Banking Regulation (Amendment) Bill 2020: अब कोऑपरेटिव बैंकों पर भी होगी RBI की कड़ी नजर, नहीं डूबेगा आपका पैसा
भारतीय रिजर्व बैंक (Photo Credits: PTI)

मोदी सरकार ने देश के कोऑपरेटिव बैंकों की सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधन) बिल, 2020 को लोकसभा में पेश किया जा चुका है. यह बिल बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 में संशोधन करता है. बैंकों के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक्ट बैंकों के कामकाज को रेगुलेट करता है और बैंकों की लाइसेंसिंग, प्रबंधन और संचालन जैसे विभिन्न पहलुओं का विवरण प्रदान करता है. यह बिल इसी साल 26 जून से लागू बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधन) बिल की जगह लेगा. भारतीय रिजर्व बैंक ने 2019-20 में 2,000 के नए नोट नहीं छापे- रिपोर्ट

तहत बैंकिंग रेगुलेशन (संशोधन) बिल, 2020 के मुताबिक कोऑपरेटिव बैंक (Co-Operative Bank) फेस वैल्यू पर या अपने सदस्यों अथवा अपने संचालन क्षेत्र में निवास करने वाले अन्य व्यक्तियों को प्रीमियम पर इक्विटी शेयर, प्रिफ्ररेंस शेयर या स्पेशल शेयर जारी कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त वह ऐसे लोगों को दस वर्ष या उससे अधिक की परिपक्वता के साथ अनसिक्योर्ड डिबेंचर्स या बॉन्ड्स या इस जैसी दूसरी सिक्योरिटीज़ जारी कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें आरबीआई की पूर्व मंजूरी लेनी होगी और आरबीआई की दूसरी शर्तों, जो भी निर्दिष्ट हों, को मानना होगा.

साथ ही इसके लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति कोऑपरेटिव बैंक के शेयर्स को सरेंडर करने पर भुगतान की मांग के लिए अधिकृत नहीं है. इसके अतिरिक्त कोऑपरेटिव बैंक केवल आरबीआई द्वारा निर्दिष्ट किए जाने पर ही अपने शेयर कैपिटल को विदड्रॉ या कम कर सकता है.

बिल कहता है कि आरबीआई कुछ स्थितियों में मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का अधिकतम पांच वर्षों के लिए सुपरसेशन कर सकता है. इन स्थितियों में ऐसे मामले शामिल हैं जहां आरबीआई के लिए जनहित में या जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए बोर्ड का सुपरसेशन जरूरी है. अगर कोऑपरेटिव बैंक किसी राज्य के रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज में पंजीकृत है तो आरबीआई संबंधित राज्य सरकार की सलाह से बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को सुपसीड करेगा और उस अवधि के लिए ऐसा करेगा, जिसे निर्दिष्ट किया गया हो.

इसके मुताबिक आरबीआई अधिसूचना के जरिए कोऑपरेटिव बैंक या कोऑपरेटिव बैंकों की किसी श्रेणी को एक्ट के कुछ प्रावधानों से छूट दे सकता है. ये कुछ प्रकार के रोजगार पर प्रतिबंध, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के क्वालिफिकेशन और चेयरपर्सन की नियुक्ति से जुड़े प्रावधान हैं. छूट की समय अवधि और शर्तों को आरबीआई द्वारा तय किया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि बिल एक्ट से कुछ प्रावधानों को भी हटाता है. जिसमें कोऑपरेटिव बैंकों को अपने खुद के शेयर्स की सिक्योरिटी पर लोन या एडवांस लेने से प्रतिबंधित करता है. इसके अतिरिक्त वह कोऑपरेटिव बैंकों के निदेशकों, और ऐसी निजी कंपनियों, जिनमें बैंक के निदेशक या चेयरपर्सन का हित हो, को अनसिक्योर्ड लोन्स या एडवांस देने से प्रतिबंधित करता है. एक्ट अनसिक्योर्ड लोन्स या एडवांस देने की शर्तों को निर्दिष्ट करता है और यह भी स्पष्ट करता है कि किस तरीके से आरबीआई को लोन रिपोर्ट किए जा सकते हैं. बिल एक्ट से इस प्रावधान को हटाता है. हालांकि यह बिल प्राइमरी कृषि ऋण सोसायटीज़ और कोऑपरेटिव लैंड मॉर्गेज बैंक जैसे कुछ कोऑपरेटिव सोसायटीज़ पर लागू नहीं होगा.