सबरीमला: सबरीमला मंदिर परिसर में मंगलवार की सुबह नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला जहां करीब 200 गुस्साए श्रद्धालुओं ने एक महिला श्रद्धालु को रजस्वला आयु वर्ग की होने के संदेह के चलते घेर लिया और मंदिर में जाने से रोका. इस दौरान वह ‘अयप्पा शरणम’ का मंत्रोच्चारण करते रहे और तालियां बजाते रहे. तिरुर से 52 वर्षीय ललिता अपने पोते के ‘चोरुन्नु’ (चावल दान करने का संस्कार) के लिए 19 रिश्तेदारों के साथ मंदिर पहुंची थीं.
वह ‘नादापंडाल’ के समीप थीं जब उनके समूह को प्रदर्शनकारियों ने रोका. पुलिस ने हस्तक्षेप किया और महिला की उम्र निश्चित करने के बाद प्रदर्शनकारियों को बताया कि वह ‘प्रतिबंधित’ आयु वर्ग की नहीं हैं. फिर पुलिस महिला को वहां से ले गई. स्थानीय मीडिया चैनलों के मुताबिक पत्रकारों को भी रोका गया। हालांकि पुलिस ने इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया है.
उच्चतम न्यायालय के सभी महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश देने के फैसले के बाद इस मंदिर को 17 अक्टूबर को पहली बार छह दिन के लिए खोला गया था लेकिन हिंसक झड़पों एवं प्रदर्शनों के चलते इस आयु वर्ग की कोई भी महिला मंदिर के प्रांगण में प्रवेश नहीं कर सकी. ललिता ने तबियत ठीक नहीं होने की शिकायत की जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. हालांकि कुछ देर बाद मंदिर लौट कर उन्होंने और उनके परिवार ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए.
दर्शन के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन्हें परेशान किया.
ललिता ने कहा, “हमने ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की थी.”