
नयी दिल्ली, 25 दिसंबर: क्रिसमस का त्योहार रविवार को देशभर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस मौके पर विशेष प्रार्थना के लिए गिरजाघरों में लोगों की भारी भीड़ देखी गई. कोविड महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में त्योहार का जश्न प्रभावित हुआ था लेकिन इस बार लोगों ने पूरे उत्साह के साथ इस त्योहार का जश्न मनाया. Christmas 2022: 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस? जानें इससे जुड़े विवाद एवं काल्पनिक क्रिसमस-ट्री की रोचक कथा!
छत्तीसगढ़ में, हजारों लोग जशपुर के ‘कैथेड्रल ऑफ ऑवर लेडी ऑफ द रोजरी’ में एकत्र हुए. जशपुर के कुनकुरी शहर में स्थित चर्च में लगभग 10,000 लोगों के समायोजित करने की क्षमता है. राजधानी रायपुर और राज्य के अन्य प्रमुख शहरों में गिरजाघरों को रोशनी और ‘क्रिसमस ट्री’ से सजाया गया था.
नगालैंड में घरों, सार्वजनिक भवनों और इमारतों को शानदार ढंग से सजाया गया था. लोगों ने इस मौके पर गिरजाघरों में प्रार्थनाएं की और आतिशबाजी की. अन्य धर्मों के लोगों ने भी अपने ईसाई मित्रों के साथ यह पर्व मनाया.
गोवा में स्थानीय लोगों और पर्यटकों ने आधी रात को सामूहिक प्रार्थना सभाओं के जरिये क्रिसमस के जश्न की शुरुआत की. इस दौरान, तटों और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. गोवा में क्रिसमस का जश्न शनिवार को रात लगभग 11 बजे से विभिन्न गिरजाघरों एवं अन्य स्थानों पर शुरू हुआ, जो रविवार तड़के तक चला. मध्य रात्रि को पारंपरिक परिधान पहने लोगों ने ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया.
गोवा की आबादी में ईसाइयों की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है. कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद राज्य में यह पहला क्रिसमस है, जो बिना किसी पाबंदियों के मनाया गया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं और कामना की कि यह विशेष दिन समाज में सद्भाव व आनंद को और मजबूत करे. मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘क्रिसमस की शुभकामनाएं! यह विशेष दिन हमारे समाज में सद्भाव और आनंद की भावना को आगे बढ़ाए. हम प्रभु ईसा मसीह के आदर्श विचारों और समाज की सेवा पर जोर दिए जाने को याद करते हैं.’’
#WATCH | People dance & sing at Marine Drive in Mumbai as they celebrate the festival of #Christmas pic.twitter.com/kG5nSwBTfl
— ANI (@ANI) December 25, 2022
केरल में ईसाई समुदाय ने धूमधाम से क्रिसमस का त्योहार मनाया, जिसमें कुछ वरिष्ठ बिशप और पादरियों ने विझिंजम में मध्यरात्रि की प्रार्थना सभा में मछुआरों की दुर्दशा, बफर जोन और राज्य में सांप्रदायिक गतिविधियों जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला. उत्सव आधी रात की सामूहिक प्रार्थना के साथ शुरू हुआ, जो राज्य भर के गिरजाघरों में आयोजित की गई, जहां बिशप और पादरिय�gpt-ad-1568807958472-0' width='728' height='90'>