Anant Chaturdashi 2022: कब है अनंत चतुर्दशी व्रत? एवं क्या है इस व्रत के नियम? जानें इसका महात्म्य, पूजा-विधि, मुहूर्त एवं कथा!
अनंत चतुर्दशी (Photo Credits: File Image)

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है. पूजा पूरी होने के पश्चात बांह पर अनंत सूत्र बांधने की प्रथा है. ये सूत्र वस्तुतः सूत अथवा रेशम के बने होते हैं, और प्रत्येक सूत्र में चौदह गांठ होती हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान गणेशजी की प्रतिमा का विसर्जन भी होता है.

हिंदू शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी के नियम

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को व्रत का विधान है. इस तिथि का निर्धारण चतुर्दशी तिथि सूर्योदय के पश्चात दो मुहूर्त में सम्पन्न होती है. यदि चतुर्दशी तिथि सूर्योदय के बाद दो मुहूर्त से पूर्व ही समाप्त हो जाये, तो अनंत चतुर्दशी का व्रत एक दिन पूर्व ही कर लेना चाहिए. अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा और सारे कर्मकांड इस दिन पूर्वार्ध में करने का विधान है, लेकिन किसी कारणवश पूर्वार्ध तक पूजा ना हो सके तो मध्याह्न में सम्पन्न कर लेना चाहिए. गौरतलब है कि यह चरण दिन सप्तम से नवम मुहूर्त तक ही होता है. यह भी पढ़ें : Teachers' Day 2022 Quotes: शिक्षक दिवस पर करें डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद, प्रियजनों को भेजें उनके ये 10 प्रेरणादायी विचार

अनंत चतुर्दशी का महत्व

पौराणिक ग्रंथों में अनंत चतुर्दशी का विशेष महात्म्य वर्णित है. मान्यताओं के अनुसार इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी. कहते हैं कि अनंत भगवान (विष्णु जी) ने सृष्टि के प्रारंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, पृथ्वी, भुव स्वः, जन, तप, सत्य एवं मह की रचना की थी. इन चौदह लोकों की रक्षा एवं पालन के लिए श्रीहरि 14 रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे उनका अनंत स्वरूप परिलक्षित होता था, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ भी करना श्रेयस्कर होता है. मान्यता है कि विधिवत व्रत-पूजा करने से अनंत फलों की प्राप्ति होती है, घर-परिवार में सुख, समृद्धि और शांति रहती है तथा निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है

अनंत चतुर्दशी की तिथि एवं शुभ मुहूर्त

चतुर्दशी प्रारंभ: 05.43 A.M. (23 सितंबर 2022) से

चतुर्दशी समाप्‍त: 07.17 A.M. (24 सितंबर, 2022) तक

चतुर्दशी सुबह की पूजा का मुहूर्तः 06.08 A.M. से 12.42 P.M. (23 सितंबर 2022) तक

चतुर्दशी दोपहर की पूजा का मुहूर्त: 02.47 P.M. से 04.35 P.M. (23 सितंबर, 2022) तक

व्रत एवं पूजा के नियम

प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनें. विष्णु जी का ध्यान कर व्रत एवं पूजन का संकल्प लें. घर के मंदिर के निकट ईशान कोण की ओर मुंह करके बैठें. सामने चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं. चौकी पर जल से भरा एक कलश रखें. कलश पर अष्टदल को कमल एवं कुश निर्मित अनंत की स्थापना करें. अन्यथा श्रीहरि की प्रतिमा रखें. 14 गांठ वाला सूत्र पहले से तैयार करके रखें. विष्णु जी का निम्न मंत्र पढ़ते हुए इन गांठों को विष्णु जी के पास चढ़ा दें.

ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्

अब सूत्र की पूजा करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें

अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो

चढ़े हुए एक-एक सूत्र स्त्रियां बाईं कलाई औऱ पुरुष दाईं कलाई पर बांधें या बंधवा लें.

विष्णु जी की आरती के साथ पूजा सम्पन्न करें. किसी ब्राह्मण को भोजन-दक्षिणा देने के बाद प्रसाद ग्रहण करें. तत्पश्चात पारण करें.

अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा

कौरवों द्वारा पांडवों को छल से जुए में हराने के बाद पांडवों को वनवास जाना पड़ा था, जहां उन्हें काफी कष्ट उठाना पड़ा था. एक बार युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से पूछा था कि इस कष्ट से कैसे मुक्ति मिल सकती है. तब श्रीकृष्ण ने उन्हें सपरिवार भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन अनंत भगवान की पूजा करने का सुझाव देते हुए बताया था भगवान विष्णु ने ही वामन अवतार में दो पग में तीनों लोकों को नाप लिया था, जिसके कारण उन्हें भगवान अनंत का नाम मिला था. इनकी पूजा-व्रत से सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे. श्रीकृष्ण के सुझाव पर युधिष्ठिर ने सपरिवार व्रत-पूजा का विधिवत पालन किया और तब उन्हें हस्तिनापुर का राजपाट वापस मिला.