Mukhtar Ansari Last Rites: माफिया से नेता बने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के निधन के बाद शनिवार सुबह 10 बजे के बाद कालीबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. मुख्तार अंसारी को दफनाने से पहले उनके जनाजे में समर्थकों की भारी भीड़ देखी गई. गैंगेस्टर अंसारी का जनाना जब घर से निकला तो जनाजे में उनके समर्थकों की भीड़ तो देखी गई. लेकिन जब उनका जनाजा कब्रिस्तान पहुंचा तो वहां पर सिर्फ परिवार और कुछ अन्य लोगों को ही कब्रितान में जानें की इजाजत थी.
मुख़्तार अंसारी के सुपुर्द-ए-खाक होने के बाद यही उसकी अपराध की दुनिया ख़त्म हो गई. क्योंकि अंसारी के खिलाफ के दो नहीं बल्कि 65 से ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज है. जिसमें अपरहण, हत्या, रंगदारी जैस मामले शामिल हैं. यह भी पढ़े: Mukhtar Ansari Death: ’18 मार्च से ही तबीयत खराब थी, लेकिन इलाज नहीं दिया गया’, माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर परिवार ने क्या कहा?- VIDEO
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#WATCH | Ghazipur, UP: Chaos erupted during the burial rites of gangster-turned-politician Mukhtar Ansari after his supporters broke the barricading in order to enter the cemetery ground. pic.twitter.com/EgDOkcBPU2
— ANI (@ANI) March 30, 2024
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LIVE : ये भीड़ बता रही है, कितना था मुख्तार अंसारी का रुतबा! https://t.co/wi9gGKa43a
— UP Tak (@UPTakOfficial) March 30, 2024
मुख्तार अंसारी हार्ट अटैक से गई है
मऊ से पूर्व विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मौत हो गई थी. मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया है. बांदा मेडिकल कॉलेज में मुख्तार का पोस्टमार्टम पूरा होने के बाद उनके शव को बेटे उमर अंसारी को सौंप दिया गया. दरअसल बांदा जेल में अचानक मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे बांदा मेडिकल कॉलेज इलाज ले जाया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ने के मुख़्तार अंसारी की मौत हो गई.
जानें मुख़्तार अंसारी का इतिहास:
हत्या, रंगदारी जैसे कई अपराधों में दोषी मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ था. मुख्तार के पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था. गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक राजनीतिक परिवार की है. 17 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद रहे मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाजा गया था.