Acute Encephalitis Syndrome: बिहार में 'चमकी बुखार' का कहर, मुजफ्फरपुर में पिछले 10 दिनों में हुई 31 बच्चों की मौत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

Acute Encephalitis Syndrome: बिहार में 'चमकी बुखार' का कहर जारी है. एक्यूट एंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) नामक इस बीमारी से बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर जिले में अब तक 34 बच्चों की मौत हुई है. मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (SKMCH) के अधीक्षक सुनील शाही (Sunil Shahi) ने बुधवार को बताया कि जनवरी से 2 जून तक 13 मरीज भर्ती कराए गए थे. उनमें से तीन की मौत हो चुकी है. वहीं, 2 जून से आज तक 86 लोगों को भर्ती कराया गया है जिनमें से 31 की मौत हुई है. उधर, केंद्र सरकार ने एक विशेषीकृत उच्च-स्तरीय टीम का गठन किया है जो बुधवार को बिहार का दौरा कर मुजफ्फरपुर में एक्यूट एंसेफलाइटिस और गया में जापानी एंसेफलाइटिस के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने में राज्य सरकार की मदद करेगी.

मंगलवार को बिहार में एईएस और जेई के मामलों की समीक्षा करने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि उन्होंने हाल में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से मुलाकात की और उन्हें केंद्र की तरफ से हरसंभव मदद एवं पूरे समर्थन का आश्वासन दिया. हर्षवर्धन ने कहा कि मंत्रालय ने एक उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ टीम का गठन किया है जो बुधवार को बिहार पहुंचेगी. बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर सहित कुल पांच जिलों में मस्तिष्क ज्वर सहित अन्य अज्ञात बीमारी का कहर जारी है. कई सारे बच्चों का बिहार के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. बिहार में हर साल की तरह इस साल भी इस अज्ञात बीमारी से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यह भी पढ़ें- बिहार: मुजफ्फरपुर में संदिग्ध इंसेफेलाइटिस का आतंक, अब तक 14 बच्चों की मौत, दर्जनों बीमार

गौरतलब है कि 15 साल तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस कारण मरने वालों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं. चिकित्सकों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है. उल्लेखनीय है कि प्रत्येक साल इस मौसम में मुजफ्फरपुर क्षेत्र में इस बीमारी का कहर देखने को मिलता है. पिछले साल गर्मी कम रहने के कारण इस बीमारी का प्रभाव कम देखा गया था.

एजेंसी इनपुट