि भाई दूज यानी यम द्वितीया के दिन यमुना में स्नान व पूजा-अर्चना करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है. यही वजह है कि हर साल इस दिन भारी तादात में श्रद्धालु यमुना नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं.

भाई दूज के इस पावन अवसर पर प्रयागराज के बलुआघाट में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने यमुना नदी में आस्था की डुबकी लगाई. इस मौके पर अधिकांश भाई एवं बहनों ने अपने-अपने प्यार भरे रिश्तों को जन्म-जन्मांतर तक बरकार रखने और खुशहाली की कामना की.

मान्यता है कि इस दिन यमुना में स्नान करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मृत्यु का भय नहीं रहता है. यह भी पढ़ें: Bhai Dooj 2018: बहनें इस विधि से करें अपने भाई का तिलक, जानें सबसे पहले किसने मनाया था भाई दूज का यह पर्व

कहा जाता है कि सूर्यदेव ने तीनों लोकों के हित के लिए यमुनोत्री धाम में यमुना को पृथ्वी पर अवतरित कराया. यमुना जी समस्त पापों से विश्व को मुक्ति दिलाने वाली है. इतना ही नहीं इस दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना को यह वरदान दिया था कि वो हर साल भाई दूज पर अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए उनके पास पहुंचेंगे.

मान्यता है कि हर साल भाई दूज अर्थात कार्तिक शुक्ल द्वितीय को यम अपने सभी कार्यों को छोड़कर अपनी बहन यमुना को मिलने यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं. इसलिए कहा जाता है कि इस दिन यमुना में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और स्नान की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. यह भी पढ़ें: Bhai Dooj Wishes 2018: इन प्यारे Whatsapp और Facebook मैसेजेस के जरिए दें अपने भाई-बहनों को भाईदूज की शुभकामनाएं