
Fact Check: इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि इस्कॉन (ISKCON) से जुड़े कुछ भक्त मांसाहारी भोजन खा रहे हैं. इससे यूजर्स में भ्रम और गुस्सा फैल रहा है. लेकिन जब इस वीडियो की जांच की गई तो सच्चाई कुछ और ही निकली. जांच में पता चला कि यह वीडियो भारत का नहीं बल्कि बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले का है. इसे इस्कॉन से जुड़े हरिस्मरण कृष्ण दास ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर 14 जून 2025 को पोस्ट किया था. , लेकिन असल में यह वीडियो करीब एक साल पुराना यानी 4 अप्रैल 2024 का है.
वीडियो में दिख रहे सभी लोग इस्कॉन (International Society for Krishna Consciousness) से जुड़े भक्त जरूर हैं, लेकिन उन्होंने नॉनवेज नहीं खाया था.
ISKCON भक्तों का पुराना वीडियो बांग्लादेश का है
ये है अपने आपको धर्म के ठेकेदार बताने वाले कुछ महाराज..
इसपर लिखना बहुत कुछ चाहता हू लेकिन लिखूंगा तो देश के लोग जो धर्म भगवान को मानते है उन्हें धक्का लगेगा
ये न्यूज चैनल पर बैठकर धर्म का ज्ञान बांटते है ये उत्तरप्रदेश में आजकल दुकानों में जाकर किसी का भी नाम पूछते है उन्हें… pic.twitter.com/j0yMveLPhM
— mahaveer jain (@mahaveer198) July 2, 2025
वायरल वीडियो का सच
Fact Check: This video is from Bangladesh, and no one in it is eating non-vegetarian food.
All the people seen in the video are associated with ISKCON. One of them, Harismaran Krshna Das, posted this video on his Instagram on June 14, 2025. However, the video is actually a year… https://t.co/lhiEZIXY8c pic.twitter.com/PVAa4F1TR8
— Vishal Maheshwari (@vishalPosts) July 6, 2025
कैसे हुआ खुलासा?
दरअसल, फैक्ट चेकर पत्रकार विशाल माहेश्वरी ने 'एक्स' पर इस वीडियो से जुड़े कुछ स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं. उन्होंने दावा किया कि उनकी टीम ने वायरल वीडियो के संदर्भ में पूछताछ के लिए हरिस्मरण कृष्ण दास से संपर्क किया था. इस दौरान हरिस्मरण कृष्ण दास ने स्पष्ट किया कि वे और उनके साथी उस दिन एक धार्मिक कार्यक्रम के तहत एक स्थानीय परिवार के घर गए थे. वहां उन्हें पूरी तरह सात्विक और शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा गया था.
उन्होंने जो खाना खाया, उसमें मुरी (फूला चावल), खीरा, आलू चॉप और बुरीनदा शामिल थे. वीडियो में प्लेट में परोसा गया भोजन साफ तौर पर देखा जा सकता है और कहीं भी मांसाहारी वस्तु नहीं है.
गलत जानकारी से रहें सावधान
यह पहली बार नहीं है जब धार्मिक संगठनों को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे फैलाए गए हैं. इसलिए जरूरी है कि कोई भी वीडियो या पोस्ट शेयर करने से पहले उसकी सच्चाई की जांच कर लें. इससे न सिर्फ अफवाहों पर रोक लगेगी बल्कि समाज में सौहार्द भी बना रहेगा.