लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) की तरफ से आ रहे बयानों को देखकर लगता है कि बिहार में नवादा (Nawada) सीट से टिकट कटने की वजह से उन्हें गहरा आघात पहुंचा है. गिरिराज सिंह का दर्द उनके बयानों में साफ-साफ झलक रहा है. दरअसल, बिहार में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) में शामिल पार्टियों के बीच सीट बंटवारे के बाद नवादा सीट लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के खाते में चली गई है और अब गिरिराज सिंह को केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ने को कहा गया है.
गिरिराज सिंह पहले तो दबी जुबान में बेगूसराय से चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे थे लेकिन अब उन्होंने खुलकर कह दिया है कि मेरे आत्म-सम्मान को ठेस पहुंची है क्योंकि बिहार में किसी भी सासंद की सीट नहीं बदली गई है. मुझसे बिना पूछे इसका फैसला लिया गया. बिहार बीजेपी नेतृत्व को मुझे बताना चाहिए कि ऐसा क्यों किया गया. बेगूसराय से मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मगर मैं अपने आत्म-सम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकता.
उधर, बीजेपी का एक धड़ा मानता है कि नवादा से गिरिराज सिंह का टिकट काटने में एलजेपी का उतना हाथ नहीं है जितना नीतीश कुमार का है. बीजेपी के इन नेताओं का मानना है कि गिरिराज सिंह को नवादा से बेदखल कर नीतीश कुमार ने अपना हिसाब चुकता किया है. दरअसल, नीतीश कुमार और गिरिराज सिंह के बीच तालमेल कभी अच्छा नहीं रहा. बता दें कि पहली बार 2002 में गिरिराज सिंह बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे. नीतीश कुमार के नेतृत्व में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो गिरिराज सिंह मंत्री बनाए गए. नीतीश कैबिनेट में गिरिराज ऐसे मंत्री रहे जो हमेशा उनकी सरकार के खिलाफ बोलते रहे. गिरिराज जून 2013 तक नीतीश सरकार में मंत्री रहे.
नीतीश कुमार ने जब बीजेपी से नाता तोड़ा तो उन्होंने बीजेपी के सभी 11 मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था. सरकार से बाहर होने के बाद तो गिरिराज नीतीश के धुर विरोधी बन गए. बिहार में गिरिराज को पीएम मोदी का सबसे वफादार माना जाता रहा है और इसी का नतीजा है कि 2014 में उन्होंने नवादा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद केंद्र में मंत्री पद भी हासिल कर लिया. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: नवादा से टिकट नहीं मिलने पर छलका गिरिराज सिंह का दर्द, बीजेपी नेतृत्व से पूछा- मुझसे बिना पूछे सीट क्यों बदली गई?
बहरहाल, गिरिराज का नवादा से टिकट कटने की वजह जो भी रही हो नुकसान तो उनका हुआ है क्योंकि बेगूसराय में उनके लिए मुकाबला आसान नहीं होने जा रहा है. दरअसल, बेगूसराय से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के उम्मीदवार के रूप में मैदान में होंगे तो वहीं बिहार महागठबंधन की तरफ से आरजेडी के तनवीर हसन यहां से चुनाव लड़ेंगे. हसन को फिर से बेगूसराय से चुनाव मैदान में उतारा गया है. हसन 2014 में चुनाव हार गए थे. अगर गिरिराज बेगूसराय से मैदान में उतरते हैं तो इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होगा.