लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां एक्शन मोड़ में आ चुकी है. इस साल चुनावी मैदान में यह जंग और बड़ी होगी. कांग्रेस जहां अन्य विपक्षियों के साथ मिलकर मोदी-शाह की जोड़ी के सामने महागठबंधन का जाल बुन रही है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी भी गठबंधन की रेस में पीछे नहीं है. आम चुनाव की कड़ी टक्कर को भांपते हुए बीजेपी भी ज्यादा से ज्यादा दलों को अपने साथ लाने में जुटी है. साथियों के प्रति नरम रुख रखते हुए बीजेपी इस चुनाव में जीत के लिए नई राजनीति तैयार कर रही है. साल 2014 में बीजेपी ने 16 सहयोगी दलों के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, वहीं इस बार यह आंकड़ा 29 हो गया है.
साथियों के प्रति बीजेपी के इस नरम रुख को इस बात से समझा जा सकता है कि पिछले चुनाव में बिहार में 40 सीटों में से 22 पर जीत दर्ज करने के बाद भी इस बार बीजेपी केवल 17 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए राजी हो गई है. बीजेपी नीत एनडीए इस बार पहले से ज्यादा ताकत के साथ चुनाव में उतर रही है. एक तरफ जहां ब्रैंड मोदी के नाम पर घर-घर मोदी की रणनीति का प्रारूप तैयार किया जा रहा है तो वहीं सहयोगियों के साथ से जीत की मजबूत सीढीयां तैयार की जा रही है. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019 VIP सीट: जानें देवभूमि हरिद्वार के सियासी समीकरण
फिर मिला शिवसेना का साथ
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शिवसेना का साथ वापिस मिलने से बीजेपी महाराष्ट्र में मजबूत हो गई है. नोटबंदी, अर्थव्यवस्था और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे बड़े मुद्दों पर पीएम मोदी को सीधे तौर पर घेरने के बाद शिवसेना फिर से बीजेपी से मिल गई है. बता दें कि शिवसेना काफी लंबे समय से सत्ताधारी बीजेपी से नाराज चल रही थी. लेकिन यह राजनीतिक गठबंधन एक बार फिर हो गया है जिससे बीजेपी और शिवसेना दोनों को ही बड़ा फायदा मिलेगा.
मिशन साउथ भी मजबूत
मिशन साउथ के लिए बीजेपी ने एआईएडीएमके के साथ हाथ मिलाया है और इस गठबंधन में डीएमडीके को भी शामिल कर लिया गया है. जिससे बीजेपी दक्षिण फतेह करना चाहती है.
यूपी में सहयोगियों को मनाने में जुटे योगी
उत्तर प्रदेश की बात करे तो इस राज्य का देश की राजनीति मे बड़ा स्थान है. 80 लोकसभा सीटों के साथ राज्य में जीतने वाली पार्टी सीधे लोकसभा पहुंचती है. यहां सीएम योगी आदित्यनाथ बीजेपी के सहयोगी दलों को मनाने में जुटे हुए हैं. उन्होंने राजभर सुहेलदेव की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के छह नेताओं और अपना देल के सात नेताओं को अलग-अलग बोर्ड और निगमों में नियुक्ति दी है.
सहयोगियों के लिए बीजेपी की बड़ी कुर्बानी
सहयोगियों के प्रति बीजेपी का झुकाव इस कदर है कि पार्टी की बिहार नवादा सीट एलजेपी के खाते में जा सकती है, वहीं जेडीयू भी बीजेपी की कई जीती हुई सीटों की मांग कर रही है. झारखंड में तो बीजेपी ने सहयोगी दलों के लिए बहुत बड़ी कुर्बानी दी है. झारखंड की गिरिडीह सीट पर बीजेपी पिछले पांच बार से जीतती रही है, लेकिन इस बार उन्होंने यह सीट अपने सहयोगी दल एजेएसयू के लिए छोड़ दी. आने वाले कुछ दिनों में इस तरह बीजेपी अपने सहयोगियों के लिए कई बड़े फैसले ले सकती है.