EVM और VVPAT से जुड़ी इन बातों को जानकर आप भी कहेंगे, नतीजों में धांधली करना हैं नामुमकिन!
सांकेतिक तस्वीर (Photo Credit : Twitter)

पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव की मतगणना शुरू होने से पहले एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों यानी ईवीएम (EVM) की विश्वसनीयता पर कुछ लोग सवाल खड़े कर रहे है. हालांकि चुनाव आयोग ने यह कई बार स्पष्ट किया है कि ईवीएम से मतदान प्रक्रिया बेहतर हुई है. ईवीएम को हैक करना असंभव है, क्योंकि यह किसी बाहरी स्रोत जैसे इंटरनेट या अन्य नेटवर्क से जुड़ती नहीं है. यहां ताकि ईवीएम से कोई बिजली की तार भी नहीं जुड़ी होती है, क्योकि यह बैटरी पर चलती है. UP Election 2022: वाराणसी में मिले ईवीएम ट्रेनिंग के लिए थे, जांच में सामने आया सच, चुनाव आयोग ने कहा- धांधली के आरोप अफवाह

EVM कैसे काम करता है?

ईवीएम मतों को दर्ज करने का एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन दो इकाइयों से बनी होती हैं - एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट - जो पाँच-मीटर केबल से जुड़ी होती हैं. नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है और बैलेट यूनिट को मतदान कम्पार्टमेंट के अंदर रखा जाता है. मतपत्र जारी करने के बजाय, कंट्रोल यूनिट के प्रभारी मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर मतपत्र बटन दबाकर एक मतपत्र जारी करते है. इससे मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार और प्रतीक के सामने बैलेट यूनिट पर नीले बटन को दबाकर अपना वोट डालता है. मतदाता चाहकर भी एक बार से ज्यादा बार नीली बटन नहीं दबा सकता है, क्योकि एक बार बटन दबने के बाद फिर से कंट्रोल यूनिट से मतपत्र जारी होने के बाद ही ईवीएम के बटन काम करते है. इसलिए बार-बार बटन दबाने से एक से अधिक बार मतदान संभव नहीं है.

वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) क्या है?

वीवीपीएटी पावर पैक बैटरी से चलने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से जुड़ी एक स्वतंत्र प्रणाली है जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उनका मत उनके इच्छा के अनुरूप पड़ा है. जब कोई मत डाला जाता है, तो उम्मीदवार के नाम, क्रम संख्‍या और प्रतीक वाली एक पर्ची मुद्रित होती है और 7 सेकंड के लिए एक पारदर्शी कांच की खिड़की के माध्यम से दिखाई देती है. उसके बाद, यह स्वचालित रूप से कट जाती है और वीवीपीएटी के सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है.

ईवीएम में अधिकतम कितने वोट डाल सकते हैं?

भारत निर्वाचन आयोग  द्वारा उपयोग की जा रही ईवीएम अधिकतम 2,000 मत दर्ज कर सकती है.

वोटिंग के समय ईवीएम खराब होने पर क्या होगा?

यदि किसी मतदान केंद्र पर वोटिंग के समय ईवीएम खराब हो जाती है, तो उसे नई ईवीएम के साथ बदल दिया जाता है. जब ईवीएम खराब हुई हो तो उस समय तक दर्ज किए गए मत कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में सुरक्षित पड़े रहते हैं और खराब ईवीएम को नए ईवीएम से बदलने से मतदान प्रक्रिया सामान्य हो जाती है. यहां तक की मतगणना के दिन भी दोनों नियंत्रण इकाइयों में दर्ज मतों को उस मतदान केंद्र का पूर्ण योग परिणाम प्राप्त करने हेतु गिना जाता है.

कंट्रोल यूनिट अपनी मेमोरी में कितने समय तक रिजल्ट स्टोर करता है?

नियंत्रण इकाई (कंट्रोल यूनिट) अपनी मेमोरी में परिणाम को तब तक स्टोर कर सकता है जब तक कि डाटा को हटा या क्‍लीयर न कर दिया जाए.

ईवीएम से छेड़छाड़ कर रिजल्ट बदलना संभव क्यों नहीं हैं?

ईवीएम में इस्तेमाल किया जाने वाला माइक्रोचिप को केवल एक बार प्रोग्रामिंग किया जा सकता है. इस मास्क्ड चिप को न तो पढ़ा जा सकता है और न ही ओवरराइट किया जा सकता है. इसके अलावा, ईवीएम पूर्णतया पृथक मशीनें होती हैं जिस तक न तो किसी भी नेटवर्क से दूरचालित रूप में पहुंचा जा सकता है और न ही किसी बाहरी उपकरण से जोड़ा जा सकता है और इन मशीनों में कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग नहीं किया जाता है. इसलिए, किसी भी विशेष उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी का चयन करने के लिए ईवीएम को एक विशेष तरीके से प्रोग्राम करने की बिल्‍कुल भी संभावना नहीं है.

मतदान से पहले ईवीएम को कौन चेक करता है?

मतदान शुरू होने से पहले पीठासीन अधिकारी परिणाम बटन दबाकर उपस्थित मतदान एजेंटों को दिखाता है कि मशीन में पहले से छिपे हुए मत नहीं हैं. इसके बाद, वह मतदान एजेंटों की उपस्थिति में कम से कम 50 मतों के साथ मतदान एजेंटों को इस बात से पूरी तरह से संतुष्ट करने के लिए मॉक पोल का संचालन करता है और सीयू में संग्रहीत इलेक्ट्रॉनिक परिणाम से मिलान करता है कि दर्शित परिणाम पूरी तरह उनके द्वारा दर्ज किए मतों के अनुसार है. तदुपरांत  पीठासीन अधिकारी वास्तविक मतदान शुरू होने से पहले मॉक पोल के परिणाम को हटाने के लिए क्लियर बटन दबाकर सब क्लियर करता है. और वह 'टोटल' बटन दबाकर फिर मतदान एजेंटों को दिखाता है कि ईवीएम में 'शून्य' वोट है. फिर वह मतदान एजेंटों की उपस्थिति में वास्तविक मतदान शुरू करने से पहले कंट्रोल यूनिट को सीलबंद करता है. इतना ही नहीं अब सभी पोलिंग बूथ पर 100% वीवीपीएटी (वोटर वेरिफॉयबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के उपयोग के साथ, मॉक पोल  के बाद, वीवीपीएटी  पेपर स्लिप भी गिने जाते हैं.

मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम में क्या वोट डाले जा सकते है?

मतदान पूरा होने के बाद अर्थात जब आखिरी मतदाता मतदान कर ले, कंट्रोल यूनिट का प्रभारी अधिकारी/ पीठासीन अधिकारी 'क्लोज' बटन दबाता है. इसके बाद ईवीएम कोई भी वोट को स्वीकार नहीं करती है. मतदान समाप्त होने के बाद, कंट्रोल यूनिट को स्विच ऑफ कर दिया जाता है और उसके बाद बैलेटिंग यूनिट को कंट्रोल यूनिट से अलग कर दिया जाता है. और सीलबंद कर दिया जाता है. इसके अलावा, पीठासीन अधिकारी को प्रत्येक मतदान एजेंट को दर्ज किए गए मतों के लेखे की एक प्रति सौंपनी होती है. मतगणना के समय, एक विशेष कंट्रोल यूनिट में दर्ज कुल मतों का इस लेखे से मिलान किया जाता है और यदि कोई असंगति है, तो काउंटिंग एजेंटों द्वारा उसे इंगित किया जा सकता है.