दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: जानें क्या है EVM और VVPAT मशीन और इससे कैसे की जाती है वोटिंग
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: IANS)

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Elections 2020) के लिए 8 फरवरी शनिवार को वोटिंग होनी है. सभी राजनीतिक पार्टियां इस चुनाव में जीत के लिए दम भर रही हैं. दिल्ली चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच माना जा रहा है. हालांकि कांग्रेस भी इस रेस में दौड़ रही है. दिल्ली विधानसभा के लिए 8 जनवरी शनिवार को मतदान होंगे. चुनाव नतीजे 11 जनवरी को आएंगे. AAP इस चुनाव में सत्ता में बने रहने की जद्दोजहत में जुटी है तो वहीं बीजेपी दिल्ली में अपने वनवास को खत्म करने की कोशिश में लगी है. 8 फरवरी को दिल्ली की जनता किसे चुनती है. जनता किसे सत्ता का ताज पहनाती है यह 11 फरवरी को नतीजों के बाद ही तय होगा.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपना परचम लहराने की कोशिश में सभी राजनीतिक दल कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. राज्य में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस समेत विभिन्न दलों ने चुनाव के आखिरी दौर में पूरी ताकत झोंक दी है. दिल्ली वासियों को अब मतदान का इंतजार है. इस दिन EVM में सभी पार्टियों के उम्मीदवारों की किस्मत कैद होगी.

चुनाव के माहौल में EVM और VVPAT दो नाम अक्सर सुनने को मिलते हैं हम आपको बताते हैं. इन दोनों मशीनों से वोट कैसे पड़ते हैं और ये मशीनें किस तरह काम करती हैं.

क्या है EVM 

EVM की फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग हैं. इस मशीन के जरिए आप किसी भी राजनीतिक पार्टी तक अपना वोट पहुंचा पते हैं. इस मशीन में अलग-अलग पार्टियों के चुनाव चिन्ह के साथ बटन लगे रहते हैं. जिसने मतदान अपना वोट देते हैं. इसमें दो यूनिट होती हैं. एक के माध्यम से वोट दर्ज कराए जाते हैं, जिसे मतदान इकाई कहते हैं, जबकि दूसरे से इसे नियंत्रित किया जाता है, जिसे कंट्रोल यूनिट कहा जाता है.

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EVM की कंट्रोल यूनिट मतदान अधिकारी के पास होती है. मशीन करीब पांच-मीटर केबल से जुड़ी दो यूनिट-एक कंट्रोल यूनिट और एक बैलेटिंग यूनिट से बनी होती है. इसकी बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखी होती है. वोटिंग कम्पार्टमेंट के जरिए ही आम मतदाता वोट डालता है.

क्या है VVPAT

VVPAT यानी वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (Voter Verifiable Paper Audit Trail). EVM की विश्वसनीयता कायम रखने के लिए VVPAT मशीन की मदद ली जा रही है. VVPAT का इस्तेमाल EVM पर उठ रहे सवालों के बाद से ही शुरू हुआ. सबसे पहले VVPAT का इस्तेमाल नगालैंड के चुनाव में 2013 में हुआ था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट मशीन (VVPAT Machine) बनाने और इसके लिए पैसे मुहैया कराने के केंद्र सरकार को आदेश दिए थे. साल 2014 में कुछ जगहों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया गया था.

मतदाता EVM पर अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के सामने वाले नीले बटन को दबाने के बाद VVPAT पर विजुअली सात सेकंड तक देख सकता है कि उसने किसे वोट किया है, यानी कि VVPAT से आप चेक कर सकते हैं कि आपका वोट सही जगह पड़ा है या नहीं. VVPATमें मतदाता जिस विजुअल को देखता है, उसकी पर्ची बनकर एक सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है. यह पर्ची मतदाता को नहीं दी जाती है. इस पर्ची पर उस प्रत्याशी का नाम, चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम अंकित होता है, जिसे मतदाता EVM पर वोट देता है.