मोदी सरकार 2.0: पहले 100 दिन में अर्थव्यवस्था बेहाल, मंदी से लोग परेशान
पीएम मोदी (Photo Credits: IANS)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन शनिवार (7 सितंबर) को पूरे होने जा रहे हैं. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के लिए मंत्रिमंडल ने 30 मई 2019 को शपथ ली थी. बहरहाल, मोदी सरकार 2.0 (Modi Government 2.0) के पहले 100 दिनों की बात करें तो इसमें कई उपलब्धियां शामिल हैं लेकिन चुनौतियों की भी कमी नहीं है. भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की मौजूदा हालत पिछले कुछ दिनों से मोदी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.

बेरोजगारी (Unemployment) जैसे मुद्दे से जूझ रही सरकार के लिए सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था और लोगों की नौकरियों (Jobs) पर संकट एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर आया है.

भारत से छिन गया दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा  

वैश्विक आर्थिक माहौल खराब रहने के बीच घटती मांग और गिरते निजी निवेश से देश की अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती का असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दिखने को मिला. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर लगातार पांचवी तिमाही में कम होकर 5 प्रतिशत रह गई. यह पिछले छह साल से अधिक समय में सबसे कम वृद्धि दर रही. इसके साथ ही भारत से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा छिन गया. यह भी पढ़ें- मोदी सरकार 2.0: दूसरी पारी में ज्यादा आक्रामक हुई केंद्र सरकार, 100 दिनों के भीतर लिए अनुच्छेद 370 ओर तीन तलाक खत्म करने जैसे अहम फैसले.

देश के आठ प्रमुख सेक्टरों की ग्रोथ जुलाई में घटकर हुई 2.1% पर आ गई

कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादन घटने से आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जुलाई में गिर कर 2.1 प्रतिशत पर आ गई. जुलाई 2018 में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही थी. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन घटने से बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी है. इस दौरान इस्पात, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में वृद्धि भी धीमी रही. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठ बुनियादी उद्योगों का भारांश 40.27 प्रतिशत है. आठ बुनियादी उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली आते हैं.

मंदी की मार, ऑटो सेक्टर में हाहाकार

मंदी की सबसे व्यापक असर ऑटो सेक्टर पर पड़ा है. हिंदुजा समूह की प्रमुख कंपनी अशोक लीलैंड की कुल बिक्री अगस्त में 47 प्रतिशत घटकर 9,231 वाणिज्यिक वाहन रही. पिछले साल इसी माह में कंपनी ने 17,386 वाहन की बिक्री की थी. वहीं, टाटा मोटर्स के यात्री वाहनों की घरेलू बिक्री अगस्त में 58 प्रतिशत तक लुढ़क गई. होंडा कार्स इंडिया लि. (एचसीआईएल) की घरेलू बिक्री अगस्त महीने में 51.28 प्रतिशत घटकर 8,291 इकाई रह गई, जो एक साल पहले समान महीने में 17,020 इकाई थी. देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया की बिक्री अगस्त महीने में 32.7 प्रतिशत घटकर 1,06,413 वाहन रह गई. इससे पिछले साल के समान महीने में कंपनी की बिक्री 1,58,189 इकाई रही थी. महिंद्रा एंड महिंद्रा की कुल बिक्री अगस्त में 25 प्रतिशत गिरकर 36,085 वाहन रही. पिछले साल अगस्त में कंपनी के 48,324 वाहन बिके थे. यह भी पढ़ें- मंदी की मार! दूरसंचार-वाहन, रीयल एस्टेट सेक्टरों में नियुक्ति की रफ्तार पड़ी सुस्त.

बेरोजगारी और मंदी की मार से नौकरियों पर मंडराता संकट

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान बेरोजगारी का मुद्दा मोदी सरकार के सामने बड़ा मुद्दा था. इसके बावजूद वह प्रचंड बहुमत से सत्ता में लौटी. हालांकि, बेरोजगारी का मुद्दा फिर से सरकार के सामने है और मंदी की मार से लोगों की नौकरियों पर मंडराता संकट सरकार के लिए अलग ही सिर दर्द बना हुआ है. सीएसओ द्वारा जारी बेरोजगारी का 2017-18 का आंकड़ा चिंता बढ़ाने वाला रहा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में 2017- 18 में बेरोजगारी दर कुल उपलब्ध कार्यबल का 6.1 प्रतिशत रही जो पिछले 45 साल में सर्वाधिक है. वहीं, वाहन उद्योग में जारी सुस्ती के मद्देनजर मारुति सुजुकी इंडिया के 3000 से ज्यादा अस्थायी कर्मचारियों की नौकरी चली गई. इससे पहले आई खबर के मुताबिक, देश में जुलाई की वाहन बिक्री में 19 साल की 18.71 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई और इसके चलते क्षेत्र के 15,000 लोग अपनी नौकरी गंवानी पड़ी जबकि 10 लाख से अधिक नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है.