Kerala High Court Denies Medical Termination Of Pregnancy: केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने 9 महीने की गर्भावस्था वाली 14 वर्षीय नाबालिग लड़की (Minor Girl) को गर्भपात कराने की चिकित्सीय अनुमति (Medical Termination Of Pregnancy) देने से इनकार कर दिया. दरअसल, पीड़ित नाबालिग लड़की की मां ने कोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात कराने की चिकित्सीय अनुमति मांगी थी, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया. पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि लड़की गर्भावस्था के अंतिम चरण में थी और उसके पेट में पल रहा भ्रूण तीस सप्ताह का था, भ्रूण की दिल की धड़कन भी अच्छी थी. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने आगे कहा कि POCSO अधिनियम के तहत जो आरोपी हिरासत में था, उसके साथ पीड़िता ने सहमति से संबंध बनाए थे और उसे संबंध बनाने के लिए मजबूर नहीं किया गया था.
हालांकि यह मानते हुए कि पीड़िता की उम्र केवल 13 से 14 वर्ष थी, अदालत ने कहा कि यह निश्चित रूप से वैधानिक बलात्कार था. न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने नाबालिग पीड़िता और उसके परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, लेकिन नौ महीने की गर्भावस्था को देखते हुए उन्होंने पीड़िता की मां द्वारा दायर चिकित्सीय गर्भपात के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. यह भी पढ़ें: HC on Married Man’s Girlfriend: केरल हाईकोर्ट का फैसला, पति की प्रेमिका पर IPC की धारा 498A के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, जानें क्यों
नहीं मिली गर्भपात कराने की अनुमति
'Almost 9 Month Pregnancy, Vital Organs Of Foetus Fully Developed': Kerala High Court Denies Medical Termination Of Pregnancy For 14 Yr Old | @TellmyJollyhttps://t.co/GQWhlOwgUd
— Live Law (@LiveLawIndia) December 5, 2023
गौरतलब है कि अदालत ने स्थानीय बाल संरक्षण अधिकारी को गर्भावस्था जारी रखने और डिलीवरी के लिए मेडिकल सहायता प्रदान करने का भी निर्देश दिया. इसके अलावा कोर्ट ने पीड़िता और उसकी मां को किशोर न्याय अधिनियम या होने वाले बच्चे से संबंधित अन्य कानूनों के तहत सक्षम अदालत से संपर्क करने की भी अनुमति दी. कोर्ट ने कहा कि बाल संरक्षण अधिकारी की तरफ से पीड़िता और उसके परिवार को जन्म लेने वाले बच्चे के संबंध में कोई भी फैसला लेने में उचित सलाह और मदद दी जाएगी.