पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन मिलने वाली सरकारी आवास की सुविधा समाप्त कर दी है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब सरकारी आवास खाली करने होंगे. अदालत ने यह आदेश मुख्यमंत्रियों के आजीवन सरकारी बंगले की सुविधा को खत्म करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. कोर्ट ने कहा कि यह सुविधा असंवैधानिक और आम जनता की कमाई के पैसे का दुरुपयोग हैं. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पद से हटने के बाद इस तरह की सुविधाएं दिया जाना गलत है.
पटना हाईकोर्ट के इस फैसले से पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव, राबडी देवी, डा. जगन्नाथ मिश्र, जीतन राम मांझी आदि प्रभावित होंगे. इससे पहले मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी बंगलों का आवंटन निरस्त कर दिया था. इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य सम्पत्ति अधिकारी कार्यालय से नोटिस जारी कर उन्हें आवास पर रिसीव करवा दिया गया था कि वह 15 दिन के अंदर अपने सरकारी आवास खाली कर दें. यह भी पढ़ें- नवजोत सिंह सिद्धू को दिग्विजय की सलाह, कहा- अपने दोस्त इमरान को समझाइए, उसकी वजह से ही पड़ रही है गाली
Patna High Court: Former Chief Ministers of the state will not be provided accommodation facilities for lifetime
— ANI (@ANI) February 19, 2019
अदालत का कहना है कि विधायक और विधान परिषद् के सदस्य फ्लैट रख सकते हैं लेकिन पूर्व मुख्यमंत्रियों की हैसियत से जिन्हें बंगले मिले हैं उन्हें उसे अब छोड़ देना चाहिए. पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा और सतीश प्रसाद सिंह को तुरंत अपने सरकारी बंगलों को खाली करना होगा. वहीं जीतन राम मांझी और राबड़ी देवी विधायक होने के नाते बंगले में रह सकते हैं लेकिन सरकारी गाड़ी और कर्मचारियों की सुविधा से उन्हें वंचित होना पड़ेगा. अब उन्हें निजी गाड़ियों से चलना होगा. इसके अलावा उन्हें कर्मचारियों का खर्च भी खुद ही उठाना पड़ेगा.