BUDGET 2023-2024: बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने मिलेट्स यानी मोटे अनाज को श्री अन्न नाम दिया. श्री अन्न को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों में भारत सबसे आगे है. भारतीय मिलेट्स अनुसंधान केंद्र, हैदराबाद को उत्कृष्ता केंद्र के रूप में बढ़ावा भी देगा जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी श्रेष्ठ कार्य कर सकें. यूएन ने साल 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया है. मिलेट्स में ऐसा क्या है जिसके कारण इसको श्री अन्न या सुपर फूड कहा जाता है? और ये सभी के लिए क्यों फायदेमंद है? यह सब हम इस लेख में जानेंगे.
भारत श्रीअन्न का सबसे बड़ा उत्पादक व दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।श्रीअन्न के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाने व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान हैदराबाद को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।#Budget2023 pic.twitter.com/DCWAHN0vJV
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श्री अन्न या मिलेट्स क्या है
सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान श्री अन्न की खपत को लेकर कई साक्ष्य बताते हैं कि यह भारत में पैदा की जाने वाली पहली फसलों में से एक थी. इसे गरीबों का अनाज भी कहा जाता है. मिलेट्स सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है. मिलेट्स सिर्फ प्रोटीन और फाइबर ही नहीं देते बल्कि, खाने वाले को शरीर में उत्पन्न हो रहे रोगों का निदान भी करते हैं.
श्री अन्न सुपर फूड क्यों है
दरअसल श्री अन्न में पोषक तत्व ज्यादा होते हैं. इसके साथ ही बीटा-कैरोटीन, नाइयासिन, विटामिन-बी6, फोलिक एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जस्ता आदि से ये अनाज भरपूर होते हैं. इसमें फाइबर यानी रेशा मौजूद होता है जिससे पाचन दुरुस्त होता है. इस तरह इसको खाने वाले को कब्ज की समस्या नहीं होती. इनका सेवन करने से हड्डियों को मजबूती मिलती है. श्री अन्न डायबिटीज तथा दिल के रोगियों के लिए भी उत्तम माना जाता है. इन्हीं सब कारणों से श्री अन्न को सुपरफूड भी कहा जाता है.
भारत कई तरह के ‘श्री अन्न’ के उत्पादन में शीर्ष पर है। इनमें ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टू, कंगनी, कुटकी, कोदो, चीना आदि शामिल हैं। यह सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।#Budget2023 #UnionBudget2023 pic.twitter.com/bHH0ljp7U0
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श्री अन्न में क्या-क्या शामिल है
- ज्वार: यह ग्लूटेन फ्री और प्रोटीन का अच्छा सोर्स है. डायबिटीज के मरीजों के लिए बढ़िया भोजन है.
- बाजरा: इसमें विटामिन बी6, फॉलिक एसिड मौजूद है. ये खून की कमी को दूर करता है.
- रागी: यह नेचुरल कैल्शियम का सोर्स है. बढ़ते बच्चे और बुजुर्गों की हड्डी मजबूत करने में मदद करता है
- सांवा या सामा: फाइबर और आयरन से भरपूर है. एसिडिटी, कब्जियत और खून की कमी को दूर करता है.
- कंगनी: ये डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है. बीपी और बेड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है.
- कोदो: यह भी फाइबर से भरपूर है. घेंघा रोग, रुसी की समस्या पर से संबंधित बीमारी और बवासीर में फायदेमंद है.
- कुटकी: ये एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है. इसमें मौजूद मैग्नीशियम हेल्दी हार्ट और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है.
- कुट्टू: ये अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद है. इसमें मौजूद अमीनो एसिड बाल झड़ने से रोकता है.
इसकी खेती करना भी आसान
पीएम मोदी भी चाहते हैं कि श्री अन्न या भारत मोटे अनाज का वैश्विक केंद्र बने और अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 को ‘जन आंदोलन’ का रूप दिया जाए. बेशक, भारत दुनिया को मोटा अनाज के लाभ बताने-समझाने में अहम भूमिका निभा रहा है. हमारे देश में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है. मोटे अनाज की खेती कम लागत और कम पानी में हो जाती है. इस फसल में रोग भी कम लगते हैं जिससे कीटनाशकों का उपयोग भी ना के बराबर ही होता है. चूंकि, यह असिंचित भूमि पर आसानी से हो सकता है अतः यदि मांग बढ़ेगी तो भारत में इसकी पैदावार कई गुना बढाई जा सकती है.
किसानों की भी आय बढ़ेगी
श्री अन्न या मोटे अनाज की खेती में कम मेहनत लगती है और पानी की भी कम ही जरूरत होती है. यह ऐसा अन्न है जो बिना सिंचाई और बिना खाद के पैदा किया जा सकता है. भारत की कुल कृषि भूमि में मात्र 25-30 फीसद ही सिंचित या अर्धसिंचित है. जब श्री अन्न की मांग बढ़ेगी तो बाजार में इनका दाम बढ़ेगा तभी असंचित भूमि वाले गरीब किसानों की आय भी बढेगी. भारत श्री अन्न का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. वर्तमान में हमारे देश से सबसे ज्यादा बाजरा, रागी, कनेरी, ज्वार और कुट्टू एक्सपोर्ट किया जाता है. हम इन्हें अमेरिका, UAE, ब्रिटेन, नेपाल, सऊदी अरब, यमन, लीबिया, ट्यूनीशिया, ओमान और मिस्र सप्लाई करते हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYM)- 2023 के माध्यम से ‘मिरेकल मिलेट्स’ की भूली हुई महिमा को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है. श्री अन्न को लोकप्रिय बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. चाहे फूड फेस्टिवल हो या कॉन्क्लेव सभी में श्री अन्न से बने उत्पादों से विदेशियों को आकर्षित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं. दिल्ली में सांसदों के लिए लंच का आयोजन हो या G20 की बैठक हो सभी में श्री अन्न से तैयार व्यंजनों को प्रमुखता से परोसा जा रहा है.