भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव को लेकर भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर है और क्षेत्र में अब भी थोड़ा बहुत गतिरोध बना हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के लिए और कोशिश की जरूरत है. उन्होंने इस मुद्दे के समाधान के लिए कूटनीतिक वार्ता पर जोर दिया. आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की तरफ से अभी भी जवानों की तैनाती बरकरार है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं.
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यह बयान सेना दिवस से पहले आयोजित वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया गया. यह ऐसे समय आया है जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कुछ हफ्ते पहले संसद में बताया था कि पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में विवाद सुलझा लिया गया है और बाकी मुद्दों पर चर्चा शुरू की जाएगी.
2020 के बाद से बदल चुके हैं हालात
जनरल द्विवेदी ने कहा, “हमें यह देखना होगा कि अप्रैल 2020 के बाद से क्या बदला है. दोनों पक्षों ने इलाके में निर्माण कार्य किए हैं, तैनाती की है और संसाधनों का भंडारण भी किया है. इसका मतलब है कि अभी भी एक स्तर का गतिरोध बना हुआ है.”
उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 के बाद से जो बदलाव हुए हैं, उनके मद्देनजर दोनों देशों के बीच विश्वास को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है. उन्होंने यह भी बताया कि समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधियों की बैठक और "वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कोऑपरेशन एंड कोऑर्डिनेशन" (WMCC) के माध्यम से आगे बढ़ने की कोशिश हो रही है.
डिप्लोमैटिक वार्ता और आंशिक समाधान
डेपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में विवाद के आंशिक समाधान के बावजूद सेना प्रमुख ने इसे “स्थिर लेकिन संवेदनशील” स्थिति बताया. उन्होंने कहा कि “छोटे-छोटे मुद्दों को हल करने के लिए निर्णय लेने की शक्ति कोर कमांडरों को दी गई है ताकि वे बड़े विवादों में न बदलें. हालांकि, समाधान के लिए कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं की गई है.”
तनाव को कम करने के प्रयास
सेना प्रमुख ने बताया कि वार्ताओं के माध्यम से दोनों पक्षों ने कुछ विवादास्पद क्षेत्रों में गश्त करने से परहेज करने पर सहमति जताई है. इन क्षेत्रों को "बफर जोन" की बजाय “अस्थायी निषेध क्षेत्र” कहा गया है ताकि हिंसा को टाला जा सके.
"जहां हमें लगा कि तनाव बढ़ सकता है, वहां अस्थायी निषेध क्षेत्र बनाए गए. यह तय किया गया है कि दोनों पक्ष अपने पारंपरिक गश्त क्षेत्रों में ही रहेंगे. दो बार इस पर सत्यापन गश्त भी की जा चुकी है," जनरल द्विवेदी ने कहा.
पिछले वर्षों में हुए प्रयास
जून 2020 में गलवान घाटी की हिंसा के बाद से भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ताएं हुईं. इसके जरिए पैट्रोलिंग पॉइंट 14, 15, 17ए और पांगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट जैसे कई स्थानों पर तनाव को कम किया गया.
हालांकि इन स्थानों पर दोनों पक्षों के बीच “नो-पैट्रोलिंग ज़ोन” बनाए गए हैं. इन अस्थायी कदमों से हिंसा की संभावना को रोका गया है, लेकिन स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हुई है.