बरसात का मौसम बीमारियों को आमंत्रित करता है. मौसम में नमी के कारण जीवाणु और किटाणु के पनपने के लिए अनुकूल स्थिति बन जाती है, जो पानी औऱ खाद्य पदार्थों को दूषित कर शरीर की बीमारियों का कारण भी बन जाते हैं. बरसात को बीमारियों का मौसम भी कहा जाता है.
इस मौसम मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी एन्सेफलिटिस, वायलस बुखार, जुकाम, टाइफाइड, हेपेटाइटिस ए - ई, डायरिया, गैस्ट्रोएन्टराइटिस, लेप्टोस्पाइरोसिस और त्वचा संबंधित बामिरयों और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. इतना ही नहीं बरसात के मौसम में बुखार और जुकाम होना सामान्य बात है, ऐसे में किसी को कोविड है या नहीं इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. Dengue Fever: बारिश के मौसम में डेंगू से रहें सावधान, जान लीजिए लक्षण और बचने के तरीके
अलग-अलग उम्र के बच्चों में अलग-अलग बीमारी
बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा बच्चों का ध्यान रखना होता है. कलावती सरन अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. विरेंद्र कुमार बताते हैं कि अलग-अलग उम्र में बच्चों को अलग बीमारी होती है. नवजात शिशु या एक साल तक के बच्चों को संक्रमण का बहुत खतरा रहता है. उन्हें रैशेस होने लगते हैं या अन्य स्किन से जुड़ी समस्या होती है या निमोनिया, डायरिया आदि. इसलिए इस मौसम में घर में साफ-सफाई रखना जरूरी है. ताकि वो घर में जमीन पर खेल रहे हैं तो रहे हैं या मुंह में हाथ डाल लेते हैं तो किसी भी तरह के संक्रमण का खतरा कम रहे. इसके अलावा थोड़े बड़े बच्चों में कई मौसमी संक्रमण, एलर्जी आदि होने लगते हैं. 10-12 साल के उपर के बच्चों में हाइजिन पर थोड़ा कम ध्यान जाता है तो वो मौसमी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. वायरल बुखार, जुकाम, टाइफाइड जैसी बीमारी भी होने लगती है.
मां का दूध बच्चे में बढ़ाएगा इम्युनिटी
अगर शिशु या छोटे बच्चों में जब डायरिया, पेचिस हो जाता है, वो खुद नहीं बता सकते इसलिए मां को ध्यान देना जरूरी है. इसलिए बच्चा पतला मल त्याग करता है तो उसमें पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और उसके शरीर से पानी की कमी होने लगती है. इसलिए बच्चे को मां का दूध ज्यादा पिलाएं क्योंकि 6 महीने तक के बच्चों को मां का ही दूध पिलाना चाहिए. एक और बात ध्यान देने वाली है कि 6 महीने तक बच्चे को मां का दूध न सिर्फ बीमारियों से बचाता है बल्कि शरीर में इम्यूनिटी भी बढ़ाता है. इसका फायदा बच्चे को सिर्फ बचपन में ही नहीं बल्कि आजीवन मिलता है. वह जल्दी बरसात की संक्रमाक बीमारी के शिकार नहीं होता, अगर कभी किसी बीमारी से संक्रमित भी होगा तो मजबूत इम्युनिटी की वजह से जल्दी ठीक हो जाएगा.
इसके अलावा जो बच्चे 6 महीने से ज्यादा उम्र के हैं, उन्हें दूध और पानी के अलावा ओआरएस का घोल भी पिला सकते हैं. जिंक की दवा हर बच्चे को 14 दिन के लिए देनी चाहिए. बच्चे में पानी की कमी नहीं होने दें. लेकिन अगर आराम नहीं मिलता तो फोन पर या टेलीमेडिसिन के जरिए डॉक्टर से संपर्क करें या बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं.
कैसे पहचानें लक्षण
डायरिया, पेचिस आदि के लक्षण दिखने लगते हैं, लेकिन लक्षण पहचानने के और भी तरीके हैं जैसे, बच्चे का शरीर या चेहरा अंदर की तरफ धंसा सा लगे, बच्चे के शरीर में पिंच करके या दबा करके देखें तो अंदर जाने में समय लगे या अगर बच्चे को तेज बुखार आ रहा है, सुस्त पड़ गया, कोई फिट्स आए, मल में खून आदि आए तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
बारिश के मौसम में पाचन तंत्र हो सकता है प्रभावित
वहीं इस मौसम में पाचन तंत्र को लेकर विशेष ध्यान देना होता है, क्योंकि इस मौसम में जहां पानी और खाद्य पदार्थ के दूषित होने का खतरा होता है, जो पाचन तंत्र पर भी असर करता है. एम्स के डॉ. गोविंद मखरिया बताते हैं कि इस समय कई बार मौसम बदलता है और पानी कम पीने से शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है. कई बार बारिश आदि की वजह से पीने के पानी में मिट्टी आदि या दूषित पानी आने लगता है. इसलिए उबाल कर पानी अ" onclick="close_search_form(this)" title="Close Search" src="https://hife.latestly.com/images/login-back.png" alt="Close" />