नई दिल्ली: शुक्रवार देर रात असम मंत्रिमंडल ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में पहला बड़ा कदम उठाते हुए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को निरस्त कर दिया. यह कदम उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता पारित करने वाले पहले राज्य बनने के तीन हफ्ते से भी कम समय बाद आया है.
कैबिनेट मंत्री जयंत मल्लबरुआ ने इसे समान नागरिक संहिता को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम बताया. उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम विवाह और तलाक से संबंधित सभी मामलों का समाधान विशेष विवाह अधिनियम के तहत किया जाएगा. यह फैसला मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया.
#Assam repeals Muslim Marriage and Divorce Act in steps towards #UniformCivilCodehttps://t.co/SlDzgjMdOm
— IndiaTodayFLASH (@IndiaTodayFLASH) February 23, 2024
मल्लबरुआ ने कहा, "मुख्यमंत्री ने हाल ही में कहा था कि हम समान नागरिक संहिता (UCC) की ओर बढ़ रहे हैं. इस यात्रा में आज एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935, जिसके तहत अभी भी 94 मुस्लिम रजिस्ट्रार कार्य कर रहे हैं, को आज निरस्त कर दिया गया है. मंत्रिमंडल ने आज इस अधिनियम को समाप्त कर दिया है और अब इस अधिनियम के तहत कोई भी मुस्लिम विवाह या तलाक पंजीकृत नहीं होगा. चूंकि हमारे पास एक विशेष विवाह अधिनियम है, इसलिए हम चाहते हैं कि सभी मामलों का समाधान उसी विशेष अधिनियम के माध्यम से हो." कैबिनेट मंत्री ने आगे कहा कि इस फैसले के जरिए वे राज्य में बाल विवाह पर भी रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं.