आगरा: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा (Agra) से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक निजी अस्पताल में प्रसव के बाद बिल के 35 हजार रुपए के ऐवज में डॉक्टर ने महिला से उसका बच्चा छीन लिया. दरअसल एक महिला ने अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया. उसकी डिलीवरी सर्जरी से हुई. अस्पताल वालों ने उसे सर्जरी और दवाओं के खर्चे समेत 35 हजार रुपये के बिल थमाया. महिला के पति रिक्शा चलाते हैं. उनके पास इतने रुपये नहीं थे. दंपती का आरोप है कि अस्पताल वालों ने उनसे कहा कि बिल चुकाने के लिए अपने बच्चे को एक लाख रुपये में बेच दें.
रिपोर्ट्स के अनुसार 36 साल की बबिता ने पिछले हफ्ते एक बच्चे को जन्म दिया. उसकी यह डिलीवरी सर्जरी से हुई. अस्पताल वालों ने उसे सर्जरी के 30,000 रुपये और दवाओं के 5,000 रुपये समेत 35 हजार रुपये के बिल थमाया. महिला के पति शिवचरण रिक्शा चलाते हैं. उनके पास अस्पताल को देने के लिए इतने रुपये नहीं थे. दंपती का आरोप है कि अस्पताल वालों ने उनसे कहा कि बिल चुकाने के लिए अपने बच्चे को एक लाख रुपये में बेच दें. यह भी पढ़ें | आगरा में भूखमरी से 5 साल की बच्ची की मौत, NHRC ने लिया मामले का संज्ञान, जांच के आदेश जारी.
नवजात के माता-पिता का बयान:
रिपोर्ट के अनुसार दंपती का यह पांचवां बच्चा है. वे उत्तर प्रदेश के आगरा में शंभू नगर इलाके में किराए के कमरे में रहते हैं. रिक्शा चलाकर शिवचरण की रोज 100 रुपये आमदनी होती है. उनका सबसे बड़ा बेटा 18 साल का है. वह एक जूता कंपनी में मजदूरी करता है. कोरोना लॉकडाउन के चलते यह फैक्ट्री बंद हो गई तो वह बेरोजगार हो गया.
बाल अधिकार कार्यकर्ता अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं. इस बीच, बबीता ने कहा कि वह अपने बच्चे को वापस चाहती है. बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस ने टीओआई को बताया कि बबीता को समन्वित बाल विकास योजना के तहत कोई लाभ नहीं मिला और यहां तक कि आशा कार्यकर्ता भी गर्भावस्था के दौरान अपने घर नहीं गईं. शिवचरण ने कहा कि उन लोगों का नाम आयुष्मान भारत योजना में नहीं है.