Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ भी शामिल हो रहा है विकास की दौड़ में

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके की दुनिया में पहचान सबसे पिछड़े और दुनिया से कदमताल न करने वाले इलाके के तौर पर रही है. मगर अब यहां के हालात बदलने लगे हैं। इस इलाके का आम आदमी दुनिया के साथ दौड़ने को तैयार है, क्योंकि एक तरफ जहां नक्सल समस्या पर पूरी तरह काबू है, वहीं लोगों को रोजगार से लेकर बेहतर सुविधाएं भी नसीब होने लगी हैं.

अबूझमाड़ (नारायणपुर) के दूरस्थ अंचलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और समय पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी बुनियादी सुविधाएं लोगों को असानी से मिल रही है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सड़क-पुल-पुलिया निर्माण अन्य जगह से यहां ज्यादा कठिन थे। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के संयुक्त प्रयास से यह संभव हो पाया. यह  ही पढ़े: अमेरिका में नस्लीय हमले तेज, भारतीय मूल की सांसद को मिली धमकी, कहा- अपने देश लौट जाओ

धुर नक्सल प्रभावित एवं चारों ओर से घने जंगलों, नदी-नालों और पहाड़ों से घिरे नारायणपुर जिले के विकासखण्ड ओरछा मुख्यालय में धीरे-धीरे सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया हो रही हैं, जो नगरीय क्षेत्र में होती है. मेडिकल से लेकर किराना दुकान के खुल जाने से साप्ताहिक हाट-बाजार का इंतजार भी खत्म हो गया है. अब यहां हर समय वह सभी जरूरी चीजें मिलती हैं, जो एक घरेलू महिला या नौकरी पेशा आदमी को चाहिए होती है.

एक दौर में इस इलाके में पहले आवाजाही के सीमित साधन थे. लेकिन अब सड़क, पुल-पुलिया के साथ अन्य निर्माण काम तेजी के साथ हो रहा है. आवाजाही पहले से बेहतर हुई है. लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं। इसके साथ ही पैसे के लेनेदेन के लिए ग्रामीण बैंक भी हैं. यहां अब बेहतर नेट कनेक्टिविटी के लिए दूरसंचार ने टावर खड़े किए हैं। पहले से काफी बेहतर नेट कनेक्टिविटी हो गयी है.

ओरछा विकासखण्ड मुख्यालय के पांच किलोमीटर क्षेत्र को फ्री वाई-फाई जोन बनाया जा रहा है. वाई फाई जोन बन जाने से युवा, ग्रामीण और बच्चे हाई स्पीड नेट से देश-दुनिया मे चलने वाले गतिविधियों को देख सुन कर विकास की दौड़ से जुड़ पाएंगे. बैंक के साथ अन्य सरकारी काम ऑनलाइन हो रहे हैं। दूर-दराज वाले इलाके में घर-घर तक बिजली की सुविधा मुहैया कराना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य था लेकिन इस दिशा में किए गए कामों की जनता ने सराहना की है. जहां पारंपरिक विद्युत लाईन नहीं पहुंचाई जा सकी वहां सौर ऊर्जा चलित संयत्र स्थापित कर बिजली मुहैया कराई गई है.

बच्चे-बच्चियों को गुणवत्तापूर्ण अच्छी शिक्षा के लिए छात्रावास-आश्रम, के साथ ही हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित है. जिसमें पर्याप्त संख्या में शिक्षकगण पदस्थ हैं, वहीं नक्सली हिंसा पीड़ित बच्चों के लिए पोटाकेबिन आवासीय विद्यालय संचालित हैं.

अबूझमाड़ के आदिवासी किसानों का बीते कई सालों से तीन पीढ़ियों का एक ही दर्द रहा है वह है जमीन तो है लेकिन कितनी है, कहां है कोई रिकॉर्ड नहीं। खेती तो करते हैं लेकिन केसीसी न होने से लोन नहीं मिल सकता। फसल है पर बिक्री की व्यवस्था नहीं. जमीन का राजस्व रिकॉर्ड में कहीं कोई उल्लेख नहीं था। इस वजह से किसी भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल पाता था.

कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर अबूझमाड़ क्षेत्र के गांवों में राज्य सरकार द्वारा प्राथमिकता के साथ सर्वे का काम तेजी से किया जा रहा है. नारायणपुर के ओरछा विकासखंड में 61 गांव के 2500 किसानों का सर्वेक्षण का कार्य पूरा हो चुका है, वहां किसानों को मसाहती पट्टों का वितरण किया गया है. मसाहती पट्टा मिलने के बाद ऐसे किसानों को अब शासन की योजनाओं का लाभ भी मिलने लगेगा. किसानों को केसीसी का वितरण भी किया गया जिससे वे अब बैंक से लोन भी ले पाएंगे.

नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले का एक बड़ा हिस्सा विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण आज भी मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ पाया है. अबूझमाड़ वह क्षेत्र है, जहां वनांचल और नदी-नाले बहुत हैं. यही कारण है कि लोगों को शासन की मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. स्वास्थ्य सेवाओं की सरलता से उपलब्धता को ध्यान में रखकर बाइक एम्बुलेंस का प्रयोग किया गया. जिले में शुरूआती दौर में पहले दो बाइक एम्बुलेंस अंदरूनी इलाकों के छोटे नदी-नालों, पगडंडियों, उबड़-खाबड़ रास्तों में दौड़ायी गयी, जो सफल हुई. इसकी सफलता को देखकर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के लिए मोटर बाईक एम्बुलेंस की सेवाओं का विस्तार किया है.

छत्तीसगढ़ राज्य नक्सली समस्याओं के लिए जाना जाता रहा है, यहां अब स्थितियां बदली है। वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक राज्य में नक्सलियों द्वारा हर साल 500 से लेकर 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जाता था, जो कि बीते साढ़े तीन सालों में घटकर औसतन रूप से 250 तक सिमट गया है। वर्ष 2022 में अब तक मात्र 134 नक्सल घटनाएं हुई हैं, जो कि 2018 से पूर्व घटित घटनाओं से लगभग चार गुना कम है.