अर्थ व्यवस्था पर विपक्ष के बार-बार हमले के जवाब में भारत सरकार ने कछुए की गति से बढ़ती वित्तीय व्यवस्था को पटरी पर लाने की पहल शुरू की है. इस दिशा में कई नयी योजनाओं को अमली जामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. साल 2019 के वर्षांत में देश की फाइनेंस मिनिस्टर श्रीमती निर्मला सीतारमण ने टैक्स व्यवस्था, बैंकिंग सेक्टर और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए कुछ नयी योजनाएं शुरू करने की घोषणा की है. एक नजर इन घोषणाओं पर...
वित्त मंत्री ने बैंकिंग सेक्टर को प्रमुखता देते हुए सरकारी बैंकों के लिए 70 हजार करोड़ रूपये देने की घोषणा की है. केंद्र की इस मदद से विभिन्न बैंकों के लिए अपने ग्राहकों को ऋण मुहैया कराने की प्रक्रिया आसान हो गयी है. वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि बैंक भी अपने एमसीएलआर (Marginal Cost of Funds based Lending Rate) में आवश्यक कटौती करेंगे. इससे रेपो रेट में कमी आने का लाभ ग्राहकों को प्राप्त होगा. गौरतलब है कि दिसंबर माह में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक, एचडीएफसी बैंक ने अपने एमसीएलआर में कटौती की है.
कई सरकारी बैंकों का विलय:
बैंकों के हित के दूरगामी परिणामों की संभावनाओं को देखते हुए वित्त मंत्री के निर्देशन में देश के 18 सरकारी बैंकों में से 6 सरकारी बैंकों का विलय हुआ है. पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाटेड बैंक का विलय होगा. इसके बाद एसबीआई के बाद पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन जायेगा, जो मूल पंजाब नेशनल बैंक से 1.5 यानी डेढ़ गुना बड़ा होगा. उधर केनरा बैंक सिंडिकेट बैंक में विलुप्त होने के बाद देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बनेगा, तो यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कारपोरेशन बैंक का समागम होकर पांचवे सबसे बड़ा बैंक के रूप में उभर कर आयेगा. इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक में होने के बाद इलाहाबाद बैंक का अस्तित्व खत्म हो जायेगा.
पब्लिक सेक्टर के बैंकों का विलय कर उनकी संख्या कम करने का परिणाम संभवतया कुछ समय बाद दिखेगा. माना जा रहा है कि मानव संसाधन, रोज़गार सृजन और अर्थव्यवस्था के विकास के दृष्टिकोण से यह फ़ैसला काफ़ी अहम हो सकता है, हांलाकि इस विलय की वजह का खुलासा सरकार की तरफ से नहीं किया गया है.
नववर्ष से निर्यात प्रोत्साहन की नई योजना:
नये साल से निर्यात उत्पादों पर टैक्स एवं शुल्कों से छूट मिलने लगेगी. सीतारमण का मानना है कि नयी योजना से निर्यातकों को इतनी राहत मिलेगी जो इस समय लागू सभी योजनाओं को मिलाकर भी नहीं मिल पाती. माना जा रहा है कि इस योजना के क्रियान्यवयन से राजस्व पर 50 हजार करोड़ का बोझ बढ़ सकता है.
व्यापार मेला के आयोजनों से भी प्रभावित होगी निर्यात व्यवस्था:
आयात को बढ़ावा देने के लिए नयी योजनाओं के तहत केंद्र सरकार मार्च 2020 तक 4 मुख्य व्यावसायिक स्थानों पर व्यापार मेला के आयोजन करने का भी निर्णय लिया है. दुबई के पैटर्न पर हैंडीक्राफ्ट, पर्यटन, योगा, टैक्सटाइल्स मेला का आयोजन भी करेगी. एक्सपोर्ट प्रोमोशन के लिए टैक्स और ड्युटी के रिफंड में भी सुविधा दिया जायेगा.
कॉरपोरेट टैक्स के बदलेंगे नियम:
केंद्र ने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करने का एलान किया है. घरेलू कंपनियों पर अब बिना किसी रिबेट के आयकर में 22 फीसदी देय होगा, जबकि सरचार्ज और सेस जोड़कर प्रभावी दर 25.17 प्रतिशत किया गया है. पूर्व में यह दर 30 प्रतिशत था.
नियमों में परिवर्तन:
सरकार ने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए कंपनियों को अपनी सीएसआर प्रतिबद्धताओं के तहत मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए और समय दिया है. सरकार ने सीएसआर पर होने वाले खर्च में सरकारी, पीएसयू इनक्यूबेटर्स और सरकारी खर्च से चलने वाले आईआईटी जैसे संस्थानों को भी शामिल किया है. वित्त मंत्री का स्पष्ट कहना है कि 22 फीसदी इनकम टैक्स के तहत आने वाली कंपनियों को मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) नहीं चुकाना होगा. गौरतलब है कि एमएटी ऐसी कंपनियों पर लगाया जाता है जो मुनाफा कमाती हैं, लेकिन रियायतों की वजह से इन्हें कम टैक्स देना होता है.
सीएसआरः नियमों में परिवर्तन-
सरकार ने सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पोन्सबिल्टी) पर होने वाले खर्च में सरकारी, पीएसयू इनक्यूबेटर्स और सरकारी खर्च से चलने वाले आईआईटी जैसे संस्थानों को भी शामिल किया है. 22 फीसदी इनकम टैक्स के अंतर्गत आने वाली कंपनियों को मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) का भुगतान नहीं करना होगा.
कैपिटल गेन पर सरचार्ज हटाया गया:
कैपिटल गेन पर सरचार्ज खत्म कर दिया गया है. कॉर्पोरेट टैक्स घटाने से राजस्व में वार्षिक लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये के अधिभार का अनुमान है. वित्त मंत्री की इस घोषणा के पश्चात शेयर बाजार में जोरदार उछाल आया.
रियल एस्टेट को मिली है राहत:
भारत सरकार ने बेघर वालों के सपनों का घर दिलाने के लिए रियल इस्टेट को काफी राहत दे रही है. वित्त मंत्रालय ने आधी-अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ का एक विशेष फंड निर्माण करने की घोषणा की है. जिसमें सरकार वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) के तौर पर 10 हजार करोड़ रूपये से मदद करेगी. इसके साथ-साथ एलआईसी, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान भी मदद करेंगे. यह फंड एक ट्रस्ट में जाएगा, जिसका प्रबंधन हाउसिंग और बैंकिंग सेक्टर में कार्यरत लोग ही करेंगे.
गांवों को घर के साथ बिजली एवं एलपीजी भी मिलेंगे:
केंद्र सरकार ने साल 2022 तक प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 1.95 करोड़ घर बनाकर देने की घोषणा की थी. इन घरों में शौचालय, बिजली और एलपीजी का कनेक्शन दिया जाएगा.